Edited By Ekta, Updated: 08 Aug, 2019 10:43 AM
‘नमामि गंगे’ की तर्ज पर हिमाचल की 5 प्रमुख नदियों को प्रदूषण मुक्त किया जाएगा। इसके लिए सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग एक प्रोजैक्ट बनाने जा रहा है। यह प्रोजैक्ट फंडिंग के लिए जल्द ही केंद्र को भेजा जाएगा। इसमें प्रदेश के अलग-अलग शहरों व उद्योगों से...
शिमला (देवेंद्र): ‘नमामि गंगे’ की तर्ज पर हिमाचल की 5 प्रमुख नदियों को प्रदूषण मुक्त किया जाएगा। इसके लिए सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग एक प्रोजैक्ट बनाने जा रहा है। यह प्रोजैक्ट फंडिंग के लिए जल्द ही केंद्र को भेजा जाएगा। इसमें प्रदेश के अलग-अलग शहरों व उद्योगों से नदियों में बहने वाले सीवरेज, ठोस एवं तरल कचरे के निष्पादन के लिए मास्टर प्लान तैयार किया जाएगा, ताकि नदियों में बढ़ते हुए प्रदूषण को रोका जा सके।
प्रदेश की नदियों में प्रदूषण का प्रमुख कारण उद्योगों से निकलने वाला वेस्ट मैटीरियल, प्लास्टिक, लोगों के घरों व शहरों से निकलने च बहने वाला सीवरेज तथा किचन वेस्ट है। इस वजह से नदियों में प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है। कुछ नदियों का पानी तो पीने लायक भी नहीं बचा है। खासकर औद्योगिक क्षेत्रों के साथ लगती नदियों का पानी तो अब खेतों में इस्तेमाल के लिए भी ठीक नहीं रहा। मोदी सरकार ने गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए नमामि गंगे नामक योजना शुरू कर रखी है। इसी तर्ज पर राज्य सरकार सिंधु नदी बेसिन की सतलुज, ब्यास, रावी, चिनाब और झेलम नदियों को स्वच्छ बनाने के दावे कर रही है।
एच.एफ.आर.आई. भी बना रहा डी.पी.आर.
भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद के निर्देश पर शिमला स्थित हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान (एच.एफ.आर.आई.) भी पांचों नदियों की सफाई के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार कर रहा है। इसे लेकर हितधारकों के साथ बैठक आयोजित कर ली गई है। एच.एफ.आर.आई. को 18 महीने के भीतर डी.पी.आर. बनाने को कहा गया है। रिपोर्ट में नदियों की खुद सफाई की क्षमता को बढ़ाने के अलावा नदी बेसिन की वर्तमान स्थिति, अतीत में किए गए नदी प्रबंधन के कार्यों का आकलन और विश्लेषण व हितधारकों की पहचान करना और उनकी मदद से नदियों को बचाने के लिए रूपरेखा तैयार करना, नदी जल अधिग्रहण क्षेत्र की जैव विविधता और विभिन्न प्रकार की स्थितियों का आकलन करना शामिल है।