Edited By Updated: 30 Sep, 2016 11:43 AM
पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक के बाद हिमाचल में भी एहतियातन तौर पर सुरक्षा पहरा बढ़ा दिया गया है।
शिमला: पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक के बाद हिमाचल में भी एहतियातन तौर पर सुरक्षा पहरा बढ़ा दिया गया है। इसके तहत मुख्य रूप से पड़ोसी राज्य जम्मू-कश्मीर और लेह-लद्दाख के साथ लगती लाहौल-स्पीति की सीमाओं पर विशेष चौकसी बरती जा रही है। इसी तरह चम्बा बार्डर की सभी आप्रेशनल चैकपोस्टों को भी अलर्ट पर रखा गया है।
पठानकोट में बीते दिन सेना की वर्दी में देखे गए संदिग्धों के बाद पंजाब और हिमाचल पुलिस एक-दूसरे के संपर्क में हैं। इसके साथ ही पंजाब के साथ लगती सीमाओं पर भी अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किया गया है और कई स्थानों पर सर्च आप्रेशन भी चलाए गए हैं। इसके साथ ही शनिवार से शुरू होने वाले नवरात्रों को देखते हुए पुलिस मुख्यालय से सभी जिला पुलिस अधीक्षकों को कड़े दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं और देवभूमि हिमाचल के मंदिरों में सुरक्षा पहरा बढ़ा दिया गया है।
मुख्य रूप से शक्तिपीठों सहित अन्य मंदिरों में स्थिति अनुसार सुरक्षा बल तैनात करने को कहा गया है। नवरात्रों के दौरान श्रद्धालुओं के भेष में कोई संदिग्ध सक्रिय न हो उसको लेकर सभी थाना और चौकी पुलिस को अलर्ट रहने की हिदायत जारी की गई है। इसके साथ ही प्रदेश के प्रवेश द्वारों पर भी चौकसी बढ़ा दी गई है। इसी तरह त्वरित कार्रवाई दलों व स्पैशल एक्शन ग्रुप सहित अन्य दस्तों को भी व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
सादे कपड़ों में तैनात रहेंगे जवान
नवरात्रों के दौरान मंदिरों के मुख्य स्थानों पर सादे कपड़ों में भी जवान तैनात रहेंगे। इसको लेकर जवानों की तैनाती सुनिश्चित कर दी गई है। इसके साथ ही जेबकतरों से निपटने के लिए भी व्यापक रणनीति तैयार की गई है और मंदिर कमेटियों को सभी मुख्य स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने को कहा गया है ताकि सभी गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जा सके।
आज भी जहन में सतरुंडी आतंकी वारदात
226 किलोमीटर लंबे चम्बा बार्डर की निगरानी करना पुलिस के लिए चुनौती से कम नहीं है। देखा जाए तो 23 जून, 1993 को चम्बा बार्डर पर आतंकी कदम पड़े थे। इस दौरान किहार सैक्टर के जलाड़ी स्थान पर पुलिस और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ हुई थी। इसके एक दिन बाद 30 जून, 1993 को रात को पांगी सैक्टर के चील कोटधार में दहशतगर्दों ने फिर हथियारों के दम पर मजदूरों से नकदी लूटी और फरार हो गए। इसके बाद 14 सितम्बर, 1993 की रात को उग्रवादियों ने तीसा सैक्टर के सिंगड़ाधार में पुलिस पर हमला बोल दिया। इसके बाद 2 अगस्त, 1998 की रात को आतंकियों ने कालाबन में 24 और सतरुंडी में 11 लोगों का कत्ल करके प्रदेश की सबसे बड़ी आतंकी घटना को अंजाम दिया। इसी तरह बीच-बीच में बार्डर एरिया में संदिग्धों को देखे जाने के मामले भी सामने आते रहे हैं।
क्या कहते हैं आईजी लॉ एंड आर्डर
आईजी कानून एवं व्यवस्था एस. जहूर हैदर जैदी बताते हैं कि उड़ी आतंकी हमले के बाद हिमाचल की पड़ोसी राज्यों के साथ लगती सीमाओं सहित अन्य स्थानों पर पहले ही सतर्कता बरती जा रही है। उन्होंने बताया कि नवरात्रों को देखते हुए भी सभी जिला अधिकारियों को व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।