इस वित्तीय वर्ष में तीसरी बार 800 करोड़ का और कर्ज लेगी सरकार

Edited By Punjab Kesari, Updated: 19 Aug, 2017 03:26 PM

this financial year in third time 800 crores of and loan will take government

आर्थिक संकट से जूझ रही राज्य सरकार 800 करोड़ का कर्ज लेने जा रही है।

शिमला: आर्थिक संकट से जूझ रही राज्य सरकार 800 करोड़ का कर्ज लेने जा रही है। राज्य के कर्मचारियों व पैंशनरों को 4 फीसदी आई.आर. व डी.ए. का भुगतान करने के लिए राज्य सरकार 800 करोड़ रुपए का कर्ज लेगी। सरकार की तरफ से कर्मचारियों व पैंशनरों को आई.आर. देने की पहले ही घोषणा की जा चुकी है जबकि डी.ए. देने की घोषणा मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर की। अब सरकार को इसका भुगतान करना है, जिसके लिए कर्ज लेने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा है। इससे पहले राज्य सरकार ने गत जुलाई माह में ही 500 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था। इस कर्ज को लेने के बाद जब सरकार की तरफ से आई.आर. व डी.ए. देने की घोषणा की गई तो वित्त विभाग को कर्ज लेने का विकल्प तलाशना पड़ा। राज्य सरकार यह कर्ज आर.बी.आई. के माध्यम से 10 साल के लिए ले रही है। यानी 23 अगस्त, 2027 राज्य सरकार को इसका भुगतान ब्याज सहित करना है। 


बार-बार कर्ज लिए जाने को लेकर सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहा विपक्ष 
इस तरह यदि 800 करोड़ रुपए कर्ज राशि को जोड़ दें तो मौजूदा साल में सरकार 2,800 करोड़ रुपए का कर्ज ले लेगी। विपक्ष बार-बार कर्ज लिए जाने को लेकर सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहा है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार मौज-मस्ती में जुटी है और उसके लिए बार-बार कर्जा लिया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि अब तक राज्य सरकार पर करीब 42 हजार करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज चढ़ गया है। इसका मुख्य कारण सरकार के आय-व्यय में अंतर होना है। अंतर की इस खाई को पाटने के लिए सरकार विभिन्न एजैंसियों के माध्यम से ऋण उठा रही है। इतना ही नहीं राज्य सरकार 3 साल में 7 से 13 फीसदी की दर से फरवरी, 2016 तक 11,044.44 करोड़ रुपए का कर्ज विभिन्न संस्थाओं से ले चुकी है। इसमें से राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम से 73.27 करोड़ रुपए 11 से 13 फीसदी ब्याज दर पर लिया है। हालांकि वर्ष 2013-14,  2014-15 व 2015-16 में सरकार ने 4454.83 करोड़ रुपए का कर्ज वापस भी किया है।


ऋण जाल में फंसी राज्य की आर्थिकी
लगातार कर्ज लिए जाने के कारण राज्य की आर्थिकी ऋण जाल में फंसती नजर आ रही है। कैग की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में वर्ष, 2011-12 के दौरान प्रति व्यक्ति ऋण जो 40,904 रुपए था, वह वर्ष 2015-16 में बढ़कर 57,642 रुपए हो गया है। यानी 5 साल में प्रति व्यक्ति ऋण में 41 फीसदी बढ़ौतरी हुई है। इसके अनुसार 7 साल के भीतर 62 फीसदी ऋण का भुगतान करना होगा। यह राज्य सरकार के लिए आरामदायक स्थिति नहीं है। यानी वेतन व पैंशन पर लगातार खर्च बढ़ने के अलावा अत्यधिक कर्ज के लेने के कारण उसके ब्याज पर अधिक राशि व्यय हो रही है। इसके अलावा सरकारी स्तर पर राजस्व वसूलियों में अनियमितता की बात भी सामने आई है। प्रदेश की अपनी राजस्व प्राप्तियां महज 37 तथा केंद्रीय आर्थिक सहायता व करों में हिस्सेदारी 67 फीसद रही। राज्य में सार्वजनिक उपक्रमों का घाटा 10820.11 करोड़ रुपए तक पहुंचा है। इस समय निगम-बोर्ड में करीब 34 अध्यक्ष-उपाध्यक्ष हैं, जिनके वेतन व रखरखाव पर अधिक खर्च आता है। इसी तरह अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के लिए नए वाहनों की खरीद भी की गई है। 

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