राम के बाद अब हनुमान पर हो रही राजनीति, जानिए राजनेताओं को किसने सुनाई खरी खोटी(Video)

Edited By Ekta, Updated: 02 Dec, 2018 04:31 PM

अयोध्या में प्रभु राम के बाद अब हनुमान के नाम पर इन दिनों जमकर राजनीति हो रही है। एक तरफ भाजपा नेता हनुमान को दलित बता रहे हैं वहीं दलितों ने भी इस बात का स्वागत करते हुए उनको अपना लिया है। इन सबके बीच उस जनता का क्या जो सिर्फ बागवान को ही मानती है...

शिमला (राजीव): अयोध्या में प्रभु राम के बाद अब हनुमान के नाम पर इन दिनों जमकर राजनीति हो रही है। एक तरफ भाजपा नेता हनुमान को दलित बता रहे हैं वहीं दलितों ने भी इस बात का स्वागत करते हुए उनको अपना लिया है। इन सबके बीच उस जनता का क्या जो सिर्फ बागवान को ही मानती है उनके प्रति अपनी गहन आस्था रखते हुए भारत के सभी राजनीतिज्ञों को सलाह दे रही है। वहीं भगतों के साथ-साथ बरसों से हनुमान की पूजा कर रहे पुजारियों ने भी हनुमान को दलित बाताने वाले राजनेताओं को खूब खरी खोटी सुनाई है।
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इस पर्वत पर कुछ देर रुके थे हनुमान 

पहाड़ों की रानी शिमला में मौजूद एतिहासिक जाखू मंदिर का इतिहास इतना पुराना है कि जब हनुमान संजीवनी की खोज में हिमालय की ओर जा रहे थे तो इसी जाखू पर्वत पर कुछ देर रुके थे। दरअसल यहां हनुमान ने देखा कि एक शक्स हनुमान का भगत है और उसकी पूजा कर रहा है। हनुमान के यहां आज भी पैरों के निशान हैं। समय के साथ-साथ कई चीजें बदली और आज हनुमान के भगतों की आस्था इतनी है कि लोग देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी यहां भारी संख्या में पहुंचते हैं, लेकिन जब हमने उनसे राम के बाद अब हनुमान पर राजनीति और दलित बताए जाने पर सवाल पूछे तो वे पहले तो दंग रह गए। लोगों ने राजनेताओं के हनुमान के दलित बताए जाने का खंडन किया है और इसे भगतों की आस्था के साथ खिलवाड़ तक बता डाला। 
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राजनेताओं से भगवान और भगतों की आस्था से छेड़छाड़ न करने की अपील की

उधर हनुमान की बरसों से पूजा कर रहे पुजारियों ने हनुमान के दलित होने की किसी भी बात से साफ इनकार किया है। उन्होंने एक की हनुमान के जीवन का उल्लेख कई ग्रंथों, पुराणों में किया गया है। ऐसा कोई भी साक्ष्य नहीं मिलता जिससे ये साबित हो की हनुमान दलित थे। हां ये जरूर है कि उनको प्रभु राम और सीता माता का आशीर्वाद मिला तो वे अजर अमर है और जिस किसी को भी अजर अमर का वरदान मिला उसमे हनुमान स्वयं वास करते हैं। ऐसी ही कई कहानियां हैं जो पुजारी बताते नहीं थकते। पुजारियों ने भारत के राजनेताओं से भगवान और भगतों की आस्था से छेड़छाड़ या यूं कहें कि दूर रहने की अपील की है।  

 


 

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