अब नहीं चलेगी अफसरों की ‘बाबूगिरी’, सरकार ने अपनाया नया हथकंडा

Edited By Updated: 22 May, 2017 01:19 PM

now will not run of officers babugiri government adopted by new junket

डिजिटल इंडिया का असर हिमाचल जैसे विकट भौगोलिक परिस्थितियों वाले राज्य में भी दिखने लगा है।

शिमला: डिजिटल इंडिया का असर हिमाचल जैसे विकट भौगोलिक परिस्थितियों वाले राज्य में भी दिखने लगा है। यहां भी तकनीक का कमाल साफ नजर आ रहा है। दफ्तर के कामकाज में भी पुलिस हाईटैक हो गई है। राज्य पुलिस मुख्यालय में कई ब्रांचों को ई-ऑफिस एप्लीकेशन से जोड़ा गया है। दूसरी ब्रांचों को भी इस तकनीक से जोड़ने की कवायद तेज हो गई है। अब अफसरों की न तो लेटलतीफी चलेगी और न ही ‘बाबूगिरी’। फाइलों का मैनुअल कार्य बंद हो गया है। पांच जिलों कुल्लू, मंडी, बिलासपुर, सोलन व सिरमौर में भी इसे लांच करने की तैयारी चल रही है। 


पुलिस महकमा राज्य का पहला विभाग है, जहां ई-ऑफिस तकनीक हुई लागू 
चरणबद्ध तरीके से सभी जिले हाईटैक हो जाएंगे। पुलिस महकमा राज्य का ऐसा पहला विभाग है, जहां ई-ऑफिस तकनीक लागू हुई है। पहले इसमें पांच ब्रांचें शामिल हुई हैं। कार्मिक, कानून व्यवस्था, डायरी-डिसपैच, एस्टेट ब्रांच के बाद अब अगली ब्रांचों की तैयारियां चल रही हैं। ई-ऑफिस एन.आई.सी. की एक एप्लीकेशन है। इसे करीब 5 साल पहले तैयार किया गया था। पुलिस मुख्यालय में अभी भी आला पुलिस अधिकारी तकनीक का ककहरा सीख रहे हैं। नई तकनीक से कर्मचारियों पर काम का बोझ कम हो गया है। 


डी.आई.टी. में रहेगा डाटा
ई-ऑफिस से डाटा नष्ट होने या आग इत्यादि से जलने का भी खतरा नहीं रहेगा। इसका डाटा उतना ही सुरक्षित है, जैसा की ई-मेल का। यह नष्ट नहीं होगा, इसे रिट्रीव यानी पुनर्जीवित करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। डाटा आई.टी. निदेशालय (डी.आई.टी.) में सर्वर में सुरक्षित रहेगा। अगर इसका सर्वर न होता तो फिर दिक्कत आ सकती थी।  


किस अफसर के पास रुकी फाइल, चलेगा पता
पुलिस मुख्यालय में कौन अफसर फाइल पर कुंडली मार बैठा है, अब इसका पता चलेगा। किसके पास फाइल कब तक रही, कहां-कहां दौड़ी, यह सब पता चल रहा है। इससे कुछ अफसर भी पीछे छूट रहे हैं। उन्हें फाइल देरी होने की वजह बतानी पड़ रही है। पुलिस महानिदेशक संजय कुमार ने नई तकनीक को सीखने में काफी रुचि दिखाई। वह इस माध्यम से बेहतरीन इस्तेमाल कर रहे हैं। नई व्यवस्था से पेपर का न के बराबर उपयोग हो रहा है। इससे प्रशासनिक दक्षता बढ़ रही है, साथ ही पारदर्शिता को भी बढ़ावा मिल रहा है। 


 

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