सीट जीतने के बावजूद भी हमीरपुर में पसरा सन्नाटा

Edited By Punjab Kesari, Updated: 21 Dec, 2017 03:06 PM

winning the seat in spite of as well in hamirpur silence

चुनाव परिणामों में भले ही हमीरपुर विधानसभा सीट भाजपा के खाते में गई है, जो परंपरागत रूप से उनका गढ़ रहा है। लेकिन हमीरपुर में फिर भी सन्नाटा पसरा हुआ है। इस जीत में भी वहां लोग खुशी नहीं मना रहे। वहां के लोग दुखी हैं और वे दबी जुबान से अपना दर्द...

हमीरपुर: चुनाव परिणामों में भले ही हमीरपुर विधानसभा सीट भाजपा के खाते में गई है, जो परंपरागत रूप से उनका गढ़ रहा है। लेकिन हमीरपुर में फिर भी सन्नाटा पसरा हुआ है। इस जीत में भी वहां लोग खुशी नहीं मना रहे। वहां के लोग दुखी हैं और वे दबी जुबान से अपना दर्द बयान करने से भी कतरा रहे हैं। एकाएक हमीरपुर की खुशियों को दुख में तबदील करने वाले इन चुनाव परिणामों से उनकी जनता के दिलों में जो गुबार इकट्ठा हो रहा है, कहीं न कहीं यह गुबार ज्वालामुखी की शक्ल जरूर लेगा। 


लोगों में गुस्सा इस बात को लेकर भी है कि 5 साल पूर्व मुख्यमंत्री ने जिस हमीरपुर में रात-दिन मेहनत की। हर मतदान केंद्र के व्यक्ति-व्यक्ति तक संपर्क साधा, न जाने क्यों चुनाव से मात्र 15 दिन पहले उस विस क्षेत्र से पूर्व मुख्यमंत्री को दूसरे विस क्षेत्र में चुनाव लड़ने को भेज दिया गया। लोगों को गुस्सा इस बात पर है कि पूरे प्रदेश में चुनाव प्रचार अभियान के दौरान 1-1 दिन पूर्व सी.एम. ने 3 विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी प्रत्याशियों को जिताने के लिए सभाएं कीं। उनके नेतृत्व में पार्टी को इतनी बड़ी जीत प्रदेश में मिली है लेकिन क्या खुद अपनी सीट हार गए। 


वर्षों से उपेक्षा का दंश केवल इसी बात से उनको झेलना पड़ता था कि हमीरपुर धूमल का गृह जिला है। मात्र धूमल के सत्तासीन होने पर ही इस जिला को कुछ मिल पाया है। शायद यह उनकी किस्मत है कि दशकों से भाजपा को सुदृढ़ करने वाले जिला को अब उपेक्षा का सामना करना पड़ेगा। 

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