सोलन सिविल अस्पताल में 'अंधेरगर्दी', तड़प-तड़प कर बुजुर्ग ने तोड़ा दम

Edited By Punjab Kesari, Updated: 15 Nov, 2017 02:56 PM

solan civil hospital in andhergardi

सोलन के क्षेत्रीय अस्पताल में प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आई है। बता दें कि जहां सिरमौर, शिमला और सोलन के रोगी दूर-दूर से इलाज करवाने के लिए इस उम्मीद से आते हैं कि उन्हें यहां अच्छा इलाज मिलेगा ,लेकिन यहां आने वाले ज्यादातर रोगी कटु अनुभव ही साथ...

सोलन (चिनमय): सोलन के क्षेत्रीय अस्पताल में प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आई है। बता दें कि जहां सिरमौर, शिमला और सोलन के रोगी दूर-दूर से इलाज करवाने के लिए इस उम्मीद से आते हैं कि उन्हें यहां अच्छा इलाज मिलेगा ,लेकिन यहां आने वाले ज्यादातर रोगी कटु अनुभव ही साथ लेकर जा रहे हैं। एेसा ही कुछ एक बार फिर से अस्पताल में देखने को मिला जब एक युवती अपने दादा की अचानक तबीयत खराब होने पर इलाज करवाने अस्पताल पहुंची। अस्पताल में पहले तो डॉक्टरों ने उन्हें खतरे से बाहर बताया और वार्ड में शिफ्ट कर दिया। इसके बाद फिर काफी समय तक उसकी तरफ ध्यान नहीं किया।
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सिक्युरिटी न मिलने के नहीं दिया ऑक्सीजन सिलेंडर
इसी बीच बुजुर्ग की सांसें जवाब देने लगी। जब डॉक्टर को बुलाया गया तो अपना गुनाह छिपाने के लिए उसे यहां से पीजीआई रैफर कर दिया गया। जब 108 एम्बुलेंस को बुलाया गया तो वह वहां नहीं थी। किसी तरह से बुजुर्ग को निजी गाड़ी में ले जाने के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत थी। युवती ने अस्पताल प्रशासन से सिलेंडर की मांग की तो उन्होंने 5 हजार रुपए सिक्युरिटी की मांग कर डाली जो युवती के पास नहीं थे। वह रोते-बिलखते अस्पताल प्रशासन से गुहार लगाती रही कि उसके पास पैसे नहीं हैं। दादा की तबीयत खराब हो रही है, आप गैस सिलेंडर उपलब्ध करवाएं, लेकिन वहां किसी का दिल नहीं पसीजा।


तीमारदारों ने अस्पताल प्रशासन को ठहराया जिम्मेवार
इसी जद्दोजहद में 2 घंटे बीत गए और बुजुर्ग की हालत बिगड़ती चली गई। अंत में उसने दम तोड़ दिया। बात यह है कि युवती के माता-पिता पहले ही नहीं हैं, उसके दादा ही उसका अंतिम सहारा थे। उसने कहा कि अब वो भी अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से चले गए। बुजुर्ग के साथ आए तीमारदारों ने रोष प्रकट करते हुए कहा कि उसकी जान गई है उसके लिए अस्पताल प्रशासन पूरी तरह से जिम्मेवार है। उन्होंने कहा कि पहले तो डॉक्टरों ने उनका ठीक से इलाज नहीं किया। बाद में उसे रैफर कर दिया। अस्पताल से उन्हें ले जाने के लिए एम्बुलेंस नहीं मिली। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाएं सोलन अस्पताल में आम हो गई हैं। रोगी अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं लेकिन डॉक्टरों पर इसका कोई असर नहीं होता। 

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