वोटर लिस्ट के बहाने चुनाव आगे खिसकाने की तैयारी!

Edited By Updated: 29 Apr, 2017 09:15 AM

voter list on the pretext of election ahead sliding the of preparation

क्या नगर निगम शिमला के चुनाव देरी से होंगे?

शिमला: क्या नगर निगम शिमला के चुनाव देरी से होंगे? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रिज रैली के बाद यह सवाल शिमला के सियासी गलियारों में खूब तैर रहा है। इसकी गूंज राज्य सचिवालय से लेकर राज्य निर्वाचन आयोग तक सुनाई दे रही है। मोदी लहर से घबराई कांग्रेस के एक खेमे ने सरकार तक अपना संदेश पहुुंचा दिया है। सूत्रों के अनुसार इस खेमे ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से साफ तौर पर कहा है कि अगर अभी चुनाव हुए तो कांग्रेस दहाई का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाएगी, लिहाजा चुनाव को पोस्टपोन करवाया जाए। इसी कड़ी में वामपंथियों ने एक और पत्र ‘बम’ फोड़ा है। 


टिकेंद्र पंवर ने वीरभद्र को लिखा पत्र
मेयर संजय चौहान और डिप्टी मेयर टिकेंद्र पंवर ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को पत्र लिखा है। सूत्रों के अनुसार इसमें वोटर लिस्ट के बहाने चुनाव 3 महीने आगे खिसकाने की बात कही गई है। पत्र में वोटर लिस्ट में पाई गई खामियों को दुरुस्त करने के लिए 3 महीने का समय मांगा गया है। यही नहीं, इस पत्र में नगर निगम के हाऊस के प्रस्ताव का भी हवाला दिया गया है। यह हाऊस 18 अप्रैल को हुआ था। इसमें सभी पार्षद इस बात पर सहमत थे कि वोटर लिस्ट में सामने आई खामियों को ठीक करवाने के लिए वक्त चाहिए होगा। इसी प्रस्ताव को सरकार के मुखिया को भेजा गया है। हालांकि चुनाव करवाने का जिम्मा राज्य निर्वाचन आयोग का है लेकिन एम.सी. के मेयर और डिप्टी मेयर ने मौके की नजाकत को भांपते हुए वोटर लिस्ट में गड़बड़ी सुधारने के लिए समय मांगा है। इसी के आसरे उन्होंने सरकार से चुनाव तय अवधि के बाद करवाने के भी स्पष्ट संकेत दिए हैं।


5 जून को पूरा होगा निगम का कार्यकाल
इस पत्र के अपने-अपने तरीके से मायने निकाले जाएंगे। हो सकता है कि इस पर विवाद भी खड़ा हो लेकिन इसके माध्यम से वोटर लिस्ट से गायब मतदाताओं की आवाज को जरूर पुख्ता तरीके से उठाने का प्रयास हुआ है। निगम का मौजूदा कार्यकाल 5 जून को पूरा हो रहा है। मोदी की रैली के बाद जिस तरह के हालात शिमला के भीतर निर्मित हो रहे हैं, उससे सत्ताधारी दल के होश फाख्ता हो चले हैं। कांग्रेस को समझ ही नहीं आ रहा है कि वह करे तो क्या करे? कांग्रेस अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू तो चुनावी परिदृश्य से ही गायब हैं। उनका तो निगम चुनाव को लेकर एक बयान तक नहीं आया है। सुक्खू भाजपा के चुनावी रणनीति का तोड़ अभी तक नहीं खोज पाए हैं। अगर वह अभी तक सक्रिय नहीं हैं तो इसके पीछे राजनीतिक कारण भी जिम्मेदार हो सकते हैं। 


चुनाव पोस्टपोन ही हों, यह भी पक्का तय नहीं
एक कारण यह भी हो सकता है कांग्रेस अध्यक्ष भी अभी चुनाव करवाने के पक्ष में नहीं हों। उन्होंने निगम चुनाव पार्टी सिंबल पर या इसके बगैर करवाने पर भी अपनी राय नहीं रखी है। उनकी चुप्पी बगैर बोले ही काफी कुछ बयान कर रही है। हालिया भोरंज उपचुनाव में भाजपा ने फिर से बाजी मारी थी। हार के इस सदमे से भी संगठन के मुखिया उबर नहीं पाए होंगे। इससे भाजपा के हौसले और बुलंद हो गए हैं। इसके बाद शिमला रैली ने कार्यकत्र्ताओं के भीतर नई जान फूंक दी है। न केवल कार्यकर्ता बल्कि तटस्थ लोगों में भी मोदी के प्रति आकर्षण बढ़ा है। इस जमीनी सच्चाई को कांग्रेस भी समझ ही रही होगी। तभी पार्टी का एक धड़ा न तो पार्टी सिंबल पर चुनाव चाहता है और न ही अभी चुनाव करवाने के पक्ष में है। हालांकि चुनाव पोस्टपोन ही हों, यह भी पक्का तय नहीं है। 


पार्टी सिंबल पर चुनाव नहीं चाहते सुधीर शर्मा
सरकार के पास हाल ही में कांग्रेस का एक ऐसा खेमा भी पहुंचा जिसने पार्टी पर चुनाव करवाने की पैरवी की। इसमें कसुम्पटी के विधायक अनिरुद्ध सिंह भी एक थे। उन्होंने तो मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को इस बारे में बाकायदा पत्र भी लिखा था। इसमें न केवल पार्टी सिंबल पर चुनाव करवाने की मांग की गई बल्कि आरक्षण रोस्टर भी ड्रॉ सिस्टम से करवाने का आग्रह किया गया था। सी.एम. ने पार्टी सिंबल पर चुनाव करवाने के संकेत दिए थे परंतु मोदी रैली के बाद कांग्रेस के समीकरण गड़बड़ाने के बाद सरकार और कन्फ्यूज हो गई है। सूत्रों के अनुसार शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा पार्टी सिंबल पर चुनाव नहीं चाहते हैं। उनका इस बारे में पहले से ही स्पष्ट स्टैंड है। सुधीर सी.एम. के सिपहसालार माने जाते हैं। उनकी हर बात को तवज्जो मिलती है। शर्मा इस बारे में धर्मशाला पैटर्न को ही लागू करने की वकालत कर रहे हैं। रोस्टर को भी आबादी आधारित नहीं ड्रा वाले सिस्टम के पक्ष में हैं। धर्मशाला में वार्डों का आरक्षण ड्रा सिस्टम से हुआ था। मंत्री ने धर्मशाला में जो मंत्र दिया था, वह कारगर भी रहा था परंतु शिमला के हालात वहां से पूरी तरह से अलग हैं। तब से अब तक कई राज्यों के स्थानीय निकायों में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन किया है। दिल्ली में एम.सी.डी. चुनाव में तीसरी मर्तबा जीत से तो भाजपाइयों का मनोबल और बढ़ गया है। अगर चुनाव पार्टी सिंबल पर न भी हुए तो फिर भी भाजपा समर्थक उम्मीदवारों को उतारेगी। 


मोदी लहर से सरकी कांग्रेसियों की हवा
भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष गणेश दत्त का कहना है कि मोदी की शिमला रैली से निगम चुनाव में भगवा सुनामी चलेगी। मोदी की इस सुनामी के डर से कांग्रेसियों की अभी से हवा सरक गई है। पार्टी चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार है तथा चुनाव पार्टी सिंबल पर होने चाहिएं लेकिन कांग्रेस सरकार को हर तरफ से डर ही डर सता रहा है। भाजपा की रणनीति और सांगठनिक क्षमता और ताकत का कांग्रेस के पास कोई तोड़ नहीं है। अगर अभी चुनाव हुए तो कांग्रेस दहाई का आंकड़ा भी छू नहीं पाएगी। निगम चुनाव में माकपा के शासन का भी खात्मा होगा। दत्त के अनुसार वामपंथियों ने जनता से जो भी वायदे किए थे, वे सभी अधूरे रहे हैं। इसका खमियाजा उन्हें चुनाव में भुगतना ही होगा।

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