Edited By Updated: 16 Aug, 2016 04:33 PM
हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के शहीद सूबेदार बलदेव कुमार शर्मा के परिवार को आज तक सरकार की ओर से आश्वासन...
बिलासपुर: हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के शहीद सूबेदार बलदेव कुमार शर्मा के परिवार को आज तक सरकार की ओर से आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला। पूर्व सैनिक कल्याण मंत्री ने 5 लाख रुपए व एक बच्चे को सरकारी नौकरी देने का आश्वासन दिया है, पर अभी तक कुछ नहीं हुआ है। देश की रक्षा के लिए झंडूता के गांव नाघ्यार (मरूड़ा) के सूबेदार बलदेव कुमार शर्मा ने सीने पर गोलियां खाकर शहादत का जाम पिया था।
सूबेदार बलदेव कुमार शर्मा मणिपुर के जिला चंदेल में 29वीं वाहिनी असम रायफल में तैनात थे। सूबेदार बलदेव कुमार मणिपुर के चंदेल जिला में 22 मई 2016 को उग्रवादियों से लोहा लते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे। बलदेव कुमार शर्मा अपने 5 साथियों के साथ जिला चंदेल मणिपुर में एरिया रैकी करने के लिए गए थे। इस दौरान घात लगाकर बैठे उग्रवादियों ने हिंद सेना के जवानों पर हमला बोल दिया। सूबेदार बलदेव सहित उनके साथियों ने उग्रवादियों की ओर से हो रही फायरिंग का डटकर जवाब दिया। इस दौरान वीरता से लड़ते हुए सूबेदार बलेदव कुमार शहीद हो गए।
सूबेदार बलदेव कुमार शर्मा 28 अप्रैल, 2016 को ही छुट्टी काटकर यूनिट में गए थे। उन्होंने अक्तूबर माह में दोबारा छुट्टी आने का वादा किया था, लेकिन होनी को कौन टाल सकता है। 25 मई को उनका पार्थिक शरीर तिरंगे में लिपटा हुआ असम रायफल के जवानों के कंधों पर घर के आंगन में पहुंचा तो शहीद की पत्नी अरुणा देवी, पुत्र विवेक व पुत्री प्रियंका को विश्वास नहीं हो रहा था। वहां पर माहौल गमगीन हो गया था। हर किसी की आंखें नम थीं। शहीद बलदेव का अंतिम संस्कार 25 मई को सरयाली खड्ड में किया गया। बलदेव कुमार शर्मा का जन्म 11 फरवरी 1961 को ग्राम पंचायत नाघ्यार के गांव मरुड़ में हुआ था। उनके पिता का नाम किरपा राम व माता का नाम सीता देवी था।
बलदेव कुमार शर्मा की पढ़ाई राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला तलाई में हुई थी। बलदेव कुमार सदैव पढ़ाई में भी अव्वल रहते थे। उनका मन में पढ़ाई के दौरान ही सेना में भर्ती होकर देश सेवा करने की उमंग थी। 19 जून, 1980 को बलदेव कुमार शर्मा असम रायफल में भर्ती हो गए थे। शहीद की पत्नी अरुणा देवी ने मंत्री से निवेदन किया था कि तलाई स्कूल का नाम उनके पति शहीद सूबेदार बलदेव कुमार शर्मा के नाम से रखा जाए, लेकिन आज तक सरकार की ओर से आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला। अधिकारिता मंत्री ने 5 लाख रुपए व एक बच्चे को सरकारी नौकरी देने का आश्वासन दिया है, पर कुछ नहीं हुआ।