3 तबादलों से खिन्न साधु राम नौकरी छोड़ आए थे राजनीति में

Edited By Ekta, Updated: 29 Apr, 2019 11:44 AM

3 dispirited monk transfers were sadhu ram job in politics

बात 1977 से पहले की है, जब गगरेट क्षेत्र के तहत गांव ओयल के सामान्य परिवार से संबंधित मास्टर साधु राम नौकरी छोड़ मंत्री पद तक पहुंचे थे। गगरेट आरक्षित क्षेत्र से 3 बार विधायक तथा 2 बार मंत्री रहे साधु राम बेहद साधारण और लोगों से सीधा संबंध रखने वाले...

ऊना (सुरेन्द्र): बात 1977 से पहले की है, जब गगरेट क्षेत्र के तहत गांव ओयल के सामान्य परिवार से संबंधित मास्टर साधु राम नौकरी छोड़ मंत्री पद तक पहुंचे थे। गगरेट आरक्षित क्षेत्र से 3 बार विधायक तथा 2 बार मंत्री रहे साधु राम बेहद साधारण और लोगों से सीधा संबंध रखने वाले राजनीतिज्ञ थे। किसी राजनीतिक परिवार से उनका कोई वास्ता नहीं था। पारिवारिक हालात अच्छे नहीं थे, लेकिन पढऩे में रुचि न रखने वाले साधु राम ने अपनी पढ़ाई विपरीत परिस्थितियों के बावजूद निरंतर जारी रखी। शिक्षा पूरी करने के बाद वह स्कूल में अध्यापक पद पर तैनात हुए। सामाजिक चेतना जगाने वाले साधु राम का उस समय एक या 2 बार नहीं, बल्कि 3 बार लगातार तबादला हुआ और उन्हें जिला के दुर्गम क्षेत्र में तबदील कर दिया गया।
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अपने तबादले से क्षुब्ध साधु राम ने नौकरी छोड़ राजनीति में आने का फैसला किया। क्षेत्र की जनता में लोकप्रिय हो चुके साधु राम ने 1977 में पहली बार जनता पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ा और तत्कालीन कांग्रेस प्रत्याशी मिलखी राम को पराजित किया। शांता कुमार की सरकार में वर्ष 1979 में साधु राम को सिविल सप्लाई का राज्य मंत्री बनाया गया। इसके बाद 1982 और 1990 के चुनाव में भी साधु राम ने भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। 1991 में उन्हें आई.पी.एच. राज्य मंत्री के तौर पर शांता कुमार ने अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया। मास्टर के नाम से पहचाने जाने वाले साधु राम के समर्थक रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता प्राण नाथ गगरेट कहते हैं कि साधु राम बेहद सामान्य परिवार से संबंधित थे और सादगी के तौर पर पूरे क्षेत्र में पहचाने जाते थे।

शांता कुमार उनकी सादगी के कायल थे। जब 1979 में साधु राम को मंत्री बनाया जाना था तो शांता कुमार ने अपनी तरफ से उन्हें कपड़े भी सिलवाकर दिए थे। वह चिट पर ही लोगों के काम कर देते थे। काम करने के बाद उसकी सूचना देने के लिए वह लोगों के घर पहुंच जाया करते थे। स्व. मास्टर साधु राम के निकट संबंधी चिंतपूर्णी के विधायक बलवीर सिंह कहते हैं कि मास्टर साधु राम अपने तबादले से खासे खिन्न थे। उन्हें कुटलैहड़ क्षेत्र के ऐसे दुर्गम स्कूल में भेजा गया था, जहां से आवाजाही काफी मुश्किल थी। दिक्कत यह भी थी कि उन्हें जानबूझकर 3 बार बदला गया था। उनके तबादले से क्षेत्र के लोग भी नाराज हो गए थे और लोगों ने ही साधु राम को नौकरी छोड़कर चुनाव में कूदने का दबाव बनाया था। लोगों के प्रेम के चलते ही मास्टर साधु राम 3 बार एम.एल.ए. चुने गए थे। हर घरद्वार पर उनकी सीधी पहुंच हुआ करती थी।

जब शांता सरकार से हो गया था टकराव

मास्टर साधु राम का वर्ष 1990 से 1992 के बीच बनी शांता सरकार से एक मामले पर टकराव हो गया था। हालांकि साधु राम मंत्री थे, लेकिन इस टकराव के चलते उन्होंने मंत्री पद से तत्काल त्यागपत्र दे दिया था। वह किसी पद के पीछे नहीं भागे, बल्कि साधारण विधायक के तौर पर क्षेत्र की जनता की सेवा की।
 

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