भाजपा से नाराज प्रवीण शर्मा बोले, एक ईमानदार कार्यकर्ता का हुआ राजनीतिक कत्ल

Edited By Punjab Kesari, Updated: 18 Nov, 2017 11:29 PM

praveen sharma angry with the bjp  said political slaughter of an honest worker

कांगड़ा जिला की सबसे हॉट सीटों में शुमार पालमपुर सीट से टिकट वितरण के बाद ऐसा घमासान मचा है....

पालमपुर: कांगड़ा जिला की सबसे हॉट सीटों में शुमार पालमपुर सीट से टिकट वितरण के बाद ऐसा घमासान मचा है कि अभी तक यहां तूफान मचा हुआ है। पार्टी ने यहां से इंदू गोस्वामी को मैदान में उतारा तो मैदान में घूम रहे प्रवीण के होश उडऩा लाजिमी था। टिकट वितरण से वोटिंग तक के कम समय में प्रवीण को मनाने की सब कोशिशें नाकाम रहीं। भाजपा के दिग्गज शांता कुमार के भी सारे प्रयास धरे रह गए। प्रवीण का गुस्सा ऐसा फूटा कि उन्होंने भाजपा में वातानुकूलित कमरों में टिकटों का वितरण करने का आरोप लगा दिया, साथ ही उन्होंने भाजपा को वीरभद्र जैसे नेता से सीख लेने की भी नसीहत दे डाली। बतौर आजाद उम्मीदवार पालमपुर से चुनाव मैदान में उतरे प्रवीण शर्मा से हमारे संवाददाता ने बातचीत की। पेश हैं कुछ अंश :-

आप पार्टी से बाहर हो गए हैं, अब भविष्य क्या है? 
मैंने पालमपुर के जनहित के लिए अपनी यह शहादत दी है। भारतीय जनता पार्टी ने मुझे नकार दिया है, परंतु भारतीय जनता पार्टी के इतिहास के पन्ने में लिखा गया है कि जब तक प्रवीण कुमार तू जिंदा रहेगा, तब तक बी.जे.पी. में तेरा नाम रहेगा, ऐसा मैं मानकर चलता हूं और मैं कहना चाहता हूं कि पालपुर विधानसभा क्षेत्र के कार्यकत्र्ता, लोग, महिलाएं व युवा मेरे साथ हैं तो असली भारतीय जनता पार्टी मेरे साथ है और जो भी पालमपुर के कार्यकत्र्ता व लोग निर्णय लेंगे, वही मेरा भविष्य है। पालमपुर के लोग ही मेरा इतिहास और भविष्य हैं।

आपको अपनी जीत का भरोसा क्यों, ऐसा क्या है?
नतीजे जो भी हों मैंने 3 मुद्दों पर चुनाव लड़ा है। परिवारवाद नेहरू परिवार के सिवाय कांग्रेस के मित्रों को नहीं दिखाई देता है और इसी तरह पालमपुर में बुटेल परिवार के सिवाय और कोई कार्यकत्र्ता नहीं दिखाई देता। दूसरा बाहरीवाद। क्या पालमपुर विधानसभा क्षेत्र में योग्य महिला चुनाव लडऩे के काबिल नहीं थी। यदि इस तरह चुनाव लड़वाना था तो मुझे हाईकमान द्वारा संकेत दिए होते तो मैं भी विश्वास के साथ भारतीय जनता पार्टी के साथ चलता। मैंने पालमपुर के स्वाभिमान की लड़ाई लड़ी है, इसीलिए मुझे अपनी जीत पर भरोसा है।

शांता कुमार ने ही आपको यहां तक पहुंचाया, लेकिन आपने कैसे सोच लिया कि आप इस बार उनके बगैर इस चुनावी रण में जीत पाएंगे?
शांता कुमार मेरे आदर्श हैं। भारतीय जनता पार्टी में दुख है कि वरिष्ठ नेता अडवानी, मुरली मनोहर जोशी व यशवंत सिन्हा की क्या स्थिति है तथा शांता कुमार को अपने घर में ही किनारे लगाए जाने का प्रयास किया जा रहा है। शांता कुमार जी संवेदनशील व्यक्ति हैं और वह कभी पार्टी से बाहर नहीं गए। परंतु मैं मानता हूं कि यह समय की पुकार थी और अनेक कार्यकत्र्ताओं से सुर मिलाते हुए प्रवीण कुमार ने इस आवाज को बुलंद किया है।

आपने पार्टी हाईकमान के महिला फैक्टर को लेकर चर्चित टिप्पणी की है, ऐसा क्यों? आप महिलाओं को राजनीति के क्षेत्र में आगे बढऩे के लिए बी.जे.पी. के इस निर्णय के विरोध में क्यों हैं। ऐसा तो आप महिला विरोधी कहलाए जाने लगेंगे?
बिल्कुल नहीं, पालमपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा की जो महिलाएं हैं, उन्हीं की आवाज थी कि आप आजाद प्रत्याशी के तौर पर पालमपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ें। परंतु उन महिलाओं को भाजपा ने प्रलोभन देकर अपनी और खींच लिया है, परंतु पालमपुर मंडल कार्यकारिणी व अन्य मोर्चों में कई महिलाएं इस योग्य थीं। अच्छा होता है इनमें से किसी महिला को टिकट दिया जाता तो मैं कतई विरोधी न होता।

क्या कारण रहा था कि आप बुटेल परिवार के खिलाफ 2 चुनाव पालमपुर में हार गए और वो भी जब तक शांता कुमार जैसे दिग्गज का आशीर्वाद आपके साथ रहा?
मैं वर्ष 2003 में चुनाव आ रहा था तो उस दिन से ही लोगों की सेवा में सक्रिय हो गया था। 2007 में पालमपुर विधानसभा की जनता के आशीर्वाद से मैं विधायक बना था। 2012 के बाद जब मैं हारा था तो मैं अपने कंधे पर थैला लेकर पालमपुर के हर गांव के घर-घर जाकर लोगों के सुख-दुख से जुड़ा रहा। मुझे पूर्ण विश्वास था कि 2017 में पालमपुर विधानसभा क्षेत्र से जीतूंगा।

आपको क्या लगता है कि आपके टिकट के हमले में हाईकमान ने इस बार शांता कुमार को भी नहीं सुना। तो क्या शांता जी की पार्टी हाईकमान में पहले वाली पकड़ नहीं रही?
यह तो उस वक्त ही तय हो गया था, जब केंद्र में भाजपा की सरकार बनी थी तो उसमें ही 75 वर्ष आयु का फंडा लगा दिया था। शांता कुमार जैसे दिग्गज नेता ने 1977 में हिमाचल प्रदेश को दिशा दी थी। शांता कुमार का विकास के लिए हमेशा विजन रहा है। जब शांता जी हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे तो उन्हेंं अंत्योदय, पानी वाला और विद्युत वाला मुख्यमंत्री कहा जाता था। ऐसे में क्या शांता घर बैठने वाले व्यक्ति थे।

आप पालमपुर विधानसभा क्षेत्र से जीते हैं तो किस पार्टी को समर्थन देंगे?
जो मेरे समर्थक निर्णय करेंगे, मैं उसी पार्टी को समर्थन करूंगा।

पूरी उम्र आप भाजपा और शांता कुमार की भक्ति में लगे रहे और आखिर में दोनों को ही किनारे कर दिया, क्या वजह रही?
न मैंने पार्टी को छोड़ा है और न ही शांता कुमार को। शांता कुमार मेरे परम आदरणीय आदर्श हैं। कुछ बातें हमें मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से सीखनी चाहिए क्योंकि उनकी राजनीति आज भी सकारात्मक है। आज एक ईमानदार कार्यकर्ता का राजनीतिक कत्ल हुआ है।

क्या आपको इस बात का पश्चाताप नहीं कि जिस पार्टी के बूते आप यहां तक पहुंचे, उसी के विरुद्ध अपने चुनाव लड़ा? 
अगर इस प्रकार राष्ट्रीय पार्टियां वातानुकूलित कमरों में बैठकर किसी हलके के टिकटों का निर्णय लेंगी तो लोगों का गुस्सा उफ ान पर होगा। मैंने भी लोगों की बात को सुनकर आजाद होकर चुनाव मैदान में कूदने का निर्णय लिया है और इसकी पालमपुर की जनता साक्षी है। मुझे कोई संताप या पछतावा नहीं। मैंने लोगों के लिए सब किया है, अपने लिए नहीं।

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