शांता ने पुरानी यादें की ताजा, राम मंदिर मुद्दे को लेकर दिया यह बयान

Edited By Punjab Kesari, Updated: 16 Jun, 2017 09:26 AM

shanta has old memories fresh ram temple issues to take on given this statement

ठीक 18 वर्ष पहले 13 से 15 जून को पालमपुर में हुई भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में राम मंदिर मुद्दे को...

पालमपुर: ठीक 18 वर्ष पहले 13 से 15 जून को पालमपुर में हुई भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में राम मंदिर मुद्दे को भाजपा ने अपने एजैंडे में डालकर इस आंदोलन को नया जीवन दिया था। इस ऐतिहासिक बैठक में केंद्र सरकार से प्रस्ताव डालकर मांग की गई थी कि अयोध्या मामले में वही दृष्टिकोण अपनाया जाए जो स्वतंत्र भारत की पहली सरकार ने सोमनाथ मंदिर के बारे में अपनाया था। बैठक के समापन पर प्रकृति मैदान में प्रदेश स्तर की एक रैली में भाजपा के दिग्गज नेता अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण अडवानी सहित सभी वक्ताओं ने माहौल राममय कर दिया था। इससे उत्साहित भाजपा ने मात्र 19 माह में पूरे देश में विहिप को औपचारिक समर्थन देकर ऐसा जनमत तैयार किया जिसके चलते 1990 में हिमाचल, यू.पी., मध्य प्रदेश व राजस्थान में सरकारें बना लीं। इसी सफलता के नशे में भाजपा व विहिप के कार सेवकों ने 6 दिसम्बर 1992 को अयोध्या में बाबरी ढांचा गिरा दिया। इसके चलते केंद्र की कांग्रेस सरकार ने भाजपा के चारों राज्यों की सरकारें भंग कर दीं। हिमाचल में भाजपा के 53 विधायकों वाली सरकार आगामी विधानसभा चुनाव में मात्र 6 सीटें ही जीत पाई। 


बाबरी मस्जिद को गिराया जाना न देशहित में था, न हिन्दुत्व हित में: शांता 
पूर्व मुख्यमंत्री एवं सांसद शांता कुमार ने पुरानी यादें ताजा करते हुए कहा कि 1989 में पालमपुर में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में ऐतिहासिक प्रस्ताव पास कर पहली बार राम मंदिर आंदोलन को अपना समर्थन दिया था। परंतु इस आंदोलन की कड़ी में अयोध्या में बाबरी मस्जिद का गिराया जाना पूरी तरह गलत था। उन्होंने कहा कि इस घटना से दुनिया भर में पार्टी सहित हिन्दुत्व की बदनामी हुई व भारत की सहिष्णु छवि को नुक्सान पहुंचा था। उस वक्त मंदिर निर्माण के लिए शांतिपूर्वक ढंग से सहमति बनाई जा रही थी। उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद को गिराए जाने की कोई पूर्व योजना नहीं थी परंतु 6 दिसंबर 1992 को भावावेश में आकर आंदोलनकारियों ने इस घटना को अंजाम दिया। शांता कुमार ने कहा कि राम मंदिर अवश्य बनना चाहिए तथा अब न्यायालय ने भी पहल कर इस ओर आम सहमति से सार्थक शुरू किए हैं। ऐसे में इस मामले को किसी भी टकराव से दूर रखा जाना चाहिए। 

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