बिलख-बिलख कर रोए परिवार, हर आंख में आंसू

Edited By Updated: 15 Jan, 2017 09:32 PM

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5 दिनों के बाद रविवार को टीहरा पंचायत के एन.आई.टी. हमीरपुर में एम.बी.ए. के छात्र अक्षय कुमार ऊर्फ नीशू का शव घर पहुंचते ही पूरा क्षेत्र बिलख-बिलख कर रो पढ़ा।

5 दिन बाद घर पहुंचे शव को देखकर हर कोई सदमे में
सुजानपुर
: 5 दिनों के बाद रविवार को टीहरा पंचायत के एन.आई.टी. हमीरपुर में एम.बी.ए. के छात्र अक्षय कुमार ऊर्फ नीशू का शव घर पहुंचते ही पूरा क्षेत्र बिलख-बिलख कर रो पढ़ा। सगे-संबंधियों की पथराई आंखों से अपने लाडले का शव देखकर आंसू फूट पड़े, वहीं सहपाठी सदमे में थे कि उनका दोस्त उन्हें कभी नहीं मिलेगा। दोपहर करीब 2 बजे जैसे ही लाडले का शव एन.आई.टी. की एम्बुलैंस में घर पहुंचा तो अक्षय की दादी ब्रजेश्वरी देवी व दादा ओम प्रकाश फूट-फूट कर रो पड़े। गांव व घर में चीख-पुकार का माहौल था। 

छोटे भाई ने दी मुखाग्रि
अक्षय कुमार की माता सरोज बाला व पिता देशराज की आंखों से न तो आंसू निकल रहे थे, उनके मुख से भी कोई आवाज नहीं निकल पा रही थी क्योंकि बीते 5 दिनों से वे अपने बेटे के लिए इतने ज्यादा रोए कि उनकी आंखों का पानी अब खत्म हो चुका था। अक्षय कुमार की शव यात्रा में डेरा व टीहरा पंचायतों के साथ-साथ सैंकड़ों लोग दाह संस्कार में शामिल हुए। अक्षय कुमार के छोटे भाई अभिनव ने अक्षय के शव को मुखाग्नि दी। अंतिम यात्रा में प्रदेश आपदा प्रबंधन उपाध्यक्ष राजेंद्र राणा, एन.आई.टी. के रजिस्ट्रार सुशील चौहान व चीफ वार्डन अशोक कुमार सहित क्षेत्र के सैंकड़ों लोग शामिल हुए। 

कहां चला गया मेरा नीशू, कोई तो उसे लाओ
कोई तो मेरे नीशू को लाओ, मेरे बेटे तू कहां चला गया। क्षेत्र के पूर्व प्रधान रहे नीशू के दादा ओम प्रकाश व दादी ब्रजेश्वरी देवी के मुख से यही शब्द निकल रहे थे। कहां उन्होंने अपने पोते की शादी के सपने संजोने शुरू कर दिए थे। जब भी नीशू घर आता था तो मां अपने लाडले को देखकर फूली नहीं समाती थी। उनका भी यही सपना था कि बेटा जॉब शुरू कर दे तो उसकी शादी कर बहू को घर की सारी जिम्मेदारियां सौंप दे मगर आज बेटे का शव घर पहुंचा तो सारे सपने चकनाचूर हो गए थे

सतलुज नदी किनारे बने श्मशानघाट में हुआ अंतिम संस्कार
बिलासपुर
: शिकारी देवी में ट्रैकिंग के दौरान बर्फबारी होने से मौत के आगोश में समाए बरमाणा के युवक नवनीत राणा की पार्थिव देह रविवार को बरमाणा पहुंची व उसका अंतिम संस्कार सतलुज नदी किनारे बने श्मशानघाट पर कर दिया गया। आई.आई.टी. हमीरपुर के छात्र नवनीत राणा की इस अंतिम यात्रा में एन.आई.टी. संस्थान हमीरपुर के प्रतिनिधियों सहित बरमाणा ए.सी.सी. गागल प्रबंधन, बी.डी.सी. सदस्य रमेश कुमार, बरमाणा पंचायत प्रधान मंजू मनहंस, पूर्व प्रधान बाबू राम, उपप्रधान नतीश ठाकुर व क्षेत्र के सैंकड़ों लोगों ने भाग लेकर उसे अंतिम विदाई दी।

शव शिकारी देवी मंदिर से एक किलोमीटर पहले चढ़ाई पर बर्फ में दबे मिले
नवनीत राणा का परिवार मूल रूप से घुमारवीं का निवासी है। उसके पिता सुरेंद्र राणा ए.सी.सी. के एम.वी.एम. विभाग में कार्यरत हैं व नवनीत का परिवार पिछले 30 से भी अधिक वर्षों से बरमाणा में ही रह रहा है। गौरतलब है कि कुछ दिन पूर्व नवनीत राणा अपने दोस्त सुजानपुर के अक्षय कुमार के साथ मंडी की जंजैली घाटी में स्थित माता शिकारी देवी मंदिर व पहाड़ी पर टै्रकिंग करने के लिए निकला। इस दौरान शिकारी देवी में भारी बर्फबारी हुई। बाद में बचाव दल को नवनीत राणा व उसके दोस्त अक्षय के शव शिकारी देवी मंदिर से एक किलोमीटर पहले चढ़ाई पर बर्फ में दबे मिले। 

मैं दोस्तों के साथ घूमने जाऊंगा मेरा इंतजार मत करना ये शब्द कहे थे मां से
एन.आई.टी. हमीरपुर से एम.बी.ए. कर रहे बरमाणा के युवा नवनीत राणा को क्या मालूम था कि वह शिकारी देवी घूमने नहीं अपितु अपनी मौत को गले लगाने जा रहा है, वहीं नवनीत के परिवार वालों को स्वप्न में भी यह आभास नहीं था कि घूमने गया उनका बेटा अब कभी लौट कर नहीं आएगा व उसका पाॢथव शव ही अब वापस आएगा। मां संस्थान में अगले माह से छुट्टियां हैं। मैं दोस्तों के साथ घूमने जाऊंगा इसलिए मेरा इंतजार मत करना। कुछ समय पूर्व नवनीत राणा द्वारा कहे गए ये शब्द आज भी उसकी मां व परिजनों के जहन में कौंध रहे हैं। 

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