Edited By Simpy Khanna, Updated: 22 Nov, 2019 12:35 PM
कहते हैं कि आवश्यकता आविष्कार की जननी है। यह कहावत चरितार्थ की है बिलासपुर जिला के उपमंडल स्वारघाट के तहत कुटैहला पंचायत के गांव धारभरथा के सातवीं पास किसान गुरदेव सिंह ने। गुरदेव सिंह ने एक ऐसी मशीन तैयार की है जो चंद मिनटों में क्विंटलो के हिसाब...
बिलासपुर (मुकेश) : कहते हैं कि आवश्यकता आविष्कार की जननी है। यह कहावत चरितार्थ की है बिलासपुर जिला के उपमंडल स्वारघाट के तहत कुटैहला पंचायत के गांव धारभरथा के सातवीं पास किसान गुरदेव सिंह ने। गुरदेव सिंह ने एक ऐसी मशीन तैयार की है जो चंद मिनटों में क्विंटलो के हिसाब से मक्की के बीज निकाल सकती है | इस मशीन की खासियत है कि बाजार में मिलने वाली मक्की पिल्लर मशीनों से दो से तीन गुना ज्यादा काम करती है और बाजारी मशीनों से काफी सस्ती और किफायती है।
गुरदेव सिंह ने बताया कि एक बार वह लुधियाना इंडस्ट्री में मक्की पिल्लर मशीन लाने के लिए गए थे लेकिन वहां पर उनकी पसंद की कोई मशीन नहीं मिली | इसके बाद घर आने पर गुरदेव सिंह ने स्वयं मशीन बनाने की कोशिश की और छह से सात हजार की लागत से यह मशीन तैयार कर दी है। अन्य ग्रामीण क्षेत्रो की तरह धारभरथा गांव में भी मक्की की फसल पर्याप्त मात्रा में होती है तथा हर परिवार के पास औसतन 5 से 10 क्विंटल मक्की की फसल होती है। मक्की के दाने निकालने के लिए ग्रामीणों को काफी मेहनत करनी पड़ती है तथा इसे छीलने में कईं दिन लग जाते हैं । इसी समस्या के समाधान के लिए सातवीं क्लास तक पढ़े गुरदेव सिंह द्वारा हाल ही में एक छोटी तथा कारगर मशीन का अविष्कार किया है।
इस मशीन की खासियत यह है कि इसमें एक से दो टोकरी मक्की आ जाती है जिसे यह मशीन कुछ ही मिनट में मक्की के दाने अलग कर देती है जबकि बाजार में मिलने वाली महंगी मक्की पिल्लर मशीनों में एक-दो छल्ली से ज्यादा नहीं जाती और इन मशीनों में दाने अलग करने के लिए भी काफी समय लगता है। इस मशीन की एक और खासियत यह है कि इसमें मक्की के जो अवशेष (गुल्ली) बचते है वो पूरे के पूरे निकल जाते है टूटते नहीं है।
जबकि अन्य मशीनों में अवशेष (गुल्ली) के कई-कई टुकड़े हो जाते है | बीज निकलने के बाद शेष बचे हिस्से जिसे गुल्ली कहा जाता है उसे सर्दियों में अंगीठी अथवा चूल्हे में ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। गुरदेव सिंह ने बताया कि गांव व आसपास के गाँवों के अन्य लोग भी उन्हें ऐसी मशीन बनाने की डिमांड कर रहे है। इस मशीन से कई घंटो में होने वाला छल्ली छीलने काम कुछ ही मिनटों में पूरा हो जाता है। गुरदेव सिंह कृषि के साथ-साथ स्वारघाट में चाय व मिठाई की दुकान भी करते हैं।