इस गांव में बेटी के खातिर टूटने लगी सदियों पुरानी परंपरा, पढ़ें पूरी खबर

Edited By Updated: 22 Jan, 2017 03:33 PM

old tradition  birth of daughter

हिमाचल प्रदेश के जनजातीय क्षेत्र लाहौल में ‘बेटी है अनमोल’ का नारा बुलंद करते हुए एक गांव ने सदियों पुरानी परंपरा को चुनौती दी है। अापको बता दें कि लाहौल के प्यूकर गांव में एक परिवार ने बेटी की...

शिमला : हिमाचल प्रदेश के जनजातीय क्षेत्र लाहौल में ‘बेटी है अनमोल’ का नारा बुलंद करते हुए एक गांव ने सदियों पुरानी परंपरा को चुनौती दी है। अापको बता दें कि लाहौल के प्यूकर गांव में एक परिवार ने बेटी की जन्म पर पूरे गांव को गोची उत्सव का निमंत्रण भेजा है। जानकारी के मुताबिक 23 जनवरी को आयोजित होने वाली इस उत्सव की तैयारियों में परिवार समेत पूरा गांव जुटा हुआ है। गौरतलब है कि घाटी में अभी तक केवल लड़कों के जन्म पर ही गोची उत्सव मनाने की परंपरा है, लेकिन इस बार केलांग के वामतट पर बसे प्यूकर गांव में बिटिया के जन्म पर यह उत्सव मनाया जाएगा। दरअसल भारी बर्फबारी के कारण दुनिया से कटे लाहौल घाटी के प्यूकर गांव ने अपनी इस पहल से पूरे देश को बेटी है अनमोल का संदेश दिया है।

पिता के साथ खड़ा हुआ गांव, मां नहीं ले पाएगी हिस्सा
इस दौरान पुजारी गांव के मुख्य देवता तंगजर की विशेष पूजा अर्चना के साथ बच्ची की बेहतर भविष्य के लिए कामना करेंगे। 3 माह की बच्ची सोनम डोलमा के पिता सोनम वंग्याल और माता तंजिन दोनों ही बैंक अधिकारी हैं। वंग्याल कहते हैं कि आज जमाना बदल चुका है। बेटी के जन्म पर गोची उत्सव का आयोजन कर परिवार के साथ पूरा गांव फक्र महसूस कर रहा है। वहीं दूसरी ओर डोलमा की मां तंजिन ने कहा कि वह घाटी से बाहर कुल्लू में तैनात है। लिहाजा वह इस उत्सव में शरीक नहीं हो पाएंगी, लेकिन वह चाहती हैं कि बेटी के जन्म पर घाटी के हर गांव में गोची उत्सव मनाया जाए। लाहौल स्पीति विवेक भाटिया ने कहा कि प्यूकर गांव में बेटी की जन्म पर इस तरह की पहल समाज के लिए सराहनीय है।

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