16वीं शताब्दी में बनी इस इमारत में नहीं लगी एक भी लोहे की कील, सैलानी भी हैरान (PICS)

Edited By Ekta, Updated: 16 Sep, 2018 11:15 AM

a single iron wedge was not found in this building built in the 16th century

कुल्लू-मनाली में एक किला ऐसा भी है, जिसका न तो भूंकप कुछ बिगाड़ पाया है आर न ही इसके निर्माण में लोहे की एक भी कील का निर्माण हुआ है। 16वीं शताब्दी में बनाए गए इस किले को देखने के लिए आज भी देश-विदेश से सैलानी यहां पहुंचते हैं। बात हो रही है नग्गर...

कुल्लू (मनमिंदर): कुल्लू-मनाली में एक किला ऐसा भी है, जिसका न तो भूंकप कुछ बिगाड़ पाया है आर न ही इसके निर्माण में लोहे की एक भी कील का निर्माण हुआ है। 16वीं शताब्दी में बनाए गए इस किले को देखने के लिए आज भी देश-विदेश से सैलानी यहां पहुंचते हैं। बात हो रही है नग्गर कैसल की। देवदार के जंगलों के साथ सटा नग्गर कैसल किसी परिचय का मौहताज नहीं है। इसकी खूबसूरती अपने आप में अनौखी है। यहां आने वाले सैलानी इसकी बनावट व निर्माण शैली को देख दंग रह जाते हैं। मनाली के समीप पड़ने वाले नग्गर कैसल का इतिहास कई वर्षों पुराना है। 
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मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि इस किले का निर्माण राजा सिद्वि सिंह ने 16वीं शताब्दी में किया था। नग्गर कैसल आज भी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है, वहीं इस राष्ट्रीय धरोहर का निर्माण देवदार के पेड़ों और पत्थरों से किया गया है। मनाली से लगभग 20 किलोमीटर की दूर राष्ट्रीय धरोहर नग्गर कैसल के दीदार के लिए रोजाना देश और विदेश से सैंकड़ों पर्यटक घूमने आते हैं।
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इसकी खास बात यह है कि इस भवन में कहीं भी लोहे की कीलों का प्रयोग नहीं हुआ है। नग्गर कैसल का इतिहास कई वर्षों पुराना है। मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि इस किले का निर्माण राजा सिद्वि सिंह ने 16वीं शताब्दी में किया था। 17वीं शताब्दी के मध्य तक राजा महाराजा इसे शाही महल तथा शाही मुख्यालय के तौर पर प्रयोग करते थे। बाद में इसे कुल्लू के राजा जगत सिंह ने इसे अपनी राजधानी बनाया। 
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सन 1846 तक इस घराने के वंशज किले का प्रयोग ग्रीष्मकालीन महल के रूप में करते थे, लेकिन जब अंग्रेजों ने सारा कुल्लू सिक्खों के अधिकार से छुड़ा कर अपने कब्जे में ले लिया था। तब राजा ज्ञान सिंह ने मात्र एक बंदूक के लिए इसे मेजर हे को बेच दिया था। इसके बाद इसे रहने के लिए यूरोपियन रहन-सहन के अनुरूप परिवर्तित कर दिया। कुछ समय बाद मेजर ने इसे सरकार को बेच दिया और इसका प्रयोग ग्रीष्मकालीन न्यायालय के रूप में होता रहा। नग्गर कैसल का यह भवन 1905 में आए भयंकर भूकंप में भी खड़ा रहा और इस किले को कोई नुक्सान नहीं हुआ है। यहां का इतिहास दीवारों पर दर्शाया गया है। 
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यहां पहुंचे पर्यटकों का कहना है कि कैसल की निर्माण शैली काफी पसंद आई है। आज तक उन्होंने सिर्फ कुल्लू-मनाली की खूबसूरती के बारे में सुना था, लेकिन आज कुछ अलग देखने को मिला है। उल्लेखनीय है कि यह किला ब्यास नदी के तट पर बना हुआ है।
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इस किले के परिसर में देखने के लिए अन्य आकर्ष और दर्शनीय स्थल भी है, जैसे मंदिर, आर्ट गैलरी,वहीं दर्जनों बालीवुड फिल्मों की शूटिंग यहां पर हो चुकि है। बालीवुड निर्माता-निर्देशकों की नग्गर कैसल पसंदिदा जगहों में से एक है। उधर, इतिहास कारों का कहना है कि यह इमारत अपने आप में एक अजुबा है। इस इमारत की खूबसूरती के साथ-साथ मजबूती सबको चौंकाती है।
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