हिमाचल विधानसभा के शीत सत्र का पहला दिन चढ़ा हंगामे की भेंट, BJP का वॉकआउट (PICS)

Edited By Updated: 01 Dec, 2015 11:51 AM

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हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र का पहला दिन हंगामे की भेंट चढ़ गया।

तपोवन (धर्मशाला): हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र का पहला दिन हंगामे की भेंट चढ़ गया। बताया जा रहा है कि सत्र शुरू होने पर शोकोद्गार के बाद महज 25 मिनट तक ही सदन की कार्यवाही चली। विपक्ष ने चर्चा न होने और स्थगन प्रस्ताव मंजूर न होने के विरोध में नारेबाजी के बीच पहले ही दिन वॉकआउट किया। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर सी.बी.आई. और ई.डी. जैसी कार्रवाई पर सदन में चर्चा की मांग और काम रोको प्रस्ताव लेकर आए विपक्ष को इसकी अनुमति न मिलने पर सदन में जमकर शोर-शराबा और नारेबाजी की गई। सदन की कार्यवाही सोमवार को दोपहर 2 बजे आरंभ हुई।


राष्ट्रीय गान के बाद पूर्व विधायक चौधरी लज्जा राम के निधन पर शोक प्रस्ताव पर शोक प्रकट करने के उपरांत ज्यों ही सदन की कार्यवाही प्रश्नकाल के रूप में आरंभ हुई, विपक्ष की ओर से विधायक राजीव बिंदल ने वि.स. अध्यक्ष से काम रोको प्रस्ताव की मांग की। विधायक बिंदल ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल तथा अन्य विधायकों की तरफ से स्थगन प्रस्ताव दिया गया है तथा मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के खिलाफ सी.बी.आई. और ई.डी. की कार्रवाई पर चर्चा होनी जरूरी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश का यह पहला बड़ा मामला है और इतने बड़े मामले पर विपक्ष चर्चा चाहता है।


इस पर संसदीय कार्य मंत्री मुकेश अग्रिहोत्री ने आपत्ति जताई, उन्होंने सदन में नियमों का हवाला देते हुए ऐसी किसी भी चर्चा से इन्कार किया। उन्होंने नियमों के उल्लेख किताब का हवाला देते हुए कहा कि इस प्रकार की चर्चा की इजाजत नहीं दी जा सकती है। इस दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जबरदस्त नोक-झोंक हुई। दोनों तरफ से विधायकों के जोर-जोर से बोलने की वजह से कुछ देर के लिए स्थिति तनावपूर्ण हो गई। इसी बीच विस अध्यक्ष ने नियमों का हवाला देते हुए विपक्ष के स्थगनादेश प्रस्ताव को नामंजूर और विपक्ष द्वारा की गई चर्चा की मांग को खारिज कर दिया। इससे नाराज विपक्षी विधायक अपनी-अपनी सीटों पर खड़े होकर नारेबाजी करने लगे।


कुछ विधायकों के हाथ में स्लोगन लिखे हुए पत्र थे, जिन्हें वह हवा में लहराने लगे। विपक्ष के इसी शोर-शराबे और नारेबाजी के बीच प्रश्नकाल चलता रहा। हालांकि इसमें कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था। मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों एवं दूसरे सत्ता पक्ष के विधायकों ने ईयरफोन लगाकर सुनने का प्रयास किया। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने भी शोर-शराबे के बीच ईयरफोन लगाकर एक सवाल का जवाब पढ़ कर सुनाया। अपनी मांग पूरी न होने पर विधायक कुछ देर सदन के भीतर रहे और नारेबाजी करते हुए प्रतिपक्ष के नेता प्रेम कुमार धूमल सहित सदन से वाकआऊट कर गए। काफी देर तक विपक्ष सदन के बाहर नारेबाजी कर मुख्यमंत्री वीरभद्र के इस्तीफे की मांग करता रहा। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री सहित संसदीय कार्य मंत्री ने सदन में विपक्ष के इस हंगामे और आचरण को गलत करार दिया। उन्होंने कहा कि न्यायालय में विचाराधीन मामलों को उठाकर विपक्ष मनमानी कर रहा है। नियमों के तहत न्यायालय में विचाराधीन मामलों पर चर्चा नहीं की जा सकती है। 

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