Edited By Punjab Kesari, Updated: 30 Sep, 2017 12:06 PM
ऊना जिला के सबसे बड़े अस्पताल यानी क्षेत्रीय अस्पताल में ...
ऊना: ऊना जिला के सबसे बड़े अस्पताल यानी क्षेत्रीय अस्पताल में उपचाराधीन नवजात बच्चों की जान बिजली गुल हो जाने से आफत में पड़ती आ रही है। बत्ती गुल होने से सिंक न्यू बोर्न केयर यूनिट की सब अत्याधुनिक मशीनें बंद हो जाती हैं और बच्चों की जान भगवान भरोसे हो जाती है। जिला के प्रमुख अस्पताल में बीमार नवजातों की जान से यह खिलवाड़ लम्बे अर्से से होता आ रहा है और प्रशासन के अधिकतर अधिकारी व कर्मचारी इस बात को जानते हुए भी चुप्पी साधे बैठे हैं। शायद उत्तर प्रदेश के एक अस्पताल में हुई त्रासदी का यहां भी इंतजार किया जा रहा है। न तो इस संबंध में अस्पताल प्रशासन ने स्वयं कदम उठाए हैं और न ही आऊटसोर्स कंपनी को इस संबंध में तत्काल सकारात्मक कदम उठाने की हिदायत दी है।
अटक जाती हैं नवजातों की सांसें
अंधेरे में रखा जैनरेटर जहां क्षेत्रीय अस्पताल के सिंकू वार्ड की नर्सों के लिए डर का सबब बना हुआ है, वहीं बिजली गुल होने पर इसको चलाने से सब परहेज करते हैं। ऐसे में रात के समय बत्ती गुल होने पर सिंकू वार्ड में उपचाराधीन नवजात बच्चों को रखने वाली मशीनें ठप्प हो जाती हैं। ऐसे में बीमार नवजातों की सांसें अटक जाती हैं और यहां तक कि वार्ड की नर्सें भी परेशान हो जाती हैं लेकिन बिजली लाने के लिए अंधेरे में रखे जैनरेटर को कोई महिला नर्स चलाने की हिम्मत नहीं जुटा पाती है जिसके चलते सब हाथ पर हाथ धर कर बिजली आने का इंतजार करते हैं।
रात को जैनरेटर चालू करने से डरती हैं महिलाएं
गौरतलब है कि अस्पताल में सिंकू वार्ड प्रथम तल पर है और इसके लिए बिजली गुल होने पर जैनरेटर का भी प्रबंध किया गया है। जैनरेटर अस्पताल की बिल्डिंग के पिछली तरफ टी.बी. सैंटर की साइड अंधेरे में रखा गया है। आऊटसोर्स पर आधारित सिंकू वार्ड में लगभग सभी नर्सें महिला हैं, ऐसे में दिन के समय बत्ती न होने पर वे स्वयं जैनरेटर चालू कर आती हैं लेकिन रात के समय बिजली गुल होने पर अंधेरे में जाने से डरती हैं और परहेज करती हैं। जैनरेटर का ऑटोमैटिक सिस्टम काफी अर्से पहले से खराब पड़ा है जबकि अब इसे मैनुअली ऑपे्रट किया जा रहा है। कोई अनहोनी होने पर विभाग और आऊटसोर्स कंपनी एक-दूसरे पर इसका जिम्मा जरूर मढ़ेंगे लेकिन इस समस्या को हल करने की जहमत फिलहाल कोई नहीं उठा पा रहा है।