165 साल में पहली बार बिजली पैदा करेगा शिमला नगर निगम, जानिए कैसे?

Edited By Updated: 27 Oct, 2016 10:46 AM

municipal corporation bharayaal garbage plant

भरयाल कूड़ा संयंत्र में नगर निगम 6 दिसम्बर से विद्युत उत्पादन करेगा।

शिमला: भरयाल कूड़ा संयंत्र में नगर निगम 6 दिसम्बर से विद्युत उत्पादन करेगा। विद्युत बोर्ड के साथ एलीफेट एनर्जी कंपनी के हुए एग्रीमैंट के तहत दिसम्बर से विद्युत उत्पादन किया जाना है, जिसके लिए कंपनी ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। जर्मनी की एलीफेट एनर्जी कंपनी के साथ साइन हुए एम.ओ.यू. के तहत कंपनी कूड़े से 2.5 मैगावाट बिजली पैदा करेगी, जिसे विद्युत बोर्ड 7.90 रुपए प्रति यूनिट की दर से खरीदेगा। ऐसा पहली बार होगा, जब शिमला में कूड़े से कोई कंपनी बिजली पैदा करेगी। 


विद्युत बोर्ड आगामी 20 वर्षों के लिए इस कंपनी से बिजली खरीदेगा। इसके लिए बीते 16 मई को कंपनी व बोर्ड के बीच समझौता साइन किया गया था। इसके बाद से कंपनी ने भरयाल कूड़ा संयंत्र की मुरम्मत करने का कार्य शुरू कर दिया था और कंपनी ने अब कूड़ा संयंत्र को चालू कर दिया है। निगम शहर का पूरा कचरा संयंत्र में ही डंप कर रहा है। अभी कंपनी केवल कूड़े का ही निष्पादन कर रही है, जबकि 6 दिसम्बर से कूड़े से बिजली पैदा करने का कार्य शुरू कर दिया जाएगा। 


जर्मनी की एलीफेट एनर्जी कंपनी भरयाल कूड़ा संयंत्र की मुरम्मत कर आगामी 20 वर्षों तक संयत्र का संचालन करेगी। कंपनी प्लांट पर करीब 42 करोड़ रुपए खर्च करेगी, इसके एवज में निगम ने 20 वर्षों तक प्लांट को कंपनी को लीज पर दे दिया है, साथ ही रोजाना 70 से 100 टन कूड़ा निगम को कंपनी को ऊर्जा उत्पन्न करने को देगा होगा। नगर निगम आयुक्त पंकज राय ने कहा कि भरयाल कूड़ा संयंत्र में 6 दिसम्बर से कूड़े से बिजली पैदा की जाएगी। बोर्ड व कंपनी के बीच साइन हुए एम.ओ.यू. के तहत कूड़े से पैदा होने वाली बिजली को प्रदेश सरकार 7.90 रुपए प्रति यूनिट की दर से खरीदेगी। 


प्लानिंग एरिया की वाटर स्कीमों पर कानूनी सलाह लेगा एम.सी.
उधर, प्लानिंग एरिया की वाटर स्कीमों बारे नगर निगम कानूनी सलाह लेगा और इसके बाद ही इस मामले पर कोई अंतिम फैसला लिया जाएगा। बुधवार को मामले को लेकर आयोजित एफ.सी.पी.सी. की बैठक में यह फैसला लिया गया। बैठक की अध्यक्षता करते हुए निगम के  महापौर संजय चौहान ने मामले पर पहले कानूनी सलाह लेने के आदेश दिए हैं, इसके बाद मामले को दोबारा एफ.सी.पी.सी. के समक्ष स्वीकृति के लिए रखा जाएगा। इस एम.ओ.यू. में जहां सर्कल के संचालन को लेकर तीनों विभागों की जिम्मेदारी तय होगी, वहीं प्लानिंग एरिया की स्कीमों के रख-रखाव एवं मुरम्मत को ग्रांट इन एड का फैसला होगा। 


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