कुल्लू में रैन बसेरा चलाने में प्रशासन लापरवाह, बेसहारा लोग ठंड में फुटपाथ पर सोने को मजबूर

Edited By kirti, Updated: 24 Dec, 2018 12:19 PM

administration careless in running down the rann of kullu

कुल्लू में बेघर व बेसहारा लोगों के लिए बनाए गए रैन बसेरे न चलाए जाने की रिपोर्ट जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में पेश की जाएगी। जिसका खामियाजा नगर परिषद व नगर पंचायत के साथ ही जिला के प्रशासनिक अधिकारियों को भी भुगतना पड़ सकता है यह बातें रविवार को सुप्रीम...

कुल्लू(मनमिन्दर): कुल्लू में बेघर व बेसहारा लोगों के लिए बनाए गए रैन बसेरे न चलाए जाने की रिपोर्ट जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में पेश की जाएगी। जिसका खामियाजा नगर परिषद व नगर पंचायत के साथ ही जिला के प्रशासनिक अधिकारियों को भी भुगतना पड़ सकता है यह बातें रविवार को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नामित स्टेट शेल्टर मैनेजमेंट कमेटी के सदस्य प्रवेश चंदेल ने कुल्लू में कही। उन्होंने कहा कि जिले के कुल्लू, भुंतर व मनाली में बेघर व बेसहारा लोगों के लिये रैन बसेरे खोले गए हैं, लेकिन इन रैन बसेरों के बारे न तो आम लोगों को पता है और न ही नगर परिषद व जिला के प्रशासनिक अधिकारी इनको चलाने के लिए गंभीर हैं जिसके कारण यह रैन बसेरे आज तक चालू ही नहीं हो पाए हैं।

सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की उल्लंघना

प्रवेश चंदेल ने कहा कि इन रैन बसेरों के नाम पर खर्च तो खूब किया गया है, लेकिन जिनके लिए ये बनाए गए थे, उनको आज तक इसका लाभ ही नहीं मिल पाया है। उन्होंने कुल्लू जिला मुख्यालय पर स्थापित किए रैन बसेरे की चर्चा करते हुए बताया कि बरसों पहले रैन बसेरे के नाम पर बनाये गये भवन में आज तक किसी को भी आवास की सुविधा नहीं मिल पाई है, जबकि वह भवन बहुत ही खस्ता हालत में है और वहां कबाड़ व तुड़ी का भंडारण किया गया है। उन्होंने कहा कि इस भवन को रैन बसेरा बनाने के बजाए इसका प्रयोग व्यवसायिक गतिविधियों के लिये ही होता आया है। उन्होंने कहा कि इसी तरह से भुंतर में भी रैन बसेरा तो बनाया गया है, लेकिन उसका भी किसी को पता नहीं है। मनाली के रैन बसेरे में दो हॉल है, लेकिन दोनों में ताले लटके हुए हैं. ऐसे में बेसहारा व बेघर लोग कड़ाके की ठंड में भी फुटपाथ पर सोने को विवश हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की उल्लंघना पर स्टेट शैल्टर मैनेजमेंट कमेटी के सदस्य प्रवेश चंदेल का कहना है कि कुल्लू जिला में कोई भी रैन बसेरा आज की तारीख में नहीं चल रहा है।

अगर कोई फुटपाथ पर सोता हुआ मिलता है तो

उन्होंने इस मामले को प्रदेश की बैठकों में कई बार उठाया है लेकिन कोई भी अधिकारी इस मामले में गंभीर नहीं है। जबकि 7 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने देश भर की एमसी और सरकारों को आदेश दिए हैं कि रैन बसेरों को चालू किया जाए ताकि सर्दी के दौरान फुटपाथ पर सोने वाले बेसहारा लोगों को आश्रय मिल सके। उन्होंने बताया कि आदेश में यह भी कहा गया है कि अगर इन आदेशों की अवहेलना होती है तो यह अदालत के आदेशों की अवमानना का मामला होगा। प्रवेश चंदेल ने बताया कि आदेश में यह भी कहा कि पुलिस भी इसमें अहम भूमिका निभाएगी। पुलिस को अगर कोई फुटपाथ पर सोता हुआ मिलता है तो पुलिस को उसे रैन बसेरे तक पहुंचाना होगा। लेकिन इसके बावजूद भी लोग सर्दी के मौसम में फुटपाथ पर सोने को विवश है। उन्होंने कहा कि जल्द ही इस मामले की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश करेंगे, ताकि लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो सके।
 

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