देवभूमि में जीवन रक्षक दवाइयों की गुणवत्ता पर खड़े हो रहे लगातार सवाल

Edited By Punjab Kesari, Updated: 31 Oct, 2017 10:09 AM

standing questions on the quality of life saving medicines

हिमाचल प्रदेश में बनाई जा रहीं जीवन रक्षक दवाइयां मानकों पर खरा नहीं उतर रही हैं ...

सोलन : हिमाचल प्रदेश में बनाई जा रहीं जीवन रक्षक दवाइयां मानकों पर खरा नहीं उतर रही हैं। केन्द्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन (सी.डी.एस.सी.ओ.) के आंकड़े काफी चौंकाने वाले हैं। प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र बी.बी.एन., कालाअम्ब, पांवटा साहिब, सोलन व संसारपुर टैरेस में कार्यरत फार्मा उद्योगों में बनाई जा रहीं दवाइयों की गुणवत्ता पर देशभर में सवाल खड़े होने लगे हैं। विश्व के मानचित्र पर फार्मा हब के रूप में उभरी देवभूमि हिमाचल की छवि भी धूमिल हो रही है। सी.डी.एस.सी.ओ. द्वारा पिछले 6 महीने में जारी किए ड्रग अलर्ट के अनुसार देश भर में करीब 183 दवाइयों के सैंपल फेल हुए हैं। इनमें से 65 दवाइयों का उत्पादन हिमाचल में हुआ है या यूं कहें कि देश में जिन दवाइयों के सैंपल फेल हो रहे हैं, उनमें हर तीसरी दवाई हिमाचल की है। इससे स्पष्ट है कि हिमाचल में फार्मा उद्योग नियमों को ताक पर रखकर दवाइयों का उत्पादन कर रहे हैं।

लोगों ने सब स्टैंडर्ड दवाइयों का किया सेवन 
इसके कारण स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली भी कटघरे में खड़ी हो गई है।सी.डी.एस.सी.ओ. द्वारा देश में हर महीने ड्रग अलर्ट जारी किया जाता है। पिछले 6 वर्ष में हर माह औसतन 11 दवाइयों के सैंपल फेल हो रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि विभाग फार्मा उद्योग में बनाई जा रहीं दवाइयों की गुणवत्ता की जांच नहीं कर रहा है जिसके कारण इन दवाइयों के सैंपल फेल हो रहे हैं।  सी.डी.एस.सी.ओ. का जब तक ड्रग अलर्ट जारी होता है तब तक इन दवाइयों के काफी स्टाक की खपत भी हो जाती है और शेष बचे स्टाक का रिकॉल कर लिया जाता है। जिन लोगों ने सब स्टैंडर्ड दवाइयों का सेवन किया है, उसका उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ेगा। ऐसा लग रहा है कि प्रदेश में लोगों के स्वास्थ्य की किसी को फिक्र नहीं है।

बाजार में दवाइयों के सैंपल फेल
प्रदेश में जिन दवाइयों के सैंपल फेल हुए हैं, उनमें अधिकांश दवाइयां व इंजैक्शन एंटी बायोटिक, बुखार, पेट दर्द, सर्दी, खांसी, सिरदर्द, कैंसर, गैस्टिक, एलर्जी व प्रैग्नैंसी के दौरान उल्टी इत्यादि के हैं। इनमें से अधिकांश दवाइयां ऐसी हैं जो लोगों ने अपने फस्र्ट एड बॉक्स में रखी होती हैं। इस प्रकार की दवाइयों के सैंपल फेल होने से सवाल खड़े होना लाजिमी हैं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग की मानें तो पूरी टैसिंटिग के बाद ही बाजार में दवाई उतारी जाती है। बाजार में दवाइयों की सही स्टोरेज न होने के कारण सैंपल फेल हो रहे हैं। दवाइयों की गुणवत्ता स्टोर के तापमान, लाइट व नमी इत्यादि पर भी निर्भर करती है। यदि दवाइयों का रख-रखाव सही नहीं होगा तो सैंपल फेल होगा और देश में ऐसा ही हो रहा है।
 

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