यहां अस्पताल से रातोंरात गायब हो रहे मरीज, जानिए कैसे

Edited By Punjab Kesari, Updated: 28 Sep, 2017 12:55 AM

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क्षेत्रीय अस्पताल में विभिन्न तरह के आप्रेशन के लिए पहुंचे मरीज रातोंरात गायब हो रहे हैं।

ऊना: क्षेत्रीय अस्पताल में विभिन्न तरह के आप्रेशन के लिए पहुंचे मरीज रातोंरात गायब हो रहे हैं। चिकित्सकों द्वारा बिना डिस्चार्ज हुए मरीज न केवल लेबर रूम बल्कि विभिन्न वार्डों से भी गायब हो रहे हैं। सभी औपचारिकताओं के पूरा होने के बाद आप्रेशन से पहले अचानक मरीज का इस तरह से गायब हो जाना अस्पताल प्रशासन के लिए चिंता का विषय बना हुआ है और आने वाले दिनों में इस मामले में बड़ी जांच हो सकती है और कार्रवाई अमल में लाई जा सकती है। गुपचुप तरीके से अस्पताल से मरीजों को बहला-फुसला कर निजी अस्पतालों तक पहुंचाया जा रहा है जहां उनका इलाज करके हजारों रुपए एंठे जा रहे हैं। 

बहला-फुसला कर निजी अस्पतालों तक पहुंचाए जा रहे मरीज
अस्पताल में मची सुगबुगाहट के अनुसार अस्पताल के बाहर निजी स्तर पर कार्यरत कुछ कर्मचारियों का अस्पताल में आने वाले मरीजों पर डोरे डालने का सिलसिला पार्किंग से ही शुरू हो जाता है और आगे जाकर यह आप्रेशन से पहले ही मरीजों को लुभाकर उन्हें क्षेत्रीय अस्पताल से ले जाकर निजी अस्पताल में पहुंचा देते हैं। यही नहीं निजी अस्पतालों के कई कारिंदे भी अस्पताल में अपने सूत्र पाले हुए हैं जोकि मरीज के हामी भरने की सूचना मिलने के बाद मरीज को लेने तुरंत क्षेत्रीय अस्पताल पहुंच जाते हैं।

अस्पताल में घूमते रहते हैं एजैंट 
शिशु रोग वार्ड को भी इस तरह के एजैंट बख्श नहीं रहे हैं बल्कि अंदरूनी जुगाड़ तंत्र को इस्तेमाल करते हुए यहां उपचाराधीन बच्चों को भी बेहतर सुविधाएं देने के लिए निजी अस्पतालों तक ले जा रहे हैं। यही नहीं निजी अस्पतालों के कारिंदों के मोबाइल नंबर भी अस्पताल के अंदर घूमने वाले एजैंटों सहित अन्यों के पास मौजूद हैं। एक कॉल पर कारिंदे अस्पताल पहुंचते हैं और बाकायदा मरीजों को चैक करके स्वयं अस्पताल पहुंचाने तक मदद करते हैं। बाद में इलाज के नाम पर मोटी फीस वसूल की जाती है।

आप्रेशन के वसूले जाते हैं 25 हजार 
अस्पताल के पुख्ता सूत्रों की मानें तो अस्पताल के बाहर रहने वाले कुछेक लोग बिना किसी काम के अस्पताल के अंदर मंडराते रहते हैं और मरीजों को लुभाने में लगे रहते हैं। अस्पताल में आप्रेशन के लिए आने वाले मरीजों की फाइलों सहित उनको अस्पताल से ले जाकर निजी अस्पतालों में एडमिट करवा देते हैं। जहां क्षेत्रीय अस्पताल में लगभग नि:शुल्क इलाज होता है, वहीं निजी अस्पतालों में आप्रेशन के लिए 25 हजार रुपए तक वसूले जाते हैं।

मामले की जल्द होगी पड़ताल
इस संबंध में पुष्टि करते हुए कार्यकारी एम.एस. डा. इंदू भारद्वाज ने बताया कि ऐसी सूचनाएं आईं हैं और मामले की जल्द पड़ताल होगी। अस्पताल के बाहर रहने वालों को बाहर तक सीमित रखा जाएगा और बेवजह अंदर घूमने वाले ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई को अमल में लाया जाएगा। डा. इंदू ने कहा कि अस्पताल में उपचाराधीन मरीजों को बहलाने-फुसलाने वाले निजी अस्पतालों के एजैंटों और कारिंदों को सी.सी.टी.वी. फुटेज के आधार पर पहचाना जाएगा और कार्रवाई को अमल में लाई जाएगी।

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