Edited By Updated: 23 Jun, 2016 10:51 AM
हिमाचल प्रदेश में चौहान वंश की कुलदेवी माता टौणी देवी का मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र बनता जा रहा है। हिमाचल, राजस्थान व अन्य राज्यों से लोग यहां मन्नत मांगने आते हैं।
हमीरपुर: हिमाचल प्रदेश में चौहान वंश की कुलदेवी माता टौणी देवी का मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र बनता जा रहा है। हिमाचल, राजस्थान व अन्य राज्यों से लोग यहां मन्नत मांगने आते हैं।
टौणी देवी माता सच्चे मन से मन्नत मांगने वालों को कभी निराश नहीं करती हैं जिससे मंदिर की लोकप्रियता निरंतर बढ़ती जा रही है। 300 वर्ष से अधिक पुरानी मूर्तियों आज भी मंदिर परिसर में सुरक्षित रखी गई हैं। माना जाता है कि लगभग सवा 300 वर्ष पूर्व मुगलों के आक्रमण के बाद चौहान वंश के 12 भाई अपने धर्म को बचाने के लिए दिल्ली से आकर टौणी देवी क्षेत्र में बस गए तथा 12 ग्राम बसाए थे।
उस समय टौणी देवी क्षेत्र विकट जंगल था। भौगोलिक परिस्थितियों को मद्देनजर रखते हुए उन्होंने निर्माण कार्य शुरू किया लेकिन पुरोहित ने मुगलों के डर से जानबूझकर मुहूर्त में विघ्र डाला जिससे स्तंभ गाड़ते ही उससे दूध टपका। पुरोहित पुत्र ने जब अपने पिता को यह बात बताई तो स्तंभ को और मोड़ा गया और इससे रक्त की बूंदें टपकीं।
इससे चौहान वंश के भाई भड़क गए और उन्होंने पुरोहित को खरी-खोटी सुनाई। इस दौरान घर आए एक मेहमान की मृत्यु हो गई। चौहान भाइयों की एक बहन भी थी जिसे भाभियों ने बुरा-भला कहा और इसके लिए उसे उत्तरदायी ठहराया। 12 भाइयों की बहन साक्षात देवी रूप व भगवान की भक्त थी। भाई बहन को देवी के रूप में पूजते थे। बहन को कानों से सुनाई नहीं देता था। बुरा-भला कहने पर वह टौणी देवी आकर भगवान की पूजा करने लगी और इसी स्थान पर भूमिगत हो गई थी।