Edited By Punjab Kesari, Updated: 26 Jan, 2018 12:23 PM
आज देश अपना 69वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। इस मौके पर राजपथ पर जहां देश की संस्कृति की झांकियां निकलीं, वहीं ताकत का भी प्रदर्शन हुआ। गणतंत्र दिवस पर हिमाचल की झांकी राजपथ पर नजर आई। प्राचीन काल से चली आ रही भारत की अनूठी एकता में पिरोई विविधताओं...
कुल्लू:आज देश अपना 69वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। इस मौके पर राजपथ पर जहां देश की संस्कृति की झांकियां निकलीं, वहीं ताकत का भी प्रदर्शन हुआ। गणतंत्र दिवस पर हिमाचल की झांकी राजपथ पर नजर आई। प्राचीन काल से चली आ रही भारत की अनूठी एकता में पिरोई विविधताओं वाली विरासत, आधुनिक युग की उपलब्धियां और देश की सुरक्षा की गारंटी देने वाली फौज की क्षमता का भव्य प्रदर्शन हुआ। चंबा रूमाल के बाद लाहौल स्पीति के की-गोंपा को परेड में शामिल किया गया है।
जानकारी के मुताबिक की-गोंपा लाहौल स्पीति जिले में काजा से 12 किलोमीटर की दूरी पर है। इस मठ की स्थापना 13वीं शताब्दी में हुई थी। यह स्पीती क्षेत्र का सबसे बड़ा मठ है। यह मठ दूर से लेह में स्थित थिकसे मठ जैसा लगता है। यह मठ समुद्र तल से 13504 फीट की ऊंचाई पर एक शंक्वाकार चट्टान पर निर्मित है। स्थानीय लोगों का मानना है कि इसे रिंगछेन संगपो ने बनवाया था। यह मठ महायान बौद्ध के जेलूपा संप्रदाय से संबंधित है। इस मठ पर 19वीं शताब्दी में सिखों तथा डोगरा राजाओं ने आक्रमण भी किया था। इसके अलावा यह 1975 ई. में आए भूकम्प में भी सुरक्षित रहा। इस मठ में कुछ प्राचीन हस्तलिपियों तथा थंगकस का संग्रह है। इसके अलावा यहां कुछ हथियार भी रखे हुए हैं। यहां प्रत्येक वर्ष जून-जुलाई महीने में 'चाम उत्सव' मनाया जाता है। बताया जा रहा है कि हिमाचल से 26 जनवरी के लिए तीन मॉडल भेजे थे, जिनमें की-गोंपा, ढ़ंक्खर-मोनास्ट्री और हिमाचल प्रदेश के महास्वी देव संस्कृति के मॉडल शामिल थे. लेकिन की-गोंपा का चयन हुआ है।
2013 में किन्नौर की संस्कृति की झलक जनपथ पर देखने को मिली
लाहौल-स्पीति की संस्कृति को जनपथ पर पहले भी 26 जनवरी,2007 को लाहौल-स्पीति की झांकी निकाली गई थी। इसके बाद 2013 में किन्नौर की संस्कृति की झलक जनपथ पर देखने को मिली थी। वहीं2017 में चम्बा के रूमाल और चंबा की संस्कृति पर झांकी निकाली गई। की-गोंपा की झांकी में सबसे पहले वैरोचन बुद्धा की मूर्ति बनाई गई है।