धौलाधार की पहाड़ियों में वैज्ञानिकों ने देखी उड़ने वाली गिलहरी (Watch Video)

Edited By Punjab Kesari, Updated: 29 Jan, 2018 01:28 PM

हिमाचल प्रदेश के वन्य प्राणी विभाग से जुड़े वैज्ञानिकों को धौलाधार की पहाड़ियों में उड़ने वाली गिलहरी दिखी है।

हमीरपुर: हिमाचल प्रदेश के वन्य प्राणी विभाग से जुड़े वैज्ञानिकों को धौलाधार की पहाड़ियों में उड़ने वाली गिलहरी दिखी है। उल्लेखनीय है कि यह गिलहरी बड़ी दुर्लभ प्रजातियों में से एक है। उड़ने वाली गिलहरी कनाडा के दक्षिणी भाग से लेकर अलास्का व मध्य अमरीका तक पाई जाती है। यह गिलहरी लंबी छलांग लगाती है। इसके अगले पंजों से लेकर पिछले पंजों तक एक झिल्ली सी होती है जो इसके एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर छलांग लगाने पर फैल जाती है तथा इसे हवा में दर्शाए रखती है। इसी के चलते यह एक पेड़ से छलांग लगाकर 100 मीटर तक दूसरे पेड़ तक जा पहुंचती है। 

हवा में बदल सकती है अपनी दिशा
सबसे दिलचस्प बात यह है कि यह हवा में अपनी दिशा भी बदल सकती है परंतु पुन: कूदने के लिए इसे फिर से किसी पेड़ पर चढऩा पड़ता है। इसकी खाल ऊपर से हल्की भूरी तथा नीचे से सफेद होती है। जहां दूसरी ओर गिलहरियां दिन में निकलती हैं, वहीं यह गिलहरी पूर्णतया निशाचर है। निशाचर होने के कारण इसकी आंखें काफी बड़ी होती हैं ताकि वे अंधेरे में अच्छे से देख सकें। इसके भोजन में छोटे कीड़े, फल व बीज शामिल हैं। मादा गिलहरी वर्ष में एक बार फरवरी-मार्च माह में 2-6 बच्चों को जन्म देती है। 

देव नाला की पहाड़ियों के आसपास देखे गए 12 जानवर 
धौलाधार की पहाड़ियों में बसे वन्य जीव-जंतुओं के अनुसंधान हेतु केंद्र व हमीरपुर से वन्य प्राणी विभाग के वन मंडल अधिकारी कृष्ण कुमार की टीम ने धौलाधार के प्रवास के दौरान इस अनुसंधान के दौरान हिमालयन तार के 12 जानवर देव नाला की पहाडिय़ों के आसपास देखे। वहीं इन पहाडिय़ों में भालू के होने के लक्षण मिले हैं। टीम के सदस्यों को यहां पर भालू द्वारा खाए गए शहद की जूठन भी मिली है। इसके अतिरिक्त उन्हें तेंदुए के पंजों के निशान भी मिले हैं। इसके साथ ही धौलाधार के वन में स्नो-पिजन व फॉक्स के साथ-साथ अन्य वन्य प्राणी भी मिले हैं। इसी खोज अभियान में उन्हें दुर्गम पहाडिय़ों में गिलहरी भी प्राप्त हुई है। 

केंद्र को भेजी जा रही है रिपोर्ट
वन्य प्राणी विभाग के डी.एफ.ओ. कृष्ण कुमार का कहना है कि धौलाधार की पहाडिय़ां वन्य प्राणियों की प्रथम पसंद बनी है। उन्होंने बताया कि इन पहाड़ियों पर वन्य प्राणियों की रिसर्च 3 दिन तक चली। इस कार्य हेतु केंद्र से वन्य जीव विशेषज्ञों की 7 सदस्यीय टीम भी आई थी जिसकी रिपोर्ट केंद्र को भेजी जा रही है। वहीं वन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने धौलाधार की पहाड़ियों पर गिलहरी की खोज पर प्रसन्नता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि यह गौरव का विषय है कि विश्व के घने वनों में बसने वाले वन्य जीव-जंतु धौलाधार के वनों को पसंद करते हैं। 

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