टांडा मेडिकल कॉलेज में हुई 7 मौतें, डॉक्टरों ने दी सावधान रहने की सलाह (Video)

Edited By Ekta, Updated: 06 Feb, 2019 01:02 PM

स्वाइन फ्लू बड़ी तेजी से पूरे प्रदेश में पांव पसारता जा रहा है। जिसका असर आसपास के पड़ोसी राज्यों पर भी हो रहा है। कांगड़ा जिला के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. गुरदर्शन गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज टांडा में 1...

धर्मशाला (नृपजीत निप्पी): स्वाइन फ्लू बड़ी तेजी से पूरे प्रदेश में पांव पसारता जा रहा है। जिसका असर आसपास के पड़ोसी राज्यों पर भी हो रहा है। कांगड़ा जिला के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. गुरदर्शन गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज टांडा में 1 जनवरी से लेकर 4 फरवरी तक स्वाइन फ्लू के 144 सस्पेक्टेड रोगियों की जांच गई है। जिसमें से 46 पॉजीटिव पाए गए हैं। पॉजीटिव पाए गए 46 रोगियों में से 35 जिला कांगड़ा, 5 हमीरपुर, 5 चंबा और एक मंडी से संबंधित हैं। स्वाइन फ्लू से अब तक 7 मौतें हो चुकी हैं जिनमें से 6 मौतें टांडा में हुई हैं। स्वाइन फ्लू से मरने वालों में 5 जिला कांगड़ा से संबंधित थे, जबकि हमीरपुर और मंडी से 1-1 मरीज की स्वाइन फ्लू से मौत हुई है।

सीएमओ ने बताया कि स्वाइन फ्लू की बीमारी एक विशेष प्रकार के इन्फ्लुएंजा ए वायरस (एच1एन1) से ग्रसित मरीज के संपर्क में आने से हो सकती है। विशेषतौर पर बच्चों, गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों, शुगर, और दमे के मरीजों को स्वाइन फ्लू होने का खतरा अधिक रहता है। स्वाइन फ्लू के मरीजों को ए, बी और सी श्रेणियों में बांटा गया है। श्रेणी ए में वे लोग होंगे जिन्हें एच1एन1 के परीक्षण की आवश्यकता नहीं है। श्रेणी बी में वे लोग होंगे जिनके पास श्रेणी ए के सभी लक्षण हैं, लेकिन उन्हें उच्च श्रेणी का बुखार है और वे गंभीर अवस्था में हैं। उन्हें ओसेल्टामिविर के साथ इलाज की आवश्यकता होगी और घर पर ही सीमित रहना होगा।

श्रेणी सी में वे लोग होंगे जिनके पास श्रेणी ए और बी के सभी लक्षण होंगे और उनकी स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाना होगा। समझदारी और सहयोग से काम लेने पर इसे और कम किया जा सकता है। वहीं सीएमओ डा. गुरदर्शन गुप्ता ने यह भी बताया कि पिछले साल स्वाइन फ्लू के 298 सस्पेक्टेड टेस्ट किए गए थे, जिनमें से एक मामला पॉजीटिव पाया गया था। उन्होंने बताया कि वर्ष 2009 में स्वाइन फ्लू बीमारी सामने आई थी। उस दौरान की गई स्टडी में सामने आया था कि यह फ्लू तीन साल की अवधि के बाद जोर पकड़ता है। हालांकि इस वर्ष सामने आए मामलों में जो वायरस पाया जा रहा है, उसकी स्टडी की जा रही है कि आखिर यह कौन सा वायरस है।

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