Edited By Punjab Kesari, Updated: 17 Mar, 2018 09:50 AM
कई बार सरकारी शिक्षा व्यवस्था इस तरह से लाचार दिखाई देती है कि वह एक मजाक बन कर रह जाती है। ऐसा ही कुछ इन दिनों जिला चम्बा में देखने को मिल रहा है। पांगी कालेज में बी.एससी. के द्वितीय सैमेस्टर की शिक्षा ग्रहण कर रहे बच्चों को पढ़ाने के लिए चम्बा...
चम्बा : कई बार सरकारी शिक्षा व्यवस्था इस तरह से लाचार दिखाई देती है कि वह एक मजाक बन कर रह जाती है। ऐसा ही कुछ इन दिनों जिला चम्बा में देखने को मिल रहा है। पांगी कालेज में बी.एससी. के द्वितीय सैमेस्टर की शिक्षा ग्रहण कर रहे बच्चों को पढ़ाने के लिए चम्बा कालेज से 3 अध्यापकों को अगले 12 दिनों के लिए पांगी में डैपुटेशन पर भेज दिया गया है। उधर, सरकार के इन आदेशों का खमियाजा जिला के सबसे बड़े कालेज में मैडीकल विषय की शिक्षा प्राप्त करने वाले सैंकड़ों छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ेगा।
सैंकड़ों बच्चे अब अध्यापकों की कमी से जूझेंगे
पुख्ता जानकारी के अनुसार वर्तमान में चम्बा कालेज में मैडीकल विषय की करीब 600 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इन बच्चों को पढ़ाने के लिए गणित, रसायन व भौतिक विज्ञान अध्यापकों के 2-2 पद भरे पड़े हैं। इस 2 में से एक-एक अध्यापक को पांगी भेज दिया गया है, जहां वे शिक्षा ग्रहण करने वाले 1 बच्चे को 12 दिनों तक शिक्षा देंगे। यानी वार्षिक परीक्षा परिणामों के सिर पर होने के बावजूद जहां चम्बा कालेज के बच्चों को अध्यापकों की कमी से जूझना पड़ेगा तो साथ ही जिस बच्चे को पिछले कई महीनों से अध्यापक मुहैया नहीं करवाया गया, अब वह अगले 12 दिनों में कैसे अपने पाठ्यक्रम को पूरा कर लेगा। यानी चरमराई प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था का पूरा जनाजा जिला चम्बा के राजकीय महाविद्यालय चम्बा व पांगी के कालेज में निकलता हुआ देखा जा सकता है। हैरान करने वाली बात है कि सरकार ने एक बच्चे को शिक्षित करने के लिए इतनी गंभीरता दिखाई कि चम्बा कालेज में तैनात 3 अध्यापकों को पांगी भेज दिया, लेकिन चम्बा कालेज के जो सैंकड़ों बच्चे अब अध्यापकों की कमी से जूझेंगे, उनकी शिक्षा के प्रति सरकार ने क्यों नहीं सोचा।