यहां क्षतिग्रस्त पुल से जान जोखिम में डालकर गुजर रहे लोग

Edited By Punjab Kesari, Updated: 16 Feb, 2018 01:56 AM

people here travel on damaged bridge

4 साल बाद भी बैरा नदी पर छेत्री-नकरोड़ के बीच लकड़ीनुमा पैदल क्षतिग्रस्त पुल की किसी के द्वारा सुध न लेने से जान जोखिम में डाल कर हर दिन लोग नदी को आर-पार करने को मजबूर हो रहे हैं......

सलूणी: 4 साल बाद भी बैरा नदी पर छेत्री-नकरोड़ के बीच लकड़ीनुमा पैदल क्षतिग्रस्त पुल की किसी के द्वारा सुध न लेने से जान जोखिम में डाल कर हर दिन लोग नदी को आर-पार करने को मजबूर हो रहे हैं, लेकिन लोगों की समस्या का निदान करने वाला मानों कोई नहीं है। इस वजह से इस क्षेत्र के लोग अपने आप को सरकार से ठगा-सा महसूस कर रहे हैं। उपमंडल सलूणी व तीसा की दर्जनों पंचायतों क ो आपस में जोडऩे वाला बैरा नदी पर छेत्री व नकरोड़ के बीच बना यह पुल जुलाई, 2014 में बरसात के दिनों में क्षतिग्रस्त हो गया था। तब से लेकर आज तक तीसा खंड की गडफ़री, थल्ली, टिकरीगढ़ भराड़ा, लेसूई, चिल्ली व सलूणी खंड की हिमगिरी, पंजेई, चिह, बडंतर व आयल पंचायतों के गांव छेत्री, सिद्वोट, सिक्का, खंडियारू, प्रिगड, साही, स्वाई, चला, रिमियूंड, चिह, सालवां, ब्यूटांण, चैची, फुलरा, नकरोड़, शियूंआरा, बंजवाड़, गुवाड़, सतेऊआ, नाकोई, टिकरीगढ़ व कर्मूंड के हजारों लोगों को असुविधा हो रही है। 

30 कि.मी. अतिरिक्त करना पड़ रहा सफर
हिमगिरी क्षेत्र की पंचायत आयल, बड़तर व चिह का उपमंडल मुख्यालय व खंड कार्यालय तहसील कार्यालय और पुलिस थाना तीसा होने के चलते लोग अपने सरकारी कार्य करवाने के लिए इसी पैदल पुल से होकर नकरोड़ में बसों को लेकर तीसा पहुंचते हैं। कई लोगों की दोनों उपमंडलों में रिश्तेदारी होने कारण भी यह पैदल पुल उन्हें सुविधा प्रदान करता है जबकि हिमगिरी क्षेत्र के गांव के लोग नकरोड़ बाजार में दुकानदारी का पेशा करते हैं, वे भी इसी पुल से हर दिन नकरोड़ जाते हैं और शाम को दुकान बंद कर घर वापस आते हैं लेकिन पुल क्षतिग्रस्त होने से अब उनके व्यवसाय पर भी प्रभाव पड़ रहा है क्योंकि ये दुकानदार अब अपनी दुकान पर जाने के लिए वाया आयल 30 किलोमीटर अतिरिक्त सफर कर नकरोड़ बाजार पहुंचते हैं। इसी तरह तीसा में सरकारी कार्य करवाने जाने वाले लोगों को भी वाया आयल जाकर फिर वापस नकरोड़ पहुंचने पर तीसा के लिए बस लेकर जाना पड़ रहा है। पहली बार पुल क्षग्रिस्त होने के चलते गांव के लोगों ने अपनी जेब से पैसा इक्ट्ठा करके एक बार अस्थायी तौर पर पुल का निर्माण किया था लेकिन दोबारा फिर से पुल के बाढ़ की चपेट में आने से पूरी तरह पुल क्षतिग्रस्त हो गया है। तब से लेकर आज दिन तक पुल का नए सिरे से निर्माण नहीं किया है। 

शिकायत करने पर मात्र तैयार होता है प्राकलन 
लोगों आशिक अली, सलीम, इकबाल, रशीद मुहम्मद, रफी बेग मुहम्मद, शौकत अली, बशीर मुहम्मद, अशरफ, हनीफ, आमीर, संजू, राकेश कुमार, खेम सिंह, तेज सिंह व सोनू आदि ने अभियान चलाया और उपमंडल प्रशासन से लेकर जिला प्रशासन तक उन्होंने अपनी फरियाद लगाई लेकिन उन्हें आज दिन तक आश्वासनों के सिवाय कुछ हासिल नहीं हुआ और समस्या जस की तस बनी हुई है। जब लोग अपनी मांग को प्रशासन के समक्ष लेकर गए, उस दिन इतना जरूर अमल होता है कि मौके पर प्रकालन तैयार किया जाता है मगर उससे आगे कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई जाती है। ऐसा करते 4 साल बीत गए लेकिन नए सिरे से पुल का निर्माण होना तो दूर की बात अभी पुल का कार्य भी शुरू नहीं हुआ। लोगों द्वारा पुल के नए सिरे के निर्माण को लेकर मांग को क्षेत्र के नेताओं के पास भी लेकर गए, लेकिन उनकी ओर से भी आश्वासन ही मिला है लेकिन कार्रवाई के नाम पर अभी तक कुछ नहीं हुआ है।

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