वीरभद्र के चुनाव मैदान में उतरते ही बदल गई सियासत

Edited By Punjab Kesari, Updated: 10 Aug, 2017 09:11 AM

virbhadra of constituency in the moment changed politics

रोहड़ू विधानसभा क्षेत्र के आरक्षित होने के कारण मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने....

शिमला: रोहड़ू विधानसभा क्षेत्र के आरक्षित होने के कारण मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने वर्ष, 2012 में शिमला ग्रामीण से चुनाव लड़ा और बड़ी आसानी से जीत भी दर्ज कर ली। उस समय वीरभद्र सिंह के मुख्यमंत्री बनने की संभावना को देखते हुए लोगों ने कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया और वे 20,000 के अंतर से चुनाव जीत गए। उनकी इस जीत में विधानसभा क्षेत्र के कर्मचारियों, किसानों व पशुपालकों का मुख्य योगदान रहा। इसके चलते कांग्रेस सरकार बनते ही विधानसभा क्षेत्र के लोगों की समस्याओं के निवारण के लिए प्रदेश सचिवालय में अलग से व्यवस्था की गई। मुख्यमंत्री के कई बार विधानसभा क्षेत्र का स्वयं दौरा करके करोड़ों रुपए की परियोजनाएं जनता को समर्पित की लेकिन बेरोजगारी व कृषि को जंगली जानवरों की तरफ से हो रहे नुक्सान से लोग आज भी परेशान हैं। 


युवा बेरोजगारों को इस वजह से नहीं मिल पाई नौकरी
सरकार के सीमित संसाधन होने के कारण आशा के अनुरूप युवा बेरोजगारों को नौकरी नहीं मिल पाई, हालांकि स्वरोजगार पैदा करने के अधिक अवसर जरूर मिले। इस बार कयास लगाए जा रहे हैं कि मुख्यमंत्री वीरभद्र के पुत्र एवं युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष विक्रमादित्य सिंह यहां से अपनी सियासी पारी शुरू कर सकते हैं। इसके लिए वे बार-बार विधानसभा क्षेत्र का दौरा भी कर रहे हैं, ऐसे में यदि वे शिमला ग्रामीण से चुनाव मैदान में उतरते हैं तो मुख्यमंत्री को किसी दूसरे विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ना होगा। विधानसभा क्षेत्र में बेरोजगारी व जंगली जानवरों की समस्या के साथ स्वास्थ्य, शिक्षा और बिजली बोर्ड में खाली पदों का पड़े रहना भी एक प्रमुख समस्या है। चुनाव में भी खाली पदों का होना, कर्मचारी, किसानों व पशुपालकों की समस्याएं एक बार फिर चुनावी मुद्दे होंगे। 


कुटासनी में क्रिकेट स्टेडियम का निर्माण कार्य पूरा न होने से लोगों में निराशा
कुटासनी में क्रिकेट स्टेडियम का निर्माण कार्य पूरा न होने से भी लोगों में निराशा है, जिसे भाजपा मुख्य चुनावी मुद्दे के रूप में अभी से भुनाने में जुट गई है। शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र पहले कसुम्पटी विधानसभा क्षेत्र के नाम से अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित था। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निर्वाचित होने से पहले विधानसभा क्षेत्र से सोहन लाल, रूपदास कश्यप, शौंकिया राम कश्यप, चिंरजी लाल और बालक राम विधायक रहे। रूपदास कश्यप पूर्व भाजपा में राज्य मंत्री भी रहे। विधानसभा क्षेत्र में रूपदास कश्यप और सोहन लाल निर्दलीय विधायक के रूप में भी चुनाव जीते हैं। अब विधानसभा क्षेत्र के अनारक्षित होने से यहां पर अन्य वर्ग के लोगों को भी चुनाव मैदान में उतरने का अवसर मिला है। विधानसभा क्षेत्र में करीब 51 पंचायतें, 1 नगर परिषद, 1 आर्मी कंटोनमैंट वार्ड जतोग और नगर निगम शिमला के 4 वार्ड आते हैं।


विक्रमादित्य चुनाव मैदान में उतरने को तैयार
सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के पुत्र एवं युवा कांग्रेस अध्यक्ष विक्रमादित्य सिंह इस बार शिमला ग्रामीण से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि अब तक कांग्रेस पार्टी और मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने उनके यहां से चुनाव लड़ने की औपचारिक घोषणा नहीं की है। इतना जरूर है कि कई बार विधानसभा क्षेत्र कर्मचारी एवं नेताओं की इस मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री के आवास पर बैठकें हो चुकी हैं। स्वयं विक्रमादित्य सिंह भी जनता का समर्थन प्राप्त करने के लिए उनके बीच लगातार जा रहे हैं।


चुनाव में मुख्य मुद्दे
विधानसभा चुनाव में कर्मचारी, किसान व पशुपालकों की समस्या के अलावा पेयजल एवं सिंचाई योजनाओं को उपलब्ध करवाना प्रमुख मुद्दा है। इसी तरह बेरोजगारी और शिक्षा, स्वास्थ्य तथा ब्लॉक स्तर पर खाली पदों का होना भी प्रमुख मुद्दा है। कुटासनी स्टेडियम के निर्माण कार्य के अटकने और विकास कार्य में भेदभाव के भाजपा आरोप लगाती रही है। भाजपा का तर्क है कि मुख्यमंत्री की तरफ से अधिकांश घोषणाएं सुन्नी और बसंतपुर क्षेत्र को ध्यान में रखकर की गई हैं जबकि घणाहट्टी, टुटू, तारादेवी और शोघी क्षेत्र की तरफ अधिक ध्यान नहीं दिया जा रहा।


करोड़ों की योजनाएं समर्पित कर चुके हैं मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में करोड़ों रुपए की योजनाएं या तो जनता को समर्पित कर चुके हैं या फिर इसका कार्य प्रगति पर है। शिमला ग्रामीण के लोगों के लिए प्रदेश सचिवालय में अलग से व्यवस्था की गई है। मुख्यमंत्री को जब भी समय मिलता है, तो वे विधानसभा क्षेत्र का दौरा करने के लिए निकल पड़ते हैं। इसी तरह युवा कांग्रेस अध्यक्ष विक्रमादित्य सिंह स्वयं जनता से मिलकर उनकी समस्याओं को जानने और उसका निवारण करने का प्रयास कर रहे हैं।

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