प्रशासनिक अव्यवस्था व सुविधाओं की मार झेल रहा ये स्कूल

Edited By Punjab Kesari, Updated: 25 Aug, 2017 01:16 PM

these schools are facing administrative disorder and facilities

एक ओर सरकार के शिक्षा में गुणवत्ता के बड़े-बड़े दावे हैं तो दूसरी तरफ बैहली जैसे स्कूलों ...

शिमला : एक ओर सरकार के शिक्षा में गुणवत्ता के बड़े-बड़े दावे हैं तो दूसरी तरफ बैहली जैसे स्कूलों की अव्यवस्था जिससे कोई भी सोचने के लिए मजबूर हो जाता है कि क्या ऐसे आएगी गुणवत्ता? राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला बैहली के पुराने परिसर की हालत बेहद खराब हो चुकी है। यहां पर न तो बिजली और न ही टॉयलेट की सही व्यवस्था है। लिहाजा इसका खमियाजा नौनिहालों को ही सबसे ज्यादा भुगतना पड़ रहा है। हालांकि स्कूल प्रबंधन का तर्क है कि यहां हाल ही में 2 टॉयलेट बनाए गए हैं, साथ ही पानी की टंकी भी लगाई गई है। इसके अलावा यहां पर सामान्य सुविधाओं की कमी है।

स्कूल में उच्च न्यायालय के आदेशों के बाद
यहां पर 2012 में 16 लाख की राशि खर्च करने के बावजूद लोक निर्माण विभाग 2 ही कमरे बना सका लेकिन उनमें न तो दरवाजे लग पाए और न ही खिड़कियां फिट हुई हैं, ऐसे में अब तक इन कमरों में कक्षाएं शुरू नहीं हो पाई हैं। यही नहीं, पुराने स्कूल परिसर के डंगे गिर चुके हैं पर उन पर ध्यान देने वाला कोई नहीं है। आलम यह है कि स्कूल में सफेदी भी उच्च न्यायालय के आदेशों के बाद ही हो पाई है। इसे लोक निर्माण विभाग की सुस्ती कहें या फिर उनके द्वारा आबंटित ठेका लेकर काम न करने वाले ठेकेदार की नाकामी। स्कूल में 50 लाख की राशि तो है पर 4 साल बाद भी इसे खर्च नहीं किया गया। यहां का स्थानीय निवासी मुनेंद्र कुमार हरनोट शिक्षा विभाग की उदासीनता और लोक निर्माण विभाग की कार्यप्रणाली से इतना तंग आ चुका है कि लोक निर्माण विभाग के विरुद्ध उनकी कथित लापरवाही को लेकर केस की रणनीति बनाने में लग गया है। 


 

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