NIT के प्रशिक्षु छात्रों को बर्फबारी में ट्रैकिंग का जुनून पड़ा भारी

Edited By Updated: 14 Jan, 2017 01:11 AM

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बर्फबारी में ट्रैकिंग का जुनून उनकी जिंदगी पर इस कदर भारी पड़ जाएगा यह शायद उन्होंने भी नहीं सोचा होगा।

मंडी/हमीरपुर: बर्फबारी में ट्रैकिंग का जुनून उनकी जिंदगी पर इस कदर भारी पड़ जाएगा यह शायद उन्होंने भी नहीं सोचा होगा। जी हां, हम बात कर रहे हैं एन.आई.टी. हमीरपुर के उन 2 प्रशिक्षु छात्रों अक्षय और नवनीत राणा की जिनके शव शिकारी देवी में बर्फ में दबे मिले। एन.आई.टी. के प्रशिक्षु छात्रों अक्षय और नवनीत राणा की दर्दनाक मौत से सहमे उनके माता-पिता जंजैहली में अपने लाडलों के शवों के इंतजार में सड़क किनारे पहाड़ों की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं। शुक्रवार देर शाम तक दोनों छात्रों के शव जंजैहली नहीं पहुंच पाए।

दोपहर 1 बजे मिला पहला शव
पिछले 6 दिनों से लापता अक्षय और नवनीत राणा को तलाश करने के लिए शुक्रवार को सुबह 8 बजे से रैस्क्यू आप्रेशन चला और दोपहर 1 बजे पहला शव अक्षय का मिला जिसकी पीठ में बैग भी था। डी.एस.पी. हैडक्वार्टर हितेश लखनपाल के मार्गदर्शन और एस.एच.ओ. गोहर चांद किशोर के नेतृत्व में शिकारी देवी की बर्फीली पहाड़ी पर गई रैस्क्यू टीमों ने करीब 6 फुट बर्फ में लापता छात्रों को आखिरकार तलाश करने में सफलता हासिल कर ली।

पहले से ही तैयार था ट्रैकिंग का प्लान
अक्षय का एक छोटा भाई और है और उसके पिता टीचर बताए जा रहे हैं। नवनीत राणा का भी एक और छोटा भाई है जो सुंदरनगर में बी.टैक. कर रहा है। अक्षय और नवनीत ने बर्फबारी में शिकारी देवी के लिए ट्रैकिंग का प्लान पहले से ही बनाया था। मगर दोनों की नासमझी परिजनों पर कहर बनकर टूटी।

सराय तक पहुंच जाते तो बच जाती जान
शिकारी देवी में भारी बर्फबारी होने के कारण प्रशासन ने अलर्ट घोषित किया था। मगर दोनों छात्र आखिर कैसे जंजैहली से शिकारी देवी निकल गए, इसकी ग्रामीणों को भी भनक तक नहीं लगी। अगर दोनों छात्र शिकारी देवी की सराय तक पहुंच जाते तो शायद बच सकते थे लेकिन वे सड़क से आगे मंदिर की पौडिय़ां नहीं चढ़ पाए और बर्फीले तूफान ने उन्हें लील लिया। 

गत वर्ष बचाए थे एक दर्जन लोग
गत वर्ष भी शिकारी देवी में सरकाघाट के करीब एक दर्जन लोग शिकारी देवी में बर्फबारी के कारण फंस गए थे। जिनको स्थानीय लोगों की रैस्कयू टीम ने सुरक्षित जंजैहली पहुंचाया था। इस बार 5 जनवरी को ही जिला प्रशासन की ओर से जारी चेतावनी के बाद पुजारी और अन्य सेवक मंदिर से वापस लौट आए थे और मंदिर के कपाट बंद हो गए थे। 

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