आज इतनी बलियों के साथ होगा कुल्लू दशहरा उत्सव का समापन, ये होंगे Chief Guest

Edited By Punjab Kesari, Updated: 06 Oct, 2017 12:29 AM

today kullu dussehra celebration will closing with so many sacrifices

लंका दहन के साथ शुक्रवार को अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव का समापन होगा। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह समापन समारोह के मुख्यातिथि होंगे।

कुल्लू: लंका दहन के साथ शुक्रवार को अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव का समापन होगा। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह समापन समारोह के मुख्यातिथि होंगे। शुक्रवार को अधिष्ठाता रघुनाथ जी की भव्य रथयात्रा होगी। दशहरा उत्सव के श्रीगणेश मौके पर रघुनाथ जी को भव्य रथ में उनके अस्थायी शिविर तक लाया गया और उसके बाद से रथ अस्थायी शिविर के पास ही खड़ा है। शुक्रवार को उत्सव के अंतिम दिन रघुनाथ जी इस रथ में सवार होकर लंका दहन के लिए निकलेंगे। हजारों लोग रथ को कैटल मैदान तक ले जाएंगे और इसके बाद कुल्लू का राजपरिवार, देवी हिम्डिबा व अन्य देवी-देवताओं के साथ लंका बेकर की ओर प्रस्थान करेंगे। लंका बेकर में 7 बलियों के साथ लंका दहन की रस्म को निभाया जाएगा। प्रतीक  के तौर पर झाडिय़ों को जलाया जाएगा। 

वर्ष 2014 से लगी थी बलि पर पाबंदी
हालांकि अक्तूबर, 2014 के दशहरा उत्सव से लेकर बलि पर पाबंदी होने के कारण बलि नहीं हुई लेकिन इस बार रघुनाथ जी के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने बलि प्रथा पर अंतरिम राहत देते हुए बलि के आयोजन की अनुमति आगामी आदेशों तक दी है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने जिला प्रशासन और नगर परिषद को लंका बेकर में एक इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने के आदेश दिए हुए हैं ताकि बलि को पर्दे में करवाया जा सके। अपील के दौरान महेश्वर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में तर्क दिया था कि अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव हजारों लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है। इस उत्सव में बलि करीब सन् 1660 से लेकर होती आ रही है। इस तर्क पर ही सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम राहत देते हुए कुछ कड़े आदेश भी जारी किए। प्रशासन और नगर परिषद ने बलि के लिए लंका बेकर में इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार कर रखा है। 

बलि के बाद रथ में सवार हो आएंगे रघुनाथ
लंका बेकर में बलि के बाद रघुनाथ जी रथ में सवार होकर वापस रथ मैदान में आएंगे और फिर हजारों लोग रघुनाथ जी को रघुनाथपुर स्थित मंदिर लेकर जाएंगे। जय श्रीराम के उद्घोष के साथ होने वाली रथयात्रा के दौरान इस भव्य देव समागम के हजारों लोग साक्षी बनेंगे। कई देवी-देवता रथयात्रा में हिस्सा लेंगे। रथ की डोर को स्पर्श कर पुण्य कमाने के लिए हजारों हाथ आगे बढ़ेंगे और रघुनाथ जी की रथयात्रा को संपन्न करवाएंगे। लंका दहन के साथ ही उत्सव में आए सभी देवी-देवता अपने-अपने देवालयों को प्रस्थान करेंगे। 

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