अंतिम संस्कार से लौट रहे लोगों पर पहाड़ी से गिरे पत्थर, ऐेसे बचीं 60 जानें

Edited By Punjab Kesari, Updated: 07 Jan, 2018 09:39 PM

the stones falling from hill on people returning from funeral

अंतिम संस्कार के बाद घर को वापस लौटते समय प्रभावित परिवार के सदस्यों तथा उनके रिश्तेदारों की उस समय जान पर बन आई जब पक्काटाला मार्ग से गुजरते समय ऊपर पहाड़ी से पत्थर गिरने लगे।

चम्बा: अंतिम संस्कार के बाद घर को वापस लौटते समय प्रभावित परिवार के सदस्यों तथा उनके रिश्तेदारों की उस समय जान पर बन आई जब पक्काटाला मार्ग से गुजरते समय ऊपर पहाड़ी से पत्थर गिरने लगे। हर किसी ने अपनी जान बचाने के लिए दौड़ लगाई, वहीं करीब 3-4 लोगों को पत्थर लगने की सूचना है। राहत की बात यह रही कि इस घटना के किसी प्रकार के जानमाल के साथ किसी को गंभीर चोट नहीं लगी। हिमांशु नामक व्यक्ति को पत्थर के कारण लगी चोट के चलते उसे मैडीकल कालेज अस्पताल चम्बा ले जाया गया जहां उसे उपचार के बाद घर भेज दिया। मौके पर मौजूद लोगों का कहना था कि अगर अंतिम संस्कार से लौट कर आ रहे लोगों का भाग्य उनका साथ नहीं देता तो कई लोगों की जान चली जाती। 

पक्काटाला के सीढ़ी मार्ग पर पेश आया हादसा
जानकारी के अनुसार नगर के खरूड़ा मोहल्ला की एक बुजुर्ग महिला की मृत्यु होने पर उनके शव को अंतिम संस्कार के लिए नगर के मुख्य श्मशानघाट भगौत ले जाया गया। श्मशानघाट में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया के पूरा होने के बाद जब प्रभावित परिवार के साथ करीब 50-60 लोग शाम करीब साढ़े 6 बजे घर लौट रहे थे तो पक्काटाला के सीढ़ी मार्ग पर पहुंचते ही ऊपरी पहाड़ी से पत्थर गिरने शुरू हो गए। समय रहते हुए कुछ लोगों ने दौड़ कर सीढिय़ों को पार किया तो कुछ ने सीढिय़ों के नीचे से जाने वाले मार्ग की तरफ दौड़ लगाकर अपनी जान बचाई। हालांकि कुछ लोगों को पत्थर लगने के कारण मामूली चोटें आईं लेकिन किसी को गंभीर चोट नहीं लगी।

सुरक्षा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है मार्ग
गौरतलब है कि पक्काटाला-बालू मार्ग पत्थरों के गिरने की दृष्टि से बेहद संवेदनशील मार्ग है। इसी के चलते पक्काटाला की इस पहाड़ी को सीमैंट स्पे्र करने की मांग लंबे समय से चली आ रही है। आश्वासन तो मिले लेकिन इस कार्य पर आने वाले भारी-भरकम खर्च के लिए सरकारों ने धन जारी नहीं किया। इस मार्ग से हर दिन हजारों लोग पैदल गुजरते हैं, वहीं हजारों दोपहिया वाहन भी यहां से गुजरते हैं। यही नहीं, इस मलबा गिरने की प्रक्रिया के कारण पहाड़ी पर मौजूद मोहल्ला पक्काटाला के दर्जनों घरों के वजूद पर भी खतरा बना हुआ है। 

अब तक एक की जा चुकी है जान
इस मार्ग से गुजरते समय कुछ वर्ष पूर्व एक व्यक्ति पर पहाड़ी के ऊपर से पत्थर गिरने के चलते मौत हो गई थी जबकि यहां से गुजरते समय करीब एक दर्जन के करीब गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं। यही वजह है कि पक्काटाला मार्ग सुरक्षा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है लेकिन बालू व जिला मुख्यालय को आपस में जोडऩे वाला यह सबसे छोटा मार्ग होने के चलते लोग इसका प्रयोग करने के लिए मजबूर हैं।

बाईपास बनाने की उठ चुकी है मांग
पक्काटाला मार्ग से गुजरते समय जान हथेली पर लेकर लोगों को गुजरना पड़ता है। इस बात को देखते हुए समय-समय पर विभिन्न संस्थाएं पक्काटाला मार्ग को साहो मार्ग से पुल के माध्यम से जोडऩे की मांग कर चुकी हैं। यह बात सही है कि अगर पक्काटाला मार्ग के मोड़ को साल नदी पर पुल का निर्माण करके साहो मार्ग के साथ जोड़ दिया जाता है तो खतरनाक सड़क भाग से लोगों को गुजरने के लिए विवश नहीं होना पड़ेगा। अब तक यह मांग कई बार तो उठाई जा चुकी है लेकिन न तो सीमैंट स्प्रे कार्य के लिए सरकार ने पैसा जारी किया है और न ही इस पुल निर्माण मांग को स्वीकार किया है।

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