एशिया महाद्वीप के सबसे ऊंचे पैट्रोल पंप में आई यह मुसीबत, जानने के लिए पढ़ें खबर

Edited By Punjab Kesari, Updated: 29 Jun, 2017 12:10 AM

this trouble occurred in highest petrol pump in the asia  read news to know

कठिन परिस्थितियों के बीच जनजातीय स्पीति उपमंडल मेें डीजल-पैट्रोल व मिट्टी तेल की आपूर्ति बंद हो जाने से काजा स्थित खाद्य एवं आपूर्ति निगम का पैट्रोल पंप ड्राई हो गया है...

उदयपुर: कठिन परिस्थितियों के बीच जनजातीय स्पीति उपमंडल मेें डीजल-पैट्रोल व मिट्टी तेल की आपूर्ति बंद हो जाने से काजा स्थित खाद्य एवं आपूर्ति निगम का पैट्रोल पंप ड्राई हो गया है। पैट्रोल पंप में ईंधन न मिलने से गाडिय़ों के पहिए जहां थमने लगे हैं, वहीं मिट्टी तेल के अभाव में बड़ी तादाद में बाहरी लेबरों को यहां भूखे मरने की नौबत आ गई है। जानकारी के अनुसार हिंदोस्तान-तिब्बत राष्ट्रीय राजमार्ग के आकपा में बी.आर.ओ. ने एक पुल को असुरक्षित घोषित करते हुए स्पीति आ रहे तेल के टैंकर कई दिनों से किन्नौर में रोक दिए हैं। 

12 टन तक के वाहनों को दी गुजरने की अनुमति
असुरक्षित पुल पर बी.आर.ओ. ने केवल 12 टन तक के वाहनों को गुजरने की अनुमति दी है, ऐसे में किन्नौर से भारी-भरकम टैंकरों को काजा तक लाना स्पीति प्रशासन के सामने चुनौतीपूर्ण कार्य बन गया है। प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि आकपा में रोके गए टैंकरों की वजह से स्पीति में तेल की किल्लत हो चुकी है। टैंकरों से निकाल कर अन्य वाहनों के माध्यम से स्पीति के लिए तेल की आपूर्ति किए जाने की योजना बनाई गई है। बताया गया है कि इससे टैंकरों का वजन कम होगा तथा असुरक्षित पुल को पार करते हुए टैंकर भी काजा तक पहुंच सकेंगे, उसके बाद ही इस ठंडे पठार में तेल की समस्या का हल होगा। 

स्पीति उपमंडल के काजा में है एकमात्र पैट्रोल पंप
पूरे स्पीति उपमंडल में केवल मात्र एक पैट्रोल पंप काजा में स्थापित किया गया है। खाद्य एवं आपूर्ति निगम के इस पैट्रोल पंप को हालांकि एशिया महाद्वीप का सबसे ऊंचा पैट्रोल पंप होने का गौरव मिला है लेकिन इस बार यह पैट्रोल पंप सूखे की चपेट में आ गया है। पैट्रोल पंप में सर्दियां शुरू होने से पहले जमा किया गया तेल खत्म हो चुका है। आलम यह है कि स्थानीय आप्रेटरों सहित बड़ी तादाद में पहुंच रहे पर्यटक वाहनों के लिए ईंधन स्पीति में ढूंढे नहीं मिल रहा है। मामला प्रशासन के संज्ञान में है मगर पैट्रोल पंप की स्थिति व आपूर्ति में पैदा हुई बाधा को देखते हुए प्रशासन के भी हाथ-पांव फूलने लग पड़े हैं।

मिट्टी का तेल भी न मिलने से कामगारों की मुश्किलें बढ़ीं
स्पीति में इन दिनों वर्किंग सीजन ने भी जोर पकड़ा है। नेपाल, बिहार व झारखंड सहित कई राज्यों के कामगारों ने स्पीति में दस्तक दी है। लेबरों को भी मिट्टी के तेल की सख्त जरूरत है। लकड़ी बालन का मिलना तो इस रेगिस्तान में नामुमकिन है, ऐसे में खाना पकाने के लिए केवल मिट्टी के तेल पर निर्भर रहने वाली इन लेबरों के सामने बड़ी आफत पैदा हो चुकी है। कई ठेकेदारों ने बताया कि अधिकांश लेबरों के पास स्टोव का ईंधन खत्म है, जबकि मिट्टी का तेल भी पैट्रोल पंप में नहीं मिल रहा है, ऐसे में लेबरों को खाना उपलब्ध करवाना उनके लिए आफत बन गया है।
 

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