Edited By Vijay, Updated: 26 May, 2019 10:11 PM
हिमाचल प्रदेश के चम्बा जिला के जनजातीय क्षेत्र पांगी के शून गांव के एक परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। उक्त परिवार के दो बेटे और दोनों बेटों को ऐसी बेइलाज बीमारी जिसका विश्व में कोई उपचार नहीं है। एक ऐसी बेइलाज बीमारी जो करीब 7 साल की उम्र के...
धर्मशाला (पूजा): हिमाचल प्रदेश के चम्बा जिला के जनजातीय क्षेत्र पांगी के शून गांव के एक परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। उक्त परिवार के दो बेटे और दोनों बेटों को ऐसी बेइलाज बीमारी जिसका विश्व में कोई उपचार नहीं है। एक ऐसी बेइलाज बीमारी जो करीब 7 साल की उम्र के बाद छोटे बच्चों को जकडऩा शुरू कर देती है। ऐसी ही बीमारी से हिमाचल प्रदेश के चम्बा जिला के जनजातीय क्षेत्र पांगी के शून गांव के बिट्टू कुमार के 2 छोटे बेटों को जकड़ चुकी है। इस बीमारी का नाम है मेटा क्रोमेटिक ल्योको डिस्ट्रॉफी जिसे सामान्य डाक्टरी भाषा में एम.एल.डी. के नाम से जाना जाता है।
बड़ा बेटे की 10 तो छोटे बेटे की उम्र है 7 साल
रविवार को हिमाचल बचाओ मंच के संस्थापक आर.एस. गुलेरिया व प्रदेशाध्यक्ष नरेश पाल ने पीड़ित परिवार के साथ मिलकर पत्रकार वार्ता में जानकारी देते हुए बताया कि जनजातीय क्षेत्र पांगी निवासी बिट्टू कुमार पिछले 2 वर्षों से अपने बड़े 10 वर्षीय बेटे को लेकर पी.जी.आई. चंडीगढ़ गया था और उसके टैस्ट होने के बाद डाक्टरों ने उसे इस बीमारी के बारे में बताया। विडम्बना देखिए कि इसी परिवार के छोटे बेटे जिसकी उम्र 7 साल है उसे भी इसी बीमारी ने अपनी चपेट में ले लिया है और अभी पी.जी.आई. चंडीगढ़ से उसके खून के टैस्ट हैदराबाद भेजे गए हैं, जिसकी रिपोर्ट अगस्त माह में आनी है।
3 साल तक जीवित रहेगा बड़ा बेटा, बीत चुके हैं 2 साल
2017 में बिट्टू राम का बड़ा बेटा जिसे 7 साल की उम्र में इस बीमारी ने जकड़ लिया था। उसे पी.जी.आई. के विशेषज्ञ डाक्टरों ने करीब 3 साल तक जीवित रहने को कहा है उसे अभी 2 साल हो चुके हैं और वह पूरी तरह से लाचार है न तो वह बोल सकता है और न ही चल फिर सकता है, ऐसे में पीड़ित की मां अपने बड़े बेटे की देखभाल कर रही है और दूसरे बेटे को भी जिसकी उम्र अभी मात्र 7 साल हुई है उसे भी इस बीमारी ने अपनी चपेट में ले लिया है। फिलहाल हिमाचल बचाओ मंच इस गरीब परिवार की मदद कर रहा है। हिमाचल बचाओ मंच के सदस्यों ने सरकार से मांग की है कि इस गरीब परिवार को बच्चों के इलाज के लिए सहायता राशि प्रदान की जाए और हैली टैक्सी के माध्यम से इस पीड़ित परिवार को पी.जी.आई. पहुंचाया जाए।
पी.जी.आई. में फर्श पर बिताए 5 दिन
पत्रकारों के समक्ष अपना दुख जाहिर करते हुए बिट्टू ने कहा कि वे अपने 7 वर्षीय बेटे के टैस्ट के लिए टांडा अस्पताल गया वहां से उसे पी.जी.आई. चंडीगढ़ रैफर कर दिया। पी.जी.आई. पहुंचने पर न तो उसके 7 वर्षीय बेटे को अस्पताल में एडमिट किया और न ही उन्हें बिस्तर उपलब्ध करवाया गया। बिट्टू ने कहा कि बीमारी की इस हालत में मासूम को 5 रातें फर्श पर ही गुजारनी पड़ी हैं।
ऐसी बेइलाज बीमारी का कौन जिम्मेदार
हिमाचल बचाओ मंच ने विश्व स्वास्थ्य संगठन, भारत के राष्ट्रपति, जनजातीय मंत्रालय और मुख्यमंत्री से परिवार की मदद करने की गुहार लगाई है। उन्होंने ङ्क्षचता जाहिर करते हुए कहा कि आखिर जनजातीय क्षेत्र पांगी में कैसे इस तरह की बीमारियां पनप रही हैं। चम्बा के जनजातीय क्षेत्र पांगी में स्वास्थ्य सुविधा न के बराबर होने के कारण वहां के लोगों को समय रहते बीमारियों का पता नहीं चल पाता है जिसका बाद में उपचार असंभव हो जाता है।
इस तरह फैलती है यह बीमारी
जानकारी के अनुसार एम.एल.डी. बीमारी 40 हजार पर 1 व्यक्ति में पाई जाती है। यह बीमारी दिमाग की नशों को धीरे-धीरे खत्म कर देती है जिससे पीड़ित व्यक्ति करीब 3 या 4 साल में अपनी जान गंवा देता है। इस तरह फैल रही बीमारी पर स्वास्थ्य विशेषज्ञों को जांच करनी चाहिए।