संसद में गतिरोध पर शांता ने की No Work No Pay की वकालत, दिए ये सुझाव

Edited By Updated: 07 Dec, 2016 07:08 PM

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संसद में जारी गतिरोध पर सांसद शांता कुमार ने नो वर्क नो पे की वकालत की है, ऐसे में सांसद शांता कुमार ने लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन से लोकसभा में हंगामा करने वाले सांसदों के वेतन में कटौती करने का सुझाव दिया है।

पालमपुर: संसद में जारी गतिरोध पर सांसद शांता कुमार ने नो वर्क नो पे की वकालत की है, ऐसे में सांसद शांता कुमार ने लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन से लोकसभा में हंगामा करने वाले सांसदों के वेतन में कटौती करने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि लोकसभा का वर्तमान सत्र गत 16 नवम्बर से प्रारंभ हुआ था लेकिन विपक्ष के व्यवधान के कारण लोकसभा की कार्यवाही में निरंतर व्यवधान डाला जा रहा है, जिसके कारण लोकसभा बार-बार स्थगित की जा रही है। 

लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को प्रेषित एक पत्र में शांता कुमार ने कहा कि पूरा देश लाखों लोगों के प्रतिनिधि सांसदों के इस व्यवहार को देख कर ङ्क्षचतित है। कई बार दर्शक दीर्घा में बैठे स्कूल व कालेज के छात्र हमारी ओर देख कर मुस्कराते हंै। हम नई पीढ़ी के सामने क्या आदर्श स्थापित कर रहे हैं। अनायास ही हम उपहास का पात्र बनते जा रहे हैं। शांता कुमार ने कहा कि आजादी के 70 वर्ष के बाद देश की राजनीति को और अधिक गंभीर, शालीन, अनुशासित और परिपक्व होना चाहिए था। इसके विपरीत सार्वजनिक जीवन का निरंतर अवमूल्यन होता जा रहा है। परिणाम स्वरूप नेता शब्द अब आदर का सूचक नहीं रहा। 

शांता  ने कहा कि कुछ विपक्षी दलों ने अब सभी सीमाओं को पार कर लिया है। गली मुहल्ले की नारेबाजी के दृश्य लोकसभा में निरन्तर देखने को मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष के बार-बार निर्देश के बाद भी किसी प्रकार से सदन में शान्ति स्थापित नहीं होती। यह सब देख कर देश के करोड़ों लोग पीड़ा, वेदना और लज्जा का अनुभव कर रहे हैं। शांता कुमार ने कहा कि सदन में अनुशासन स्थापित करने के लिए ठोस और प्रभावी कार्रवाई करने की आवश्यकता है। 

इस संबंध में शांता ने सुझाव दिया कि यदि अध्यक्ष के निर्देश के बावजूद कोई सदस्य बैल में आकर नारे लगाए तो उसी दिन से उनका वेतन और भत्ता तुरंत बंद कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि अध्यक्ष की चेतावनी के बाद भी जो सदस्य अनुशासन का पालन न करे तो उसे इस सत्र के लिए निष्कासित कर दिया जाना चाहिए। शांता कुमार ने कहा कि सदन चर्चा के लिए है नारेबाजी और शोर-शराबे के लिए नहीं। सदन का प्रतिदिन का खर्चा 6 करोड़ रुपए आंका गया है। देश की जनता के खजाने के करोड़ों रुपए नारे लगाने और शोर-शराबे लिए नहीं दिए जा सकते। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इन सुझावों पर अवश्य विचार किया जाएगा।

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