Edited By Punjab Kesari, Updated: 01 Aug, 2017 12:54 AM
एक नन्हीं जान के लिए धरती के भगवान फरिश्ता बनकर आए। मामला जिला के उपमंडल पांवटा साहिब के सिविल अस्पताल से जुड़ा है।
पांवटा साहिब : एक नन्हीं जान के लिए धरती के भगवान फरिश्ता बनकर आए। मामला जिला के उपमंडल पांवटा साहिब के सिविल अस्पताल से जुड़ा है। स्थानीय अस्पताल के कंगारू मदर केयर यूटिन ने महज 900 ग्राम के नन्हे बच्चे का जीवन बचाने में सफलता हासिल की है। बेहद खराब स्थिति में पहुंचे इस नवजात की हालत अब बेहतर है और वजन भी तेजी से बढ़ रहा है। डा. अमिताभ जैन की देख-रेख में चल रहे स्पैशल न्यू बोर्ड चाइल्ड केयर यूनिट में 9 जुलाई को महज 900 ग्राम के मेल चाइल्ड को एडमिट किया गया। इसके पिता आशिक अली निवासी शुभखेड़ा ने बताया कि हरियाणा के मलाणा मैडीकल कालेज से पूरी तरह निराश होकर वह यहां पहुंचे थे।
एस.एन.सी.यू. की मदद से बची नन्हे बच्चे की जान
मलाणा मैडीकल कालेज में हर रोज मशीन में बच्चे को रखने के 4 हजार रुपए खर्चा आ रहा था। हालत में भी ज्यादा सुधार नहीं हो पा रहा था। बेहद खराब हालत में हम अपने बच्चे को सिविल अस्पताल पांवटा लाए थे। दूसरी तरफ इस बारे में एसएनसीयू के इंचार्ज डा. अमिताभ जैन ने बताया कि ऐसे बच्चों के लिए स्पैशल नर्स स्टाफ रखा गया है। इसमें कनिका और अर्चना की बेहतरीन सेवाओं ने महज 900 ग्राम वजन के बच्चे को नया जीवन दिया है। पिछले तीन दिनों में इस बच्चे का वजन 1.5 किलोग्राम हो गया है, वहीं अब यह मासूम खुद मां का दूध पी रहा है। इसके बचने की उम्मीदे काफी बढ़ गई है।
आईजीएमसी के बाद पांवटा सिविल अस्पताल में यह सुविधा
डाक्टर अमिताभ जैन ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में आईजीएमसी के बाद पांवटा सिविल अस्पताल में इस विशेष यूनिट को स्थापित किया गया है। इसमें समय से पहले जन्मे बच्चों के लिए और पीलिए जैसे रोग से बचाने के लिए कंगारू मदर केयर और स्पैशल वार्म मशीनें मौजूद हैं। इसके अलावा यहां बच्चों का इलाज बिल्कुल मुफ्त में किया जाता है। यही सुविधाएं अगर आप किसी निजी अस्पताल में लेते हैं, तो हर दिन तकरीबन 4 से 5 हजार का खर्च आता है।