8 साल किया काम केवल 4 साल की मिली सैलरी, कुछ ऐसी है सऊदी से लौटे राकेश की कहानी

Edited By Ekta, Updated: 16 Jan, 2019 12:20 PM

8 years of work only got 4 years of salary

मंडी जिला के उपमंडल बल्ह के गांव स्टोह निवासी राकेश कुमार उर्फ रिंकू (32 वर्ष) पिछले 8 वर्षों से सऊदी अरब में फंसे होने के उपरांत अपने घर सकुशल पहुंच गया है। मीडिया ने राकेश के विदेश में फंसे होने की खबर को प्रमुखता से उठाया था अपने घर स्टोह पहुंचे...

सुंदरनगर (नितेश सैनी): मंडी जिला के उपमंडल बल्ह के गांव स्टोह निवासी राकेश कुमार उर्फ रिंकू (32 वर्ष) पिछले 8 वर्षों से सऊदी अरब में फंसे होने के उपरांत अपने घर सकुशल पहुंच गया है। मीडिया ने राकेश के विदेश में फंसे होने की खबर को प्रमुखता से उठाया था अपने घर स्टोह पहुंचे राकेश कुमार ने मीडिया और सरकार का आभार जताते हुए कहा कि वर्ष 2011 में वह सऊदी अरब के खोबर में एक इलेक्ट्रिकल कंपनी नसीब में कार्य करने विदेश गए थे। उन्होंने कहा कि वर्ष 2013 तक नसीब कंपनी में कार्य किया और इस दौरान उन्हें समय-समय पर सैलरी दी जाती थी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2013 में नसीब कंपनी द्वारा उन्हें सऊदी अरब के हफू स्थित एक अन्य कंपनी ताहिर उल शबीर कंस्ट्रक्शन में ट्रांसफर कर दिया गया। उन्होंने कहा कि ट्रांसफर होने के पश्चात वह हफू में कार्य करने लग गए। 
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उन्होंने कहा कि लगभग डेढ़ साल तक ताहिर उल शबीर कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा उन्हें सैलरी दी गई, लेकिन उसके बाद अचानक से कंपनी द्वारा उनकी सैलरी रोक दी गई। राकेश कुमार ने कहा कि इसके उपरांत उन्होंने अल-हासा के लेबर कोर्ट में कंपनी के खिलाफ सैलरी रोके जाने व बंधक बनाकर कार्य करवाने को लेकर केस दायर कर दिया गया। उन्होंने कहा कि 6-7 महीने केस चलने के बाद लेबर कोर्ट ने उनके हक में फैसला सुनाते हुए उन्हें कंपनी से उनका पासपोर्ट वापिस दिलवा दिया गया। उन्होंने कहा कि सऊदी अरब से घर वापस आने के लिए उन्हें टिकट के लिए 500 रियाल का इंतजाम भी मजदूरी कर करना पड़ा। सऊदी अरब में बिताए हुए समय के बारे में बताते हुए राकेश कुमार ने कहा कि उन्होंने वहां जितना समय भी काटा वह नरक के समान था।

उन्होंने कहा कि वह कंपनी द्वारा दिए गए एक छोटे से कमरे में अन्य लोगों के साथ रहते थे और कंपनी के लोग रोजाना आकर उन्हें तंग करते थे। उन्होंने कहा कि जितना समय वहां पर रहे उन्हें अपने दोस्तों से पैसे लेकर गुजारा करना पड़ा। उन्होंने कहा कि कंपनी के अधिकारी बार-बार कमरे से बाहर निकालने की कोशिश करते थे। राकेश ने कहा कि सैलरी देने को लेकर कंपनी के अधिकारी बहाने बनाकर उनसे बिना सैलरी कार्य करवाते रहे। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 से कंपनी द्वारा उन्हें सैलरी का भुगतान नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि उनकी जिंदगी वहां पर गुलामों की तरह थी।राकेश कुमार व उनके परिजनों ने वतन वापसी को लेकर मीडिया की सराहना करते हुए कहा कि अगर मीडिया ने इस मामले को ना उठाया होता तो उनकी घर वापसी ना होती और ना ही वह अपने परिवार से मिल पाता।

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