कौन बनेगा मुख्यमंत्री, फैसला करेगी दिल्ली

Edited By Punjab Kesari, Updated: 18 Dec, 2017 07:07 PM

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भाजपा ने भले ही बहुमत से सत्ता की ओर अपना कदम बढ़ा लिया है, लेकिन हाईकमान की ओर से मुख्यमंत्री पद के लिए घोषित प्रो. प्रेम कुमार धूमल के हार जाने से अब इस सीट का दावेदार कौन होगा, यह भाजपा हाईकमान ही तय करेगा।

शिमला : भाजपा ने भले ही बहुमत से सत्ता की ओर अपना कदम बढ़ा लिया है, लेकिन हाईकमान की ओर से मुख्यमंत्री पद के लिए घोषित प्रो. प्रेम कुमार धूमल के हार जाने से अब इस सीट का दावेदार कौन होगा, यह भाजपा हाईकमान ही तय करेगा। इस पद के दावेदारों में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा व जयराम ठाकुर के अलावा नॉर्थ-ईस्ट के संगठन प्रभारी अजय जम्वाल तथा डा. राजीव ङ्क्षबदल के नाम भी सामने आ रहे हैं। हालांकि हार के बावजूद पार्टी 6 माह के लिए प्रो. प्रेम कुमार धूमल को मुख्यमंत्री बना सकती है, लेकिन नैतिकता के तकाजे के आगे शायद भाजपा हाईकमान को अब नए नाम पर ही विचार करना पड़ेगा। 

जनता ने मुख्यमंत्री पद के दावेदार को भी नकार दिया
हिमाचल प्रदेश में भले ही पहली गैर-कांग्रेसी सरकार बनाने का सेहरा शांता कुमार के सिर बंधा है, लेकिन गैर-कांग्रेसी सरकार को पूरे 5 साल तक चलाने का श्रेय प्रो. प्रेम कुमार धूमल को जाता है। लेकिन इस बार के नतीजों में सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र की जनता ने मुख्यमंत्री पद के दावेदार को भी नकार दिया है। इससे पहले शांता कुमार को भी बतौर मुख्यमंत्री प्रत्याशी बनने पर हार का सामना करना पड़ा था। प्रो. धूमल की हार के साथ-साथ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती भी चुनाव हारे हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री पद के लिए किसी वरिष्ठ नेता को चुन पाना भाजपा हाईकमान के लिए भी आसान नहीं होगा, क्योंकि जे.पी. नड्डा को भी उनके गृह राज्य का मुख्यमंत्री बनाने पर हाईकमान विचार कर सकता है। नड्डा और धूमल के बीच मतभेद जगजाहिर हैं और हिमाचल के विधानसभा चुनावों में नड्डा की सक्रियता भी ज्यादा रही है। 

दिल्ली बुलाए जय राम
सूत्रों की मानें तो लगातार 5वीं बार जीत दर्ज करने वाले जयराम ठाकुर को दिल्ली से हाईकमान का बुलावा आ गया है। जयराम ठाकुर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और आर.एस.एस. में सक्रिय रहने के साथ-साथ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी भी निभा चुके हैं। वहीं मंडी जिला में इस बार कांग्रेस पार्टी का सूपड़ा साफ हुआ है और 10 में से 9 सीटें भाजपा ने जीती हैं। राजनीतिक परिदृश्य में मंडी जिला का बड़ा कद है और जातीय समीकरणों को देखें तो जयराम ठाकुर राजपूत वर्ग से हैं। वहीं भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी जयराम ठाकुर के चुनाव प्रचार में साफ कहा था कि सरकार बनने पर उनको बड़ा दायित्व सौंपा जाएगा। बताया जाता है कि भाजपा हाईकमान ने भाजपा के जीते सभी विधायकों को दिल्ली बुला लिया है। जाहिर है कि हाईकमान अब धूमल के विकल्प को लेकर विधायकों की राय भी जान सकती है। हालांकि आज से गुजरात और हिमाचल प्रदेश में पार्टी की जीत के बाद सरकार के गठन को लेकर भाजपा हाईकमान की महत्वपूर्ण बैठकों का दौर दिल्ली में शुरू हो चुका है। 

वीरेंद्र कंवर के विकल्प से बंधी आस
प्रो. प्रेम कुमार धूमल के नजदीकी कुटलैहड़ से चौथी बार जीत दर्ज कर चुके वीरेंद्र कंवर ने धूमल के लिए अपनी सीट छोड़ देने की बात भी कही है, जिससे यह उम्मीद बंधी है कि अगर हाईकमान प्रो. प्रेम कुमार धूमल को मौका देता है तो वीरेंद्र कंवर के त्याग पत्र देने से खाली हुई सीट पर उन्हें चुनाव में उतारा जा सकता है, क्योंकि 6 माह तक बिना विधानसभा की सदस्यता के भी कोई भी मुख्यमंत्री या मंत्री पद ग्रहण कर सकता है। लेकिन इस अवधि के भीतर उसके लिए विधानसभा का सदस्य बनना आवश्यक है। कुटलैहड़ के विधायक वीरेंद्र कंवर ने कहा है कि वह भाजपा के नेता प्रो. प्रेम कुमार धूमल के लिए अपनी सीट छोडऩे को तैयार हैं। पत्रकारों से बातचीत करते हुए विधायक वीरेन्द्र कंवर ने कहा कि प्रो. धूमल पार्टी के प्रमुख नेता हैं। उन्होंने भाजपा को सत्ता दिलवाने में बड़ी भूमिका अदा की है। हर क्षेत्र में चुनाव प्रचार किया है। हालांकि इस दौरान वह अपने चुनाव क्षेत्र सुजानपुर जोकि चुनाव से करीब 15 दिन पहले ही बदला गया था, में समय नहीं दे पाए। वीरेंद्र कंवर ने कहा कि धूमल मुख्यमंत्री पद के चेहरे थे और उनकी मेहनत की बदौलत ही पार्टी को जीत हासिल हुई है। ऐसे में धूमल के लिए वह कुटलैहड़ क्षेत्र छोडऩे को तैयार हैं।

धूमल गुट हारा
भाजपा दिग्गजों की हार के बाद अब चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। हारने वालों में धूमल गुट के बड़े नेता शामिल हैं, जिनमें गुलाब सिंह ठाकुर, रविंद्र सिंह रवि व बलदेव शर्मा शामिल हैं। चर्चाएं ये भी हैं कि क्या जानबूझ कर बड़े नेताओं को उलझाया गया? प्रो. प्रेम कुमार धूमल का अपना गृह विधानसभा क्षेत्र हमीरपुर है, लेकिन इस बार उन्हें भाजपा हाईकमान ने दूसरे विधानसभा क्षेत्र सुजानपुर से उतारा था। सुजानपुर में उनकी तैयारी बिल्कुल भी नहीं थी और वहां से कभी उनके ही शागिर्द रहे राजेंद्र राणा इस बार कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी थे। राजेंद्र राणा पिछले लगभग 20 साल से सुजानपुर से सक्रिय थे और अपनी जड़ें गहरी करने को उन्होंने इस बार कांग्रेस की सत्ता का भरपूर लाभ उठाया था। उधर, जानकार मानते हैं कि जयराम को पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने थुनाग रैली में धूमल को पहले दिन सिरमौर की रैली में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने के बाद बड़ी जिम्मेदारी देने का वायदा किया था। उसी दिन से उन्हें डिप्टी सी.एम. के रूप में प्रोजैक्ट किया जा रहा था। मगर अब भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कु मार धूमल के चुनाव हार जाने की स्थिति में जयराम ठाकुर पार्टी के लिए उपयुक्त विकल्प माने जा रहे हैं। 

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