Edited By Ekta, Updated: 03 Nov, 2019 03:06 PM
भाखड़ा बांध बनने के बाद 60 के दशक में अस्तित्व में आई गोबिंदसागर झील में जलमग्न हुए कहलूर रियासत के मंदिरों को पुनर्स्थापित करने की जिला प्रशासन की योजना के जल्द मूर्त रूप लेने की संभावना है। जानकारी के अनुसार गत जून माह में इन मंदिरों का निरीक्षण...
बिलासपुर (बंशीधर): भाखड़ा बांध बनने के बाद 60 के दशक में अस्तित्व में आई गोबिंदसागर झील में जलमग्न हुए कहलूर रियासत के मंदिरों को पुनर्स्थापित करने की जिला प्रशासन की योजना के जल्द मूर्त रूप लेने की संभावना है। जानकारी के अनुसार गत जून माह में इन मंदिरों का निरीक्षण करने आई इंडियन ट्रस्ट फार रूरल हैरीटेज एंड डिवैल्पमैंट नई दिल्ली व दे डिजाइन एजैंसी जयपुर की टीमों ने अपनी-अपनी रिपोर्ट भाषा एवं संस्कृति विभाग को सौंप दी है तथा अपनी-अपनी प्रैजैंटेशन भी दे दी है।
जानकारी के अनुसार गोबिंदसागर झील का जलस्तर कम होते ही संबंधित टीमें दोबारा से इन जलमग्न मंदिरों का निरीक्षण करेंगी और उसके बाद विभागीय शर्तों को पूरा करने वाली एजैंसी को विभाग जलमग्न मंदिरों के पुनर्स्थापन का कार्य सौंपेगा। झील का जलस्तर मार्च महीने के बाद कम होता है। ऐसे में अप्रैल या मई में संबंधित एजैंसियां इन मंदिरों का दोबारा सर्वेक्षण कर सकती हैं। जानकारी के अनुसार कि पिछले कई वर्षों से गोबिंदसागर झील में जलमग्न हुए इन मंदिरों को दूसरी जगह पुनर्स्थापित करने की प्रक्रिया चल रही है लेकिन यह योजना अभी तक सिरे नहीं चढ़ पाई है लेकिन गत 29 व 30 जून को भाषा एवं संस्कृति विभाग व जिला प्रशासन के प्रयासों से इंडियन ट्रस्ट फार रूरल हैरीटेज एंड डिवैल्पमैंट नई दिल्ली के 5 सदस्यीय दल व दे डिजाइन एजैंसी जयपुर के एक सदस्य ने इन जलमग्र मंदिरों व चिह्नित मंदिरों का निरीक्षण किया।
इन सदस्यों ने जलमग्न मंदिरों की फोटोग्राफी सहित इसके इतिहास की पूरी जानकारी ली है तथा हनुमान टिल्ला के पास जिला प्रशासन द्वारा चयनित जमीन का निरीक्षण भी किया है। इसके बाद इन एजैंसियों ने अपनी-अपनी रिपोर्ट विभाग को सौंप दी है तथा अपनी-अपनी प्रैजैंटेशन भी प्रस्तुत कर दी है। अब विभाग गोबिंदसागर झील के जलस्तर के कम होने का इंतजार कर रहा है। जलस्तर कम होने के बाद संबंधित एजैंसियों की टीम दोबारा से इनका सर्वेक्षण करेंगी और उसके बाद आगामी प्रक्रिया शुरू होगी। जानकारी के अनुसार भाखड़ा बांध बनने के कारण अस्तित्व में आई गोबिंदसागर झील में न केवल बिलासपुर शहर जलमग्न हो गया था बल्कि कहलूर रियासत काल के कई प्राचीन मंदिर भी जलमग्र हो गए थे।
मौजूदा समय में केवल 8 मंदिर शेष
मौजूदा समय केवल 8 मंदिर ही शेष बचे हैं जिन्हें विभाग उसी शैली में दूसरी जगह पुनस्र्थापित करना चाहता है। इसके लिए विभाग ने बिलासपुर शहर के पास हनुमान टिल्ला में जमीन भी चिह्नित कर रखी है। हनुमान टिल्ला के पास हैरीटेज पार्क बनाए जाने की योजना है। यहां पर हैरीटेज पार्क बनने से न केवल पर्यटकों को कहलूर रियासत के इन मंदिरों को देखने को मिलेगा बल्कि बिलासपुर की नई पीढ़ी को भी कहलूर रियासत की जानकारी मिलेगी। इससे बिलासपुर में पर्यटन व्यवसाय बढ़ेगा। जिला भाषा अधिकारी नीलम चंदेल ने बताया कि दिल्ली व जयपुर से आए दोनों एजैंसियों ने अपनी-अपनी रिपोर्ट सौंपने के साथ ही प्रैजैंटेशन भी दे दी है। झील का जलस्तर कम होते ही संबंधित एजैंसियों की टीम दोबारा से इन मंदिरों का सर्वेक्षण करेगी और उसकेबाद जो भी एजैंसी विभागीय शर्तों को पूरा करेगी। उसे इन जलमग्न मंदिरों के पुनर्स्थापन का कार्य सौंप दिया जाएगा।