हिमाचल के एक अधिकारी ने लिखी ज्योतिष पर शोध पुस्तक

Edited By Seema Sharma, Updated: 24 Oct, 2019 03:43 PM

a himachal official wrote a research book on astrology

तीन दशक के अपने व्यापक शोध के बाद ज्योतिष को लेकर फैली अनेक भ्रांतियों का निराकरण करके इसे एक संपूर्ण विज्ञान साबित करने वाले हिमाचल प्रदेश सरकार के एक अधिकारी गुरमीत बेदी ने यह गौरव भी हासिल किया है कि वह इस विषय पर शोध पुस्तक लिखने वाले पहले...

हिमाचल डेस्क: तीन दशक के अपने व्यापक शोध के बाद ज्योतिष को लेकर फैली अनेक भ्रांतियों का निराकरण करके इसे एक संपूर्ण विज्ञान साबित करने वाले हिमाचल प्रदेश सरकार के एक अधिकारी गुरमीत बेदी ने यह गौरव भी हासिल किया है कि वह इस विषय पर शोध पुस्तक लिखने वाले पहले हिमाचली होने के साथ-साथ विश्व के पहले सिख लेखक भी बन गए हैं। साहित्य की विभिन्न विधाओं में करीब एक दर्जन पुस्तकें लिखने और हिमाचल साहित्य अकादमी पुरस्कार सहित देश-विदेश में अनेक पुरस्कार हासिल करने वाले गुरमीत बेदी इस समय हिमाचल प्रदेश सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में डिप्टी डायरेक्टर हैं और चंडीगढ़ में हिमाचल भवन स्थित प्रेस संपर्क कार्यालय में तैनात हैं। इस शोध पुस्तक में उन्होंने विभिन्न ग्रहों की प्रकृति और मानव जीवन पर उनके प्रभाव का विस्तार से वर्णन किया है।

 

गुरमीत बेदी ने अपनी इस शोध पुस्तक में यह साबित किया है कि ज्योतिर्विज्ञान खगोलीय पिंडों के अध्ययन का विज्ञान है। सबसे पहले इसी विज्ञान ने ब्रह्मांड के बारे में नक्षत्रों, ग्रहों, राशियों के बारे में विस्तार से बताया। उसका गणितीय संयोजन प्रस्तुत किया, जो आज के खगोल विज्ञान का आधार बना। गुरमीत बेदी ने इस किताब में यह भी कहा है कि न्यूटन से बहुत पहले ही भास्कराचार्य ने गुरुत्वाकर्षण को लेकर अपने ग्रंथ 'सिद्धांतशिरोमणि' में यह सिद्ध कर दिया था कि पृथ्वी में आकर्षण शक्ति है, जिससे वह अपने आस-पास की वस्तुओं को आकर्षित करती है । इसी तरह आर्यभट्ट ने पांचवीं सदी में ही सूर्य के स्थिर होने व पृथ्वी के चक्कर लगाने की घोषणा की थी।

 

गुरमीत बेदी के मुताबिक हमारे ऋषि-मुनियों ने ब्रह्मांड के बारे में अपने गणितीय संयोजन के जरिए पृथ्वी पर होने वाली ऋतुओं, तिथि, समय, अंक, समुद्र में ज्वार-भाटे, सूर्य-चन्द्र ग्रहण या धरती पर पर होने वाले सृजन, विकार या विनाश का सटीक विश्लेषण प्रस्तुत किया। गुरमीत बेदी ने अपनी इस किताब में यह भी साबित किया है कि आधुनिक विज्ञान का विकास शून्य से नहीं हुआ बल्कि अस्तित्व में गति और गति के अध्ययन से कालगणना का विकास वैदिक काल में ही हो चुका था। ज्योतिष में गहरी रुचि होने के कारण गुरमीत बेदी ने विभिन्न कुंडलियों में विभिन्न ग्रहों की स्थिति को आधार बनाकर जो विश्लेषण किए, वे काफी हद तक सटीक साबित हुए। अपने इसी अनुभव को आधार बनाकर उन्होंने ज्योतिष विधा पर किताब लिख कर ज्योतिर्विज्ञान को साइंस साबित करने की कोशिश की है। दिल्ली के प्रमुख पब्लिशर भावना प्रकाशन से गुरमीत बेदी की यह किताब अगले महीने आ रही है।

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