Edited By Punjab Kesari, Updated: 17 Nov, 2017 12:34 PM
भारत शुरू से ही किसानों का देश रहा है और यहां पहले से ही लोग कृषि पर निर्भर रहे हैं लेकिन हमेशा की तरह आज भी किसानों के साथ अन्याय हो रहा है। खेतों में किसान खूब खून-पसीना बहाकर 3-4 महीनों के इंतजार के बाद फसल को तैयार करते हैं और एक नई उमंग के साथ...
हमीरपुर: भारत शुरू से ही किसानों का देश रहा है और यहां पहले से ही लोग कृषि पर निर्भर रहे हैं लेकिन हमेशा की तरह आज भी किसानों के साथ अन्याय हो रहा है। खेतों में किसान खूब खून-पसीना बहाकर 3-4 महीनों के इंतजार के बाद फसल को तैयार करते हैं और एक नई उमंग के साथ सब्जी मंडी में अपने सामान के उचित मूल्य प्राप्त करने के लिए बहुत आशा लेकर पहुंचते हैं, लेकिन उनकी यह आशा तब चकनाचूर हो जाती है, जब उन्हें अपना सारा सामान कौड़ियों के भाव बड़े व्यापारियों को बेचना पड़ता है। किसानों को उनका मेहनताना सही तरह से मिले, इसके लिए सरकार ने ऑनलाइन ई-एन.ए.एम. (इलैक्ट्रॉनिक नैशनल एग्रीकल्चर मार्कीट) यानी राष्ट्रीय कृषि बाजार की शुरूआत की है, जिसमें किसानों को उनकी फसल का जायज मूल्य दिया जाएगा जिससे उनकी आर्थिक दशा सुधरेगी और उन्हें देश में सम्मान भी मिलेगा।
हिमाचल में ई-एन.ए.एम. का भविष्य
यह योजना देश में 2016 में शुरू की गई। इसके तहत सभी राज्यों को ई-एन.ए.एम. के साथ जोड़कर भारत में ऑनलाइन कृषि को बढ़ाने व किसानों को ज्यादा से ज्यादा फायदे देने लिए एक शुरूआत की गई है। इसके तहत अभी देश के 13 राज्यों के 455 ए.पी.एम.सी. को ई-एन.ए.एम. के साथ जोड़ा जाएगा। हिमाचल में भी इसकी शुरूआत हो चुकी है जिसके तहत सभी जिलों में किसानों को इस योजना के साथ जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिए कैंप लगाए जा रहे हैं व लोगों को इस योजना से अवगत करवाया जा रहा है। इसी के तहत हमीरपुर जिला में इस वर्ष अब तक कुल 9 कैंप लगाए जा चुके हैं जिनमें 900 से ज्यादा किसानों की भागीदारी रही व उनको इस योजना व ऑनलाइन प्रक्रिया के बारे में बताया गया।
क्या है ई-एन.ए.एम..
इस व्यवस्था के जरिए लोगों को ऑनलाइन अपने उत्पादों को बेचने की सुविधा दी जा रही है। इसके दौरान सभी किसानों व व्यापारियों को ई-एन.ए.एम. में रजिस्टर करके उनकी आई.डी. बना दी जाएगी जिस पर वे अपने सारे उत्पादों का लेन-देन कर सकेंगे। इस सुविधा की मदद से किसानों से जो पैसे कमीशन एजैंट लेते थे, उससे किसानों को निजात मिलेगी और उस पैसे को भी अपनी आमदनी में जोडऩे का जरिया किसानों को मिलेगा।
कैसे काम करेगा ई-एन.ए.एम.
रजिस्टर की गई आई.डी. को खोलकर उसे किसान के अकाऊंट से जोड़ा जाएगा। कोई भी रजिस्टर किसान अपनी आई.डी. खोलकर उसमें अपने उत्पादों की जानकारी दे पाएगा जिसकी बुनियाद पर ही उन उत्पादों को व्यापारी खरीदेंगे। इसमें किसान को उत्पाद का नाम और उसकी मात्रा का विवरण देना पड़ेगा। उस उत्पाद को सब्जी मंडी की लैब में टैस्ट करवा कर उसकी गुणवत्ता के बारे में जानकारी विभाग देगा जिसका विवरण किसान की आई.डी. पर दे दिया जाएगा। उसी गुणवत्ता व मात्रा के आधार पर उस उत्पाद को ऑनलाइन बेचा जाएगा। उत्पाद की सारी जानकारी आई.डी. में डालने के बाद किसान अपने उत्पाद को बाजार में बेचने के लिए उतारेगा व उसकी न्यूनतम कीमत भी तय कर देगा। इसके बाद सभी खरीदकार उस उत्पाद को किसान की दी हुई जानकारी के आधार पर खरीदना शुरू कर देंगे व जो उस निर्धारित समय के बीच में उस उत्पाद को सबसे ज्यादा कीमत पर खरीदेगा उसे उत्पाद बेच दिया जाएगा व उसकी कीमत वह खरीददार ऑनलाइन ही किसान के अकाऊंट में ट्रांसफर भी कर देगा। इससे किसान का समय बचेगा व उसे उसके उत्पाद की अच्छी कीमत भी मिलेगी। इस सब प्रक्रिया में ज्यादा से ज्यादा 15 मिनट का समय लगेगा और किसानों के लिए यह योजना बहुत ही फायदेमंद भी होगी।