Edited By Ekta, Updated: 16 Aug, 2018 03:52 PM
देश को आजाद हुए बेशक 72 साल हो चुके हैं लेकिन क्या आज हमारी सोच सबको आजाद रखने वाली है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि अभी भी हमारे समाज में कई वर्ग ऐसे हैं जो यही सोच रखते हैं कि उनकी जिंदगी पर उनका नहीं बल्की समाज की नीची सोच का ज्यादा अधिकार है।...
शिमला (राजीव): देश को आजाद हुए बेशक 72 साल हो चुके हैं लेकिन क्या आज हमारी सोच सबको आजाद रखने वाली है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि अभी भी हमारे समाज में कई वर्ग ऐसे हैं जो यही सोच रखते हैं कि उनकी जिंदगी पर उनका नहीं बल्की समाज की नीची सोच का ज्यादा अधिकार है। इसमें सबसे ज्यादा देश की महिलाएं आगे हैं जिनका मानना है कि आज देश बेशक महिलाओं के अधिकार और पुरुष के साथ महिलाओं को कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ने के लिए बड़ी-बड़ी बातें करता है। लेकिन हकीकत में महिलाओं की स्थिति करीब-करीब वैसी ही है जैसी आजादी के वक्त थी।
शिमला में भी महिलाओं का यही मानना है कि अभी भी वो खुल कर अपनी बात या अपनी मर्जी के मुताबिक काम नहीं कर सकती। महिलाओं का कहना है कि समाज आज भी उन्हें उनके मुताबिक जीने का अधिकार नहीं देता। साथ ही समाज को महिलाओं के प्रति अपनी नकारात्मक सोच बदलने की जरूरत है, तभी महिलाएं खुद को सुरक्षित और देश को आगे बढ़ाने में खुद भी भागीदारी सुनिश्चित बना पाएंगी। उनका कहना है कि समाज की जब तक सोच नहीं बदलेगी तब तक असली आजादी महिलाओं को नहीं मिल पाएगी और आज जब लड़कियां अपनी मर्जी के कपड़े पहनती है तो समाज उन्हें गंदी नजरों से देखता है।
उधर, शिमला के लोगों की मानें तो जब तक देश में भ्रष्टाचार खत्म नहीं होता तब तक आजादी का कोई मायने नहीं है। लोगों का कहना है कि जब तक हम खुद नहीं बदले और अच्छे इंसान बन जाते हैं तब ही सही मायने में आजादी मिलेगी। युवाओं का कहना है कि जब तब शोषण बंद नहीं होता है तब तक आजादी का कोई मतलब नहीं है।