सरकारी स्कूलों में घटती विद्यार्थियों की संख्या ने बढ़ाई चिंता

Edited By Updated: 27 Feb, 2017 12:47 PM

the dwindling number of students in public schools increased anxiety

सरकारी पाठशालाओं में दिन-प्रतिदिन पढ़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या में आ रही कमी के कारण अब सरकार ने कम बच्चों वाली पाठशालाओं को बंद करने का फरमान जारी कर दिए हैं। आंकड़ों की जुबानी बोला जाए तो ...

स्वारघाट : सरकारी पाठशालाओं में दिन-प्रतिदिन पढ़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या में आ रही कमी के कारण अब सरकार ने कम बच्चों वाली पाठशालाओं को बंद करने का फरमान जारी कर दिए हैं। आंकड़ों की जुबानी बोला जाए तो 5 से कम विद्यार्थियों की संख्या वाले स्कूल बंद करने से इसमें प्रदेश की करीब 100 से ऊपर की पाठशालाएं बंद हो चुकी हैं तथा इसमें जिला बिलासपुर के भी 3 स्कूल लपेटे में आ गए हैं और इसमें से 1 स्कूल शिक्षा खंड स्वारघाट के अधीन आता है। अंदेशा जताया जा रहा है कि सरकार 10 या इससे कम विद्यार्थियों संख्या वाले स्कूलों पर भी तालाबंदी कर सकती है लेकिन राजकीय प्राथमिक आदर्श केंद्र पाठशाला स्वारघाट की स्थिति इससे उलट है।

इस पाठशाला की पिछले 3 वर्षों की ही उपलब्धियां को गिनाया जाए तो यह कहना गलत नहीं होगा कि नामांकन संख्या के साथ-साथ इस पाठशाला ने अन्य गतिविधियों में भी ऊंचाइयों को छूने के काफी प्रयास किए हैं। इस प्राथमिक पाठशाला की 3 वर्ष पूर्व विद्यार्थियों की संख्या लगभग 60 थी जोकि आज 101 तक पहुंच गई है। इन सब बातों का श्रेय काफी हद तक अध्यापक वर्ग को भी जाता है जिन्होंने नए शैक्षणिक सत्र से सरकार द्वारा छात्रों के लिए चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं से घर-घर जाकर परिजनों को अवगत करवाया है व इसके साथ ही गुणात्मक शिक्षा देने के साथ-साथ निजी पाठशालाओं की तर्ज पर अपने खुद के प्रयासों से भी छात्रों को हर सुविधाएं देने का सफल प्रयास भी किया है।

पहले क्या थे हालात
80 व 90 के दशक में केवल शहरी क्षेत्रों में ही निजी पाठशालाएं हुआ करती थीं। वर्ष 1990 के बाद सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में विशेष ध्यान दिया जिसके फलस्वरूप धड़ाधड़ पाठशालाएं खोलने को स्वीकृति मिलती गई और हालात यह हो गए कि स्कूल बढ़ते गए और अध्यापक कम होते चले गए। वहीं दूसरी तरफ बच्चों में शिक्षा के प्रति जागृति हुई प्रतिस्पर्धा की भावना तथा सरकारी स्कूलों में अध्यापकों में निरंतर आ रही कमी को देखते हुए निजी पाठशालाओं ने ग्रामीण क्षेत्रों की ओर भी पैर पसारने शुरू कर दिए। कम वेतन दिए जाने के कारण निजी पाठशालाओं ने कक्षावार अध्यापक नियुक्त कर दिए जिससे लोगों का रुझान निजी पाठशालाओं की ओर बढ़ता गया और आज नौबत कम संख्या वाले स्कूलों को बंद करने की आ गई।

क्या है कारण
सरकार द्वारा प्रतिवर्ष प्रशिक्षण देकर अच्छे स्तर के अध्यापक तैयार किए जाते हैं इसके साथ ही इन स्कूलों में कार्यरत अध्यापक उच्च शिक्षा प्राप्त हैं लेकिन फिर भी अध्यापक लोगों का विश्वास जीत नहीं पाए हैं। इसका मुख्य कारण यह भी है कि स्वयं सरकारी अध्यापकों ने अपने बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ाना आरंभ कर दिया है जिसका सीधा लोगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

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