Edited By Punjab Kesari, Updated: 06 Dec, 2017 11:54 PM
क्षेत्रीय अस्पताल बिलासपुर में कार्यरत फिजियोथैरेपिस्ट की मौत का मामला अब प्रदेश उच्च न्यायालय में पहुंच चुका है।
बिलासपुर: क्षेत्रीय अस्पताल बिलासपुर में कार्यरत फिजियोथैरेपिस्ट की मौत का मामला अब प्रदेश उच्च न्यायालय में पहुंच चुका है। फिजियोथैरेपिस्ट ज्योति ठाकुर का शव गत 6 सितम्बर को उसके रौड़ा सैक्टर स्थित निजी आवास में फंदे पर झूलता हुआ मिला था। वहीं पुलिस की कार्यप्रणाली से असंतुष्ट मृतका के पिता ने इस बारे में उच्च न्यायालय को पत्र लिखकर न्याय की मांग की थी जिस पर माननीय न्यायालय ने प्रधान सचिव, डी.जी.पी., एस.पी. बिलासपुर व थाना प्रभारी को नोटिस जारी किया है। एस.पी. बिलासपुर अंजुम आरा ने बताया कि मामले की जांच एस.आई.टी. द्वारा की जा रही है। उन्होंने बताया कि अभी तक जांच पूरी नहीं हुई है। मृतका के परिजनों द्वारा सी.बी.आई. जांच की मांग की गई थी जिस पर उन्होंने डी.सी. बिलासपुर को मामला आगे प्रेषित करने के लिए भेज दिया था। हालांकि पुलिस इसे आत्महत्या का मामला मानकर चल रही थी जबकि मृतका के परिजनों ने इसे हत्या का मामला बताकर पुलिस पर मामले को दबाने का आरोप भी लगाया था।
यह है मामला
बता दें कि 6 सितम्बर को फिजियोथैरेपिस्ट ज्योति ठाकुर का शव उसके रौड़ा सैक्टर स्थित निजी आवास में फंदे पर झूलता हुआ मिला था लेकिन उसके परिजनों ने इस पर हत्या का अंदेशा जताकर पुलिस के पास मामला दर्ज करवाया था। कार्रवाई से असंतुष्ट होकर ज्योति के भाई आशीष ठाकुर ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए थे। उसका कहना था कि उसकी बहन का फोटो पुलिस के उसके आवास पर पहुंचने से पहले ही वायरल हो गया था। उसने यह भी आरोप लगाया था कि ज्योति का पोस्टमार्टम 6 सितम्बर की रात को ही कर दिया गया था जबकि नियमानुसार रात को पोस्टमार्टम नहीं होता है। वहीं मामले को लेकर 12 सितम्बर को मृतका के परिजनों ने डी.सी. कार्यालय परिसर में प्रदर्शन किया था तथा इस प्रदर्शन में हमीरपुर की पूर्व विधायक उर्मिल ठाकुर ने भी हिस्सा लिया था।
3 सदस्यीय एस.आई.टी. का हुआ था गठन
मामले के ज्यादा तूल पकडऩे पर पुलिस ने इस मामले को सुलझाने के लिए डी.एस.पी. घुमारवीं राजेश कुमार की अगुवाई में एक 3 सदस्यीय एस.आई.टी. का गठन 28 सितम्बर को किया था। मृतका के परिजनों ने एस.आई.टी. की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाते हुए उन पर इस मामले को वापस लेने का दबाव बनाने का आरोप भी लगाया था। वहीं मामले के डेढ़ माह बाद भी न सुलझने से गुस्साए परिजनों ने बिलासपुर की विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के साथ मिलकर बिलासपुर में लक्ष्मीनारायण मंदिर से लेकर डी.सी. कार्यालय तक 23 अक्तूबर को कैंडल मार्च भी निकाला था तथा एस.आई.टी. की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाते हुए इस मामले की जांच सी.बी.आई. से करवाने की मांग एस.पी. बिलासपुर अंजुम आरा से की थी।