TB से जंग लड़ने में हिमाचल दूसरा राज्य

Edited By Updated: 25 Mar, 2017 02:39 PM

tb from fighting war himachal on second number

हिमाचल में टीबी (ट्यूबरकुलोसिस) के इलाज के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं।

मंडी: हिमाचल में टीबी (ट्यूबरकुलोसिस) के इलाज के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। सरकार का कहना है कि 2021 तक यह बीमारी जड़ से खत्म की जाएगी। इसके लिए सभी टीबी विभाग के अधिकारी व कर्मचारी कार्य कर रहे हैं। बताया जाता है कि हिमाचल देश का दूसरा राज्य है जहां पर एक लाख जनसंख्या में 300 से अधिक टीबी के टैस्ट किए जाते हैं। इससे पहला राज्य केरल है जहां पर 309 टी.बी. के टैस्ट किए जाते हैं। हिमाचल में इस बीमारी के लिए नि:शुल्क दवाइयों का प्रावधान है। हर मरीज को उसके वजन के हिसाब से दवाइयां व टीके दिए जा रहे हैं। यहां पहले 2 जीन एक्सपर्ट मशीनें थीं लेकिन अब जल्द ही मंडी जिला में जीन एक्सपर्ट मशीन लगाई जाएगी। 


मंडी में हो रहा अच्छा काम
मंडी जिला में टीबी को खत्म करने के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। सबसे अधिक लोगों को मंडी में डिटैक्ट किया गया है क्योंकि यहां पर घर-घर जाकर लोगों के टीबी के सैंपल लिए गए, साथ ही लोगों को इसके प्रति जागरूक किया गया है।


कुल्लू में हुआ सबसे अधिक मरीजों का उपचार
वर्ष 2016 में कुल 15137 टीबी के मरीज हैं जिनका विभाग द्वारा उपचार किया जा रहा है, जिसमें बिलासपुर में 625, चम्बा में 1184, हमीरपुर में 767, कांगड़ा में 2635, कुल्लू में 2822, किन्नौर में 201, लाहौल-स्पीति में 53, मंडी में 2203, सोलन में 1490, शिमला में 1363, सिरमौर में 1107 व ऊना में 687 टी.बी. के मरीजों का उपचार किया जा रहा है। वर्ष 2017 में प्रदेश में अब तक एम.डी.आर. के 411 व एक्स.डी.आर. के 14 मामले आए हैं। एम.डी.आर. मरीजों के सबसे अधिक मामले कांगड़ा जिला में हैं जहां 77 एम.डी.आर. व 3 एक्स.डी.आर. के मरीज हैं। लाहौल-स्पीति में कोई मामला सामने नहीं आया है। हिमाचल में जहां 2005 में टी.बी. मरीजों की संख्या 13697 थी, वहीं अब 15137 हो गई है।

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