विपक्ष के आगे झुकी प्रदेश सरकार, अग्निहोत्री को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा (Video)

Edited By Ekta, Updated: 23 Aug, 2018 01:40 PM

विपक्ष के तीखे तेवरों को भांपते हुए राज्य की जयराम सरकार ने कांग्रेस विधायक दल के नेता मुकेश अग्निहोत्री को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा दे दिया है। वीरवार को मानसून सत्र शुरू होने से ठीक पहले इस संबंध में अधिसूचना जारी की गई। सरकार ने 8 माह बाद...

शिमला (राक्टा): विपक्ष के तीखे तेवरों को भांपते हुए राज्य की जयराम सरकार ने कांग्रेस विधायक दल के नेता मुकेश अग्निहोत्री को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा दे दिया है। वीरवार को मानसून सत्र शुरू होने से ठीक पहले इस संबंध में अधिसूचना जारी की गई। सरकार ने 8 माह बाद अग्निहोत्री को विपक्ष के नेता का दर्जा दिया है। प्रदेश विधानसभा सचिव की तरफ से इस आशय संबंधी अधिसूचना जारी की गई है। पहले सरकार ने विपक्ष के सदस्यों की संख्या बल का हवाला देते हुए उन्हें नेता प्रतिपक्ष का पद देने से इंकार कर दिया था, ऐसे में विधानसभा के पहले तथा शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्ष ने इस मुद्दे को जोर-शोर से सदन में भी उठाया था। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा था कि नेता प्रतिपक्ष का दर्जा विपक्षी दल के आचरण पर निर्भर करेगा। बावजूद इसके विपक्षी दल ने सदन के भीतर और बाहर भी विभिन्न मुद्दों को लेकर तीखे तेवर अपनाए रखे और सरकार की घेराबंदी जारी रखी।

इसी कड़ी में आखिरकार अब सरकार ने मुकेश को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा दे दिया है। चर्चा यह भी है कि अगले साल होने वाले लोकसभा के चुनावों तथा विपक्ष के बढ़ते हमलों को देखते हुए सरकार ने समझौते की रणनीति के तहत उनको नेता प्रतिपक्ष का दर्जा दिया है। उल्लेखनीय है कि मुकेश चौथी बार लगातार विधानसभा पहुंचे हैं। पत्रकारिता से राजनेता बने मुकेश पूर्व वीरभद्र सरकार में उद्योग मंत्री थे तथा साथ ही संसदीय कार्य मंत्री का प्रभार भी उनके पास था। इसके अलावा वह मुख्य संसदीय सचिव भी रह चुके हैं। उन्हें कांग्रेस के तेज तर्रार नेताओं में गिना जाता है। वीरभद्र के भी वह करीब हैं। नेता प्रतिपक्ष का दर्जा कैबिनेट रैंक के बराबर होता है, ऐसे में अग्रिहोत्री को मंत्री के सामान सुविधाएं व अन्य वित्तीय लाभ मिलेंगे। 

मुख्य सचेतक व उप-मुख्य सचेतक का रास्ता साफ 
कांग्रेस विधायक दल के नेता मुकेश को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा देने के बाद सूत्रों के अनुसार मुख्य सचेतक व उप मुख्य सचेतक बनाए जाने का रास्ता भी साफ हो गया है। मुख्य सचेतक को कैबिनेट मंत्री के बराबर वेतन और भत्ते सहित अन्य सुविधाएं और उप मुख्य सचेतक को राज्य मंत्री के बराबर वेतन, भत्तों के अलावा अन्य सुविधाएं मिलेंगी। मुख्य सचेतक व उप मुख्य सचेतक पद की दौड़ में भाजपा के कई नेता शामिल हैं। इनमें मंत्री पद से वंचित रहे 2 वरिष्ठ विधायक रमेश धवाला और नरेंद्र बरागटा का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। ये दोनों नेता पूर्व भाजपा सरकारों में मंत्री रह चुके हैं। सूत्रों की मानें तो इस सत्र में ही इस पर मोहर लगाई जा सकती है।

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