हादसे के बाद भी नहीं जागा KNH प्रशासन, अल्ट्रासाऊंड को IGMC दौड़ाई जा रही गर्भवती महिलाएं

Edited By Punjab Kesari, Updated: 13 Oct, 2017 10:59 AM

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के.एन.एच. में बार-बार हो रही घटनाओं के बाद भी प्रशासन जागता हुआ नजर नहीं आ रहा है। हैरत है कि प्रशासन गर्भवती महिलाओं के लिए अल्ट्रासाऊंड तक की सुविधा उपलब्ध नहीं करवा पा रहा है।

शिमला: के.एन.एच. में बार-बार हो रही घटनाओं के बाद भी प्रशासन जागता हुआ नजर नहीं आ रहा है। हैरत है कि प्रशासन गर्भवती महिलाओं के लिए अल्ट्रासाऊंड तक की सुविधा उपलब्ध नहीं करवा पा रहा है। जब भी महिलाओं को चिकित्सक अल्ट्रासाऊंड के लिए कहते हैं तो उन्हें तुरंत आई.जी.एम.सी. भेज दिया जाता है। जब महिलाएं आई.जी.एम.सी. पहुंचती हैं तो कुछ महिलाओं को फार्म गलत भरने के चलते वापस के.एन.एच. भेज दिया जाता है, वहीं जब वापस आई.जी.एम.सी. जाती हैं तो वहां पर 20 से 25 दिन की डेट दी जाती है। ऐसे में महिलाओं को गर्भावस्था में अपना चैकअप करवाना मुश्किल हो गया है। शिमला के रहने वाले गौरव गुप्ता, मंडी के सुरेंद्र भारद्वाज व मंडी के संजय ने प्रशासन पर आरोप लगाया है कि महिलाओं के साथ प्रशासन द्वारा लापरवाही बरती जा रही है। यहां पर ऐसी स्थिति काफी दिनों से चल रही है।


3 माह पहले भी के.एन.एच. कर चुका है ऐसी लापरवाही
3 माह पहले भी एक महिला को अल्ट्रासाऊंड करवाने आई.जी.एम.सी. भेजा गया था जिसके चलते गर्भावस्था में महिला के पेट में बच्चा मर गया था। हालांकि अभी तक यह मामला लंबित पड़ा हुआ है। प्रशासन अभी भी इस मामले को लेकर पूरी कार्रवाई नहीं कर पाया है। प्रशासन की लापरवाही का खमियाजा महिलाओं को भुगतना पड़ रहा है। ऐसे में मरीजों के प्रशासन पर सवालिया निशान लग रहे हैं। के.एन.एच. में सैंकड़ों महिलाएं इलाज करवाने आती हैं। आखिर उन्हें क्यों सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग दावे करता है कि गर्भवती महिलाओं के लिए अस्पताल में सारी सुविधा उपलब्ध है लेकिन स्थिति कुछ और ही बयां कर रही है। सुविधा को लेकर प्रशासन के सब दावे खोखले नजर आ रहे हैं। प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग की पोल तो इसी मुद्दे पर खुलती नजर आ रही है कि के.एन.एच. में गर्भवती महिलाओं के लिए अल्ट्रासाऊंड तक की सुविधा नहीं है बाकी कीमती मशीनें स्थापित करना तो दूर की बात है। 


आई.जी.एम.सी. में 2 बजे बंद होता है अल्ट्रासाऊंड रूम 
आई.जी.एम.सी. में 2 बजे ही अल्ट्रासाऊंड बंद हो जाते हैं। ऐसे में मरीजों को बिना अल्ट्रासाऊंड करवाए ही वापस घर की तरफ रवाना होना पड़ता है। जब मरीज अल्ट्रासाऊंड रूम में तैनात अधिकारी से बात करते हैं तो वह स्पष्ट शब्दों में कहते हैं कि आपने अगर अल्ट्रासाऊंड करवाना है तो कल आओ जबकि मरीजों को उस दिन की डेट तक दी जाती है। उसके बाद भी अल्ट्रासाऊंड नहीं होते हैं। हैरत है कि अगर आपातकालीन स्थिति में भी कोई अल्ट्रासाऊंड करवाने आए तो भी नहीं होते हैं।


सिफारिश के चलते होते हैं अल्ट्रासाऊंड व एम.आर.आई.
आई.जी.एम.सी. में ऐसा नहीं है कि अल्ट्रासाऊंड नहीं होते हैं। जब अल्ट्रासाऊंड होते हैं तो सिफारिश के चलते ही होते हैं। ऐसे में आम गरीब लोगों का अस्पताल में आना तो मुश्किल ही हो गया है। अक्सर देखा गया है कि जब गरीब मरीज अपनी तिथि के अनुसार अल्ट्रासाऊंड या एम.आर.आई. करवाते हंै तो बीच में कोई अन्य ही मरीज आ जाते हैं। ऐसे में गरीब मरीज चाहे कितना ही अपनी बीमारी से पीड़ित हो, उसका नंबर तो तभी आता है जब सिफारिश के चलते होने वाले अल्ट्रासाऊंड खत्म हो जाते हैं। 

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