Edited By Punjab Kesari, Updated: 03 Jul, 2017 03:47 PM
सरकार से नाराज चल रहे आऊटसोर्स कर्मचारी सड़क पर उतर आए हैं। इन्होंने राज्य सचिवालय के बाहर 72 घंटे का धरना शुरू किया है।
शिमला: सरकार से नाराज चल रहे आऊटसोर्स कर्मचारी सड़क पर उतर आए हैं। इन्होंने राज्य सचिवालय के बाहर 72 घंटे का धरना शुरू किया है। सरकारी विभागों, निगमों और बोर्डों में लगभग 35 हजार आउटसोर्स कर्मचारी तैनात हैं। बताया जाता है कि सरकार द्वारा नियमितिकरण को पॉलिसी बनाने को लेकर किए गए ऐलान के बाद इसमें कोई ठोस कदम न उठाने से कर्मचारियों ने यह आंदोलन शुरू किया है। इनकी मांग है कि उनका भविष्य सुरक्षित किया जाए और कंपनियों के चंगुल से उन्हें बाहर निकाला जाए।
आऊटसोर्स कर्मचारियों को लेकर जारी पॉलिसी महज छलावा
महासंघ का कहना है कि सरकार ने बीते दिन आऊटसोर्स कर्मचारियों को लेकर जो पॉलिसी गाइडलाइन जारी की है, वह महज छलावा है। उनका दावा है कि इसमें सरकार ने कोई नई बात नहीं कही है। उन्होंने साफ कर दिया है कि जब तक सरकार उनकी वेतनवृद्धि से लेकर नियमितीकरण की प्रक्रिया को हामी नहीं भरती, तब तक उनका विरोध जारी रहेगा। उनका कहना है कि 4 महीने तक मंथन के बाद सरकार ने नियमितीकरण की प्रक्रिया पर हाथ खड़े कर जो नीति तैयार की है, उसमें कर्मचारियों के हित सुरक्षित नहीं रखे गए हैं।
नीति बनाने से पीछे हटी सरकार
महासंघ के राज्य अध्यक्ष धीरज चौहान के मुताबिक सरकार ने जो पॉलिसी गाइडलाइन उनके लिए बनाई है, उसमें कोई बात उनके लिए नहीं कही गई है। इसे देखते हुए उन्होंने सचिवालय के बाहर जो 72 घंटे का क्रमिक अनशन करने का ऐलान किया है, उस पर वे कायम हैं। चौहान का कहना है कि सरकार ने उनके नियमितिकरण को लेकर नीति बनाने की बात कही थी, लेकिन अब वह इससे पीछे हट गई है। ऐसे में सरकार को कम से कम उनका वेतन तो बढ़ाना चाहिए। इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित करे कि किसी भी आऊटसोर्स कर्मचारी को 58 साल की आयु से पहले नौकरी से न निकाला जाए।