दुनिया भर में नशे के लिए बदनाम हिमाचल के ‘इस’ गांव की अब ऐसे बदलेगी की तस्वीर

Edited By Punjab Kesari, Updated: 23 Sep, 2017 11:58 PM

now will change picture of this village to famous for intoxication in worldwide

विश्व को लोकतांत्रिक व्यवस्था से साक्षात्कार करवाने वाले मलाणा की तस्वीर अब बदलने वाली है।

कुल्लू: विश्व को लोकतांत्रिक व्यवस्था से साक्षात्कार करवाने वाले मलाणा की तस्वीर अब बदलने वाली है। उत्तम क्वालिटी की चरस (मलाणा क्रीम) के लिए दुनिया भर में बदनाम मलाणा अब ब्रांडेड कपड़ों और अन्य ब्रांडेड उत्पादों के उत्पादन की पहली सीढ़ी के लिए मशहूर हो जाएगा। राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने इस दिशा में प्रयास तेज करने का बीड़ा उठाया है। हाल में राज्यपाल ने मलाणा गांव का दौरा कर सफाई अभियान व नशे के समूल नाश का श्रीगणेश किया था। मलाणा की भांग के पौधों से कपड़े व अन्य उत्पाद तैयार करने वाली कंपनियों से संपर्क किया जा रहा है। इसके लिए राजभवन में कार्य शुरू हो गया है। कंपनियां यहीं पर अपने उद्योग भी लगा सकती हैं। भांग के पौधों से रेशे निकालकर या इन्हें बेतहरीन रूप में ढालकर फैक्ट्रियों में भेजा जाएगा जहां पर इनसे कपड़े और अन्य उत्पाद तैयार होंगे।

चरस उत्पादन के लिए भी बदनाम रहा मलाणा
मलाणा गांव का दुर्भाग्य यह रहा कि यह क्षेत्र प्राचीनतम लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए मशहूर होने के साथ-साथ चरस उत्पादन के लिए भी बदनाम रहा। पूर्व में विशेषज्ञों ने भी मलाणा का दौरा कर वहां की मिट्टी का परीक्षण कर पाया कि लगातार चरस उत्पादन की वजह से यहां की मिट्टी की हालत ऐसी हो गई है जिसमें अनाज व दालें पैदा करने की क्षमता नहीं बची है, ऐसे में विशेषज्ञों ने प्रयोगशालाओं में लंबे शोध के बाद तैयार किए अनाज व दालों सहित अन्य खाद्यान्नों के बीज उपलब्ध कराए। हालांकि उस तर्ज पर मलाणा में दालों व अनाज का उत्पादन नहीं हो पाया जिसकी विशेषज्ञों ने उम्मीद जताई थी। मलाणा के साथ-साथ अन्य इलाकों में पैदा होने वाले भांग के पौधों से निकलने वाली चरस पर लगातार राजनीति होती रही। ऐसा दौर भी आया जब चुनावों के दौरान भांग की खेती को लीगलाइज करने की भी मंचों से घोषणाएं हुईं। 

भांग के पौधों को किया जाएगा लीगलाइज 
तर्क दिया गया कि भांग के पौधों से रस्सी, जूते व अन्य उत्पाद तैयार होते हैं इसलिए इसे लीगलाइज किया जाएगा लेकिन धरातल पर स्थिति इसके विपरीत हुई। अब राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने मलाणा की भांग के पौधों से मलाणा की तस्वीर को बदलने का बीड़ा उठाया है। राज्यपाल ने मलाणा में जाकर वहां की पूरी स्थिति का जायजा लिया है। कुछ कंपनियों से संपर्क साधा गया है जो भांग के पौधे से कपड़े व अन्य उत्पाद तैयार करती हैं। इन कंपनियों को आमंत्रित किया जा रहा है जो स्थानीय स्तर पर भी उद्योग लगा सकती हैं और इससे मलाणा की तस्वीर बदलेगी।

भांग को उखाडऩे मात्र से नशे का समूल नाश नहीं
जानकारों की मानें तो भांग की पौध को उखाडऩे मात्र से नशे का समूल नाश संभव नहीं है। वैज्ञानिकों की मानें तो भांग की पौध को एक बार उखाड़ेंगे तो उसमें फिर से पत्ते पनपने लगते हैं। बीते वर्ष से भांग उखाड़ो अभियान मई व जून से शुरू किया जा रहा है। मई व जून में काटी गई भांग की पौध के बाद इससे और बेहतर व उत्तम क्वालिटी के भांग के पौधे तैयार हुए। इसे उखाडऩे का सही समय अगस्त माह हो सकता है क्योंकि तब पौध लगभग तैयार हो चुकी होती है और इसे काटने के बाद इसमें नई कोंपलें निकलने के भी आसार कम होते हैं।

फल-फूल रहा गोरखधंधा
चरस बरामदगी के मामलों में लगातार हो रही वृद्धि इस गोरखधंधे के फलने-फूलने का प्रमाण है। पिछले साढ़े 5 वर्षों में पुलिस विभाग ने करीब 475 किलोग्राम चरस पकड़कर एन.डी.पी.एस. एक्ट के तहत मामले दर्ज किए हैं। यह तो पकड़ी गई वह खेप है जोकि पुलिस के हत्थे चढ़ी। पुलिस को चकमा देकर इससे कई गुना अधिक चरस की खेप जो ठिकाने लगी है, वह अलग है।

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